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विपक्ष बिफरा, सत्तापक्ष के नेताओं ने किया बचाव

मंत्री पदों की है मर्यादा, सरकार हमारी, लाएंगे भरपूर फंड

* विधायक सुलभा खोडके का कहना
* जिले को मंत्रिमंडल में नहीं मिला स्थान
अमरावती/दि.16-अंबानगरी संभाग मुख्यालय रहने पर और जिले से महायुति के सात विधायक चुने जाने के बावजूद एकभी विधायक या लीडर को मंत्रिपद नहीं मिलने से जहां जिले में मायूसी सी देखी जा रही है, वहीं सत्तापक्ष अपनी सरकार के फैसले का बचाव करने की मुद्रा में है. वहीं विपक्ष के लीडर्स इसे जिले का और जनादेश का अपमान बता रहे हैं.

प्रत्येक जिले को मंत्री पद संभव नहीं
अमरावती की विधायक और राकांपा अजित पवार गट की नेता सुलभा संजय खोडके ने जिले को प्रतिनिधित्व नहीं मिलने के मुद्दे पर दो टूक कहा कि, सदन की 15 प्रतिशत की मर्यादा आने से प्रत्येक जिले को मंत्री पद मिलना अब संभव नहीं हो पाता, उसी प्रकार गठबंधन सरकार की भी अपनी मर्यादाएं होती है. प्रत्येक समाज, क्षेत्र और अनेक दलों की सरकार रहने से उनके लीडर्स को कैबिनेट में लेने का दबाव रहता है. ऐसे में अमरावती जिले को भले ही इस समय मंत्री पद नहीं मिला है, किन्तु सरकार हमारी है. हम पहले भी काफी विकास निधि खींच लाए हैं. इस बार भी ऐसा ही होगा. अमरावती के लिए किसी भी प्रकल्प हेतु फंड की कमी नहीं होने दी जाएगी, उसी प्रकार नए प्रकल्प भी बराबर प्रस्तावित और साकार होंगे. सुलभा खोडके ने कहा कि, मंत्री पद रहने पर ही जिले की तरक्की होगी, इसकी गारंटी नहीं रहती. पहले भी जिले के बाहर के लीडर्स पालकमंत्री रहे हैं. सुलभा खोडके ने यह पूछे जाने पर कि, यवतमाल जिले को तीन-तीन पद प्राप्त हुए हैं, जबकि अमरावती की पाटी कोरी रह गई, खोडके ने तुरंत कहा कि, तीन दलों की सत्ता के बावजूद एकदूसरे को उन नेताओं का पता नहीं चलता कि किसे मंत्री पद दिया जाना है. हमारी पार्टी को इंद्रनील नाईक को मंत्री बनाना था. बीजेपी ने आदिवासी समाज को प्रतिनिधित्व देने के लिए अशोक उईके को अवसर दिया है. शिवसेना शिंदे गट के संजय राठोड पहले भी मंत्री रहे हैं. सुलभा खोडके ने प्रश्न के उत्तर में कहा कि, जिले के बाहर का व्यक्ति भी पालकमंत्री रहने पर भरपूर फंड जिले में आया था. सुलभा खोडके ने चंद्रकांत दादा पाटिल का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि, पहले राज्य मंत्रिमंडल में 60-65 लोग हुआ करते थे. अब उस पर 15 प्रतिशत सदन सदस्य संख्या का नियम आ गया है. संख्या 43 पर रोकनी पडती है. इसलिए प्रत्येक जिले को मंत्री पद मिलेगा या नहीं इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता.
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पार्टी का निर्णय मान्य
धामणगांव रेलवे के विधायक, बीजेपी नेता प्रताप अडसड ने पार्टी के निष्ठावान सिपाही की तरह सीमित शब्दों में प्रतिक्रिया दी कि, पार्टी का निर्णय उन्हें मान्य है. गठबंधन सरकार चलाते समय इस प्रकार के निर्णय होते हैं. हमारी पार्टी अपने अनुशासन के लिए जानी जाती है. विकास कार्यों की बात करें तो पिछली बार भी जिले के बाहर के व्यक्ति पालकमंत्री थे, बावजूद इसके भरपूर फंड जिले में लाया गया. हजारों करोड के विकास कार्य चल रहे है. उसी प्रकार नए प्रस्तावों को भी मंजूर करवाकर लाना हम विधायकों का कार्य है. यह जिम्मेदारी अपनी ही सरकार होने से बखूबी पूरी होगी. प्रताप अडसड ने कहा कि, जिले का पालकमंत्री ही अधिक फंड लाएगा, इसकी कोई गारंटी नहीं हैं. चंद्रकांत पाटिल के रहते अमरावती में भरपूर प्रकल्प शुरु हुए हैं.

16 जिलों को नहीं मिला स्थान
अमरावती के भाजपा जिला अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने कहा कि, 16 जिलों को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला है. इसलिए नाराजगी का कोई सवाल ही नहीं है. अमरावती जिले की प्रगति पर कोई बुरा असर नहीं पडने वाला. पहले भी दूसरें जिले के निवासी लीडर यहां के पालकमंत्री रह चुके हैं. सांसद बोंडे ने कहा कि, कुछ समीकरण, कुछ कॉम्बिनेशन की मर्यादाएं गठबंधन सरकार में रहती हैं. अमरावती के लोगों को विश्वास है कि, विकास की डगर पर जिला पहले के समान गतिमान रहेगा. क्योंकि, अमरावती जिला मुख्यमंत्री देवेेंद्र फडणवीस का ननिहाल है. उनसे सीधा जुडा है. इसलिए पालकमंत्री न रहने पर भी अमरावती के विकास प्रकल्पों और कामों में कोई कमी या बाधा नहीं आएगी. डॉ. बोंडे ने रविवार को हुए राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार को समन्वय से पूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि, समाज और प्रादेशिक क्षेत्र का संतुलन साध्य किया गया है. तथापि डॉ. बोंडे ने निकट भविष्य में अमरावती जिले में स्थान प्राप्त होने की आशा व्यक्त की. स्मरण करा दें कि, डॉ. बोंडे का नाम भी मंत्री पद के होड में चल रहा था. वे पहले कृषि मंत्री रह चुके हैं. डॉ. बोंडे ने संकेत दिए कि, ढाई वर्ष बाद भी अमरावती को मंत्री पद प्राप्त हो सकता है. इतना जरूर है कि, अमरावती आगे बढता रहेंगा. महायुति के सभी सात विधायक जिले को आगे बढाते रहेंगे

