
* चैत्र नवरात्री, छोटे से गांव में अनेक रोजगार
अमरावती /दि.21- अंजनगांव सुर्जी तहसील में जागृत देवस्थान मुर्हादेवी में सबसे बडी विशेषता यही है कि, तीन पीढियों से केवल महिलाएं ही देवी की पूजा करती है. गर्भगृह में बच्चों को भी प्रवेश नहीं दिया जाता. चैत्र नवरात्री की तैयारी इस छोटे से ग्राम में चल रही है. मंदिर परिसर में मेले का स्वरुप आ गया है. दुकानें सजी हैं. जिससे ग्राम में लोगों को मेले के माध्यम से रोजगार के साधन उपलब्ध हुए है.
* क्या कहते हैं संस्था सचिव
मुर्हादेवी संस्थान के सचिव रमेश पांडे ने बताया कि, सतपुडा पर्वत श्रृंखला में बसा यह जागृत देवस्थान है. हरिजनों के लिए खुला यह देहातों का पहला मंदिर है. संस्थान अपने बालसंस्कारों, स्त्री शक्ति और सामाजिक जागरुकता के लिए भी प्रसिद्ध है.
* 3500 की बस्ती
ग्राम का नाम स्वाभाविक रुप से मुर्हा (देवी) के नाम पर है. यहां की जनसंख्या लगभग 3500 है. नवरात्री शुरु होनेवाली है. अत: पूजन सामग्री और अन्य वस्तुओं की दुकाने मंदिर के आसपास सज गई है.
* बच्चों को भी प्रवेश वर्जित
मुर्हादेवी की लगभग 800 वर्ष पुरानी प्रतिमा है. पुरातत्व विभाग ने भी प्रतिमा के अत्यंत पुरातन होने की बात स्वीकार की है. प्रदेश के कोने-कोने यहां देवी भक्त आते है. मंदिर में केवल महिलाओं को ही पूजन का अधिकार है. बच्चों का भी प्रवेश गर्भगृह में प्रतिबंधित है. संपूर्ण पूजन विधि महिलाएं करती है. पिछले अनेक दशकों से यह परंपरा है. पुरुष गर्भगृह के बाहर से दर्शन कर सकते हैं.
* गांधीजी का पत्र
मंदिर परिसर में महात्मा गांधी का पत्र लगाया गया है. जिसमें अछूतों के लिए मंदिर के दर्शन, पट खोलने का उल्लेख है. महात्मा गांधी ने इस बात के लिए ट्रस्टीयों का आभार इस पत्र के माध्यम से व्यक्त किया है.
* शहर से 80 किमी दूर
मुर्हा (देवी) अमरावती शहर से अमूमन 80 किमी दूर स्थित है. यहां निजी वाहनों और एसटी बसों से सहजता से जाया जा सकता है. दर्यापुर-अंजनगांव सुर्जी से भी मुर्हादेवी मंदिर नजदिक है. मंदिर में फिलहाल दो महिला पुजारी संपूर्ण समय सेवा दे रही है.