अमरावती

खुले भूखंड बने कचरा फेंकने की जगह

संक्रामक बीमारिया फैलने का खतरा

  • आस-पडोस में रहनेवाले लोग हुए त्रस्त

  • शहर में है करीब 4600 खाली प्लॉट

  • प्रशासन खोज रहा प्लॉट धारकों को

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२४ – जहां एक ओर कई लोगों के पास घर बनाने के लिए जमीन नहीं है, वहीं दूसरी ओर कई लोगों ने निवेश के लिए कई ले-आउट में जमीन खरीदकर उसे खाली छोड दिया है. ऐसे खाली प्लॉट का उपयोग परिसरवासियों द्वारा अपने घरों से निकलनेवाला कचरा फेंकने हेतु किया जाता है. जिससे इन खाली प्लॉट के आसपास घर बनाकर रहनेवाले लोगों को काफी तकलीफों का सामना करना पडता है. साथ ही ऐसे प्लॉटस् पर खुले में फेंंके जानेवाले कचरे एवं गंदगी की वजह से आसपास के क्षेत्र में संक्रामक बीमारिया फैलने का भी खतरा होता है. ऐसे में अब मनपा प्रशासन द्वारा ऐसे प्लॉटधारकों की खोजबीन शुरू की गई है. हालांकि ऐसे प्लॉटधारकों को मनपा की ओर से केवल साफ-सफाई के लिए नोटीस ही जारी की जाती है और इसके अलावा कोई कार्रवाई नहीं होती.
बता दें कि, अमरावती शहर के अलग-अलग लेआउटस् में करीब 4 हजार 600 प्लॉट रिक्त पडे है, जो किसी न किसी की व्यक्तिगत मिलकीयत है. इन प्लॉटस् को संबंधितों द्वारा केवल निवेश के लिए ही खरीदा गया और खरीदकर खाली छोड दिया गया. वहीं आसपास स्थित अन्य प्लॉटस् पर प्लॉटधारकों द्वारा अपने घर बना लिये गये. ऐसे में लोगों के घरों के बीच खाली पडे प्लॉट पर घास-फूस व झाड-झंखाड उग आये है. साथ ही वहां पर परिसरवासियों द्वारा अपने घरों का कचरा भी लाकर फेंका जाता है. जिससे ले-आउट की सुंदरता तो नष्ट होती है, साथ ही गंदगी और दुर्गंध की वजह से संक्रामक बीमारिया फैलने का भी खतरा होता है. ऐसे में अब मनपा द्वारा रिक्त रहनेवाले प्लॉट के मालिकों की खोजबीन की जा रही है.
पता चला है कि, मनपा क्षेत्र में रिक्त रहनेवाले प्लॉट में से 10 फीसद प्लॉटधारकों के बारे में मनपा प्रशासन के पास कोई जानकारी भी उपलब्ध नहीं है. इससे सीधे-सीधे मनपा की आय भी प्रभावित होती है. क्योंकि खाली पडे प्लॉटस् पर भी मनपा द्वारा संपत्ति कर लगाया जाता है, चूंकि संपत्ति धारक का ही अता-पता नहीं है, तो संपत्ति कर कहां से वसूल होगा. इसके अलावा ऐसे प्लॉटस् की देखभाल का जिम्मा किसकी ओर है, इसे लेकर भी मनपा की आमसभा में सवाल उठाया गया था. जिसमें तय किया गया था कि, लेआउट के मालिक पर इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाये. किंतु अब तक इसे लेकर कोई भी नीति तय नहीं हो पायी है. वहीं दूसरी ओर ऐसे खुले प्लॉटस् के आसपास रहनेवाले लोगों को बिना वजह कचरे एवं गंदगी सहित दुर्गंध की समस्याओं का सामना करना पड रहा है. कई लेआउट तो ऐसे है, जो 10 वर्ष पहले बनाये गये थे और तुरंत ही सभी प्लॉट भी बिक गये थे. किंतु कई लेआउट में अब भी विगत दस वर्षों से कई प्लॉट खाली पडे है और उन खाली प्लॉटस् के अडोस-पडोस में रहनेवाले लोगों को नाहक ही कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड रहा है.

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