कोई नाराजी नहीं, विकास नहीं थमेगा
बीजेपी के तिवसा के विधायक राजेश वानखडे ने भी जिले से किसी नेता को मंत्री पद नहीं मिलने का खेद तो जताया, किंतु यह भी कहा कि, पार्टी का निर्णय मान्य है. निर्णय को लेकर कोई नाराजगी नहीं हैं. जहां तक विकास प्रकल्पों की बात है, हम सभी सात विधायक महायुति के हैं, जो भरपूर फंड लाएंगे, विकास कार्यों को गति देंगे, नए प्रकल्पों को भी साकार करेंगे. एक प्रश्न के उत्तर में वानखडे ने कहा कि, अकोला, वाशिम, भंडारा जैसे अनेक जिले है, जिन्हें अमरावती की तरह मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिला है, किंतु इससे कुछ फर्क नहीं पडने वाला है. अमरावती विकास की डगर पर आगे बढता रहेगा. मंत्री परिषद में मंत्रियों की संख्या को लेकर नियम रहने से अनेक जिले फिलहाल मंत्री पद से वंचित है. यवतमाल जिले को तीन मंत्री पद मिलने के प्रश्न पर चुनाव में यशोमति ठाकुर को हराने वाले वानखडे ने तुरंत कहा कि, तीन दलों के तीन नेताओं को वहां अवसर दिया गया है.

पर्याप्त निधि लाएंगे, मंत्री पद वरिष्ठों का निर्णय
अचलपुर के बीजेपी विधायक प्रवीण तायडे ने अमरावती संभाग मुख्यालय रहने पर भी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिलने को अमरावती की उपेक्षा मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने भी दोहराया कि, कई जिलों को इस बार चान्स नहीं मिला हैं. यह निर्णय पार्टी के वरिष्ठजनों ने लिया है, जो हमें मान्य है. तायडे ने कहा कि, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का अमरावती से विशेष प्रेम है. इसलिए अमरावती जिले के विकास कार्यों में कोई खंड नहीं आएगा. हम सभी सात विधायक मिलकर भरपूर निधि लाएंगे. तायडे ने कहा कि, अभी भी मंत्रिमंडल में तीन स्थान रिक्त है. उसे लेकर अमरावती जिले के महायुति लीडर्स आशान्वित हैं. उन्होंने अन्य जिले के लीडर के पालकमंत्री रहते विकास कार्यों पर बुरे प्रभाव की बात से भी साफ इनकार किया. तायडे ने कहा कि, पहले भी अन्य जिलों के नेताओं को पालकमंत्री की जिम्मेदारी दी गई है. विकास कार्य बराबर चलते रहे हैं, चलते रहेंगे.

शीघ्र मंत्री पद का स्पष्ट संकेत
मोर्शी-वरूड के युवा विधायक, बीजेपी नेता उमेश उर्फ चंदू यावलकर ने अमरावती मंडल से बातचीत में दावा किया कि, वरिष्ठों ने अमरावती को पद देने के स्पष्ट संकेत दिए हैं. अभी फडणवीस सरकार में तीन मंत्री पद रिक्त होने की ओर यावलकर ने ध्यान दिलाया. और कहा कि, वे और जिला भाजपा एवं महायुति इस बात को लेकर आशावान हैं. यावलकर ने यह भी कहा कि, जिले की तरक्की या विकास प्रकल्पों पर कोई बुरा असर नहीं होगा. हम महायुति के सात जनप्रतिनिधि शासन और प्रशासन को यहां की विकास योजनाएं प्राथमिकता से पूर्ण करने लगाएंगे. इसी प्रकार नए प्रकल्पों को भी साकार किया जाएगा. अमरावती जिला मुख्यमंत्री का नाना का गांव है. ऐसे में विकास कार्य थमेंगे नहीं. हम सभी विधायक मिलकर अमरावती के लिए पर्याप्त निधि लाएंगे. यहां के प्रकल्पों को तीव्रता से मंजूर करवाएंगे.


पार्टी ने दिलाया है मंत्री पद का भरोसा
मेलघाट के विधायक, बीजेपी नेता केवलराम काले ने कहा कि, अमरावती जिला द्वारा महायुति को दिए गए जबर्दस्त समर्थन से यहां के नेता को मंत्री पद मिलना ही चाहिए था. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भरोसा दिलाया है कि, निकट भविष्य में कैबिनेट में अमरावती को जरूर स्थान मिलेगा. काले ने कहा कि, भाजपा हाइकमान इस पर ध्यान देंगी, ऐसा हम सभी को विश्वास हैं. जहां तक विकास की बात करें तो, महायुति सरकार सत्ता में होने से फंड की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी. सभी विकास प्रकल्पों को तेजी से पूर्ण करने पर एक जनप्रतिनिधि के नाते हमारा बल रहेगा. काले से पूछा गया कि, रवि राणा के मंत्री बनने के चान्स बताए जा रहे थे. उन्होंने तुरंत कहा कि, अंदर की बात