सन्मुख होई जीव मोहि जबहीं,जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं
अमरावती/दि. 19– संत श्री 1008 श्री सीतारामदासजी बाबा की पुण्य तिथि महोत्सव हेतु आयोजित श्री रामकथा व्यासपीठ पर विराजमान सुश्री मंगलाश्रीजी ने नवम एवं अंतिम पुष्प राम प्रभु के चरणों में ,एकवीरा देवी प्रांगण से अर्पित किया.
आज देवीजी ने किष्किन्धाकाण्ड, सुंदरकांड, लंकाकांड और उत्तरकांड की महिमा का गान किया। मंगलाश्रीजी ने आगे कहा कि प्रभु श्रीराम कहते हैं,जैसे ही जीव मेरे सन्मुख होता है उसके करोडो जन्मों के पाप स्वतः ही भस्म हो जाते हैं.सन्मुख होने का मतलब केवल किसी मंदिर में जाकर मूर्ति के सामने खड़ा होना हि नहीं है.मन में श्री राम की छबि को स्थापित करना है.सन्मुख होने का मतलब तन से नहीं है मन से है.मन यदि श्री राम के चरणों में पहुँच जाता है तो मन ही तो सुख दुःख का अनुभव करता है.फिर तन के सुख-दुःख का कोई भी भान नहीं होता. इसलिए प्रभु कहते हैं, निर्मल मन जन सो मोहि पावा. मोहि कपट छल छिद्र न भावा राम जी ने कपटी रावण को नहीं,बल्की निर्मल मन वाले बिभीषण को अपनाया. अंत में देवीजी ने सुंदर राम राज्याभिषेक का रसभरा गुणगान किया. यह कथा सबको पवित्र करने वाली है, दैहिक, दैविक, भौतिक तीनों प्रकार के तापों का और जन्म-मृत्यु के भय का नाश करने वाली है. महाराज श्री रामचंद्रजी के कल्याणमय राज्याभिषेक का चरित्र निष्कामभाव से सुनकर मनुष्य वैराग्य और ज्ञान प्राप्त करते हैं. अंत में देवीजी ने सभी से निवेदन किया कि रोज रामचरितमानस की कम से कम एक चौपाई का गान जरूर करें, अपने बच्चों को बचपन से ही प्रभु भजन का रस पिलाकर संस्कारित करें.
कथा के सफल आयोजन हेतु श्री एकवीरा देवी संस्थान का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ.उसी प्रकार मुख्य यजमान श्री जीतू ठाकुर के साथ-साथ सभी दैनिक यजमान, पूजा आरती यजमान श्री प्रवीणजी करवा, सभी दानदाता और सेवाधारी, प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देनेवालों का गुरुकृपा सत्संग समिति ने आभार व्यक्त किया. कथा में मंच संचालन का संपूर्ण भार अमरावती की ज्येष्ठ और प्रसिद्ध मंच संचालक बाबा राऊत ने उठाया.
सरलादेवी सिकची, धनुज ठाकुर,संगीता टवानी, निशा जाजू, सुरेखा राठी, मालानी, उमा जाजू, कल्पना मेश्राम, अनुराधा वाडी, मीना ठाकरे, ओमप्रकाश चांडक, रामेश्वर गग्गड, अशोक जाजू, कमल सोनी, राजकुमार टवानी, घनश्याम मालानी, जय जोशी, संजय भूतड़ा, सत्यप्रकाश गुप्ता, सतीश शर्मा, जनार्दन मार्के, रविभाऊ कोलपकर, सुयोग भूतड़ा आदि समेत, गुरुकृपा सत्संग समिति अमरावती के सभी सदस्य श्री रामकथा महायज्ञ की सफलता हेतु निरंतर प्रयत्नशील रहे. कथा के समापन में पूर्णाहुति हवन विधिविधान के साथ सम्पन्न किया गया.