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जेनरिक दवा लिखने की जबर्दस्ती का विरोध

आयएमए ने कहा- बगैर ट्रैक ट्रेन चलाने की कोशिश

* मरीजों के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंंगे
अमरावती/दि.16- राष्ट्रीय मेडिकल काउंसिल एनएनसी और केंद्र सरकार की एजंसी के जेनेरिक दवाएं लिखने के बंधनकारक आदेश का इंडियन मेडिकल असो. ने विरोध किया है. असो. के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. ठाकरे ने आयएमए का अधिकृत बयान अमरावती मंडल को भेजा है. जिसमें शासन निर्णय का विरोध करते हुए कहा गया कि ऐसा निर्णय करने से पहले शासन को आयएमए व अन्य संबंधित से चर्चा. विचार विमर्श करना था. आयएमए ने सरकार के कदम को बगैर ट्रैक के ट्रेन चलाने जैसा निरुपित किया. उसी प्रकार आपात स्थिति में जेनरिक के नाम पर मरीजों की जान से खिलवाड़ नहीं होने देने की बात भी कही है. आयएमए के अमरावती अध्यक्ष डॉ. अश्विनी देशमुख, पदाधिकारी डॉ. संदीप दानखडे, डॉ. पांढरीकर ने ऐसी ही प्रतिक्रिया दी है. शासन के निर्णय का अधिकांश चिकित्सक विरोध कर रहे हैं.
सरकारी यंत्रणा ने गत 2 अगस्त को जारी आदेश में देशभर में चिकित्सकों को जेनेरिक दवाएं लिखना बंधनकारक किया है. ऐसा न किए जाने पर सनद रद्द करने की भी चेतावनी दी गई है. उसी प्रकार चिकित्सकों के अक्षर पर प्रश्न उठाते हुए दवा की चिट्ठी टाईप कर देने कहा गया है. आयएमए ने दो पेज का प्रेस नोट जारी कर इसकी मुकालफत की है.
* कंपनियों को दें निर्देेश
आयएमए ने कहा कि सरकार जेनेरिक दवाएं लिखने पर इतना ही जोर देना चाहती है, बंधनकारक करना चाहती है तो पहले वह दवा कंपनियों को निर्देश दे कि वे जेनेरिक नाम से दवाएं बनाए. ब्रांड का नाम न दें. इससे सब कुछ आसान हो जाएगा. किसी को ब्रांड नाम लिखना ही नहीं पड़ेगा. आयएमए ने मेडिकल काउंसिल और सरकार से जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता पर ध्यान देने और मरीज को कोई नुकसान पहुंचने अथवा फायदा न होने की स्थिति में जिम्मेदारी लेने भी कहा.

एक कंपनी बनाएं एक दवा
आयएमए के महाराष्ट्र अध्यक्ष डॉ. दिनेश ठाकरे ने कहा कि सरकार को सभी ब्रांडेड दवाओं पर प्रतिबंध लगाकर कड़ी निगरानी में गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाओं के उत्पाद पर ध्यान देना चाहिए. उसी प्रकार एक कंपनी को एक ही दवा बनाने और पूरे भारत में एक समान दाम रखने का बंधन होना चाहिए. उसी प्रकार दवा की गुणवत्ता का चयन डॉक्टर करेंगे, न कि रुग्ण अथवा केमिस्ट.

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