अमरावती

पूरे जिले के लिए एक्साइज विभाग में केवल एक ही वाहन

गावरानी व अवैध शराब अड्डों पर पडने वालों छापों की संख्या घटी

अमरावती/दि.26 – अधिकृत शराब विक्री से मिलने वाली राजस्व का प्रमाण ना घटे इस हेतु राज्य उत्पाद शुल्क यानि आबकारी विभाग को अवैध शराब विक्री सहित गावरानी शराब अड्डों पर कार्रवाई करने का जिम्मा सौंपा गया है. परंतु अमरावती जिले में एक मुख्यालय व तीन उपविभाग को मिलाकर आबकारी विभाग के पास केवल एक ही वाहन है. ऐसे में इस एक वाहन के भरोसे समूचे जिले भर में कैसे व किस तरह कार्रवाई की जाए. यह अपने आप में एक बडा सवाल है. यही वजह है कि, पिछले कुछ समय से आबकारी विभाग द्बारा अवैध शराब विक्री व गावरानी शराब अड्डों के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाईयों मेें काफी हद तक कमी आ गई है.
बता दें कि, अमरावती में आबकारी विभाग का जिला मुख्यालय है. वहीं अचलपुर, मोर्शी व वरुड में उपविभागीय कार्यालय है. प्रत्येक स्थान पर निरीक्षक व उपनिरीक्षक सहित पर्याप्त संख्या में अन्य कर्मचारियों का संख्याबल भी उपलब्ध है. परंतु उपविभागीय कार्यालयों में पदस्त रहने वाले अधिकारियों के पास कही पर भी छापे की कार्रवाई हेतु आने-जाने के लिए वाहन ही उपलब्ध नहीं है और सरकार द्बारा भी इन उपविभागीय कार्यालयों को अब तक सरकारी वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया है. ऐसे में इन महकमों को किराए के वाहनों के जरिए अपना काम चलाना पडता है. जबकि हकीकत में इसी महकमें द्बारा राज्य सरकार की तिजोरी में कर के तौर पर सबसे अधिक राजस्व जमा कराया जाता है. लेकिन बावजूद इसके आबकारी विभाग के अधिकारियों को छापे की कार्रवाई के लिए सरकारी वाहन मिलने का इंतजार करना पड रहा है.
उल्लेखनीय है कि, विगत दिनों ही मोर्शी तहसील में मध्यप्रदेश की सीमा से सटे हुए तरोडा-धनोडा गांव में विषाक्त गावरानी शराब पीने की वजह से दो ग्रामीणों की मौत हो गई थी. वहीं 5 लोगों की तबीयत बिगड गई थी. जिसके बाद पुलिस विभाग को हडबडाकर सक्रिय होकर दिखाई दिए. लेकिन एक्साइज विभाग में इस घटना की वजह से कोई हडबडी या हलचल दिखाई नहीं दी. इसके साथ ही इस भी स्पष्ट हुआ कि, अवैध शराब विक्री व गावरानी शराब अड्डों को लेकर की जाने वाली कार्रवाईयों के संदर्भ में एक्साइज विभाग द्बारा निरंतर व सातत्यपूर्ण काम नहीं किया जाता. जिसके चलते अवैध शराब विक्रेताओं में एक्साइज विभाग को लेकर किसी भी तरह का कोई डर नहीं है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, राज्य उत्पाद शुल्क विभाग जिलाधीश के अख्तियार में आता है. लेकिन इसके बावजूद जिला प्रशासन द्बारा भी अवैध शराब अड्डों के खिलाफ किसी भी तरह की कोई गंभीरता नहीं दिखाई जाती.
* काम में निरंतरता रखने हेतु प्रत्येक कार्यालय में स्वतंत्र वाहन रहना जरुरी है. वाहन उपलब्ध कराने हेतु वरिष्ठ अधिकारियों से मांग की गई है. क्योंकि वाहन ही उपलब्ध नहीं रहने के चलते काम करने में काफी समस्याएं व दिक्कतें आ रही है.
ज्ञानेश्वर आहेर,
अधीक्षक, राज्य उत्पाद शुल्क विभाग.

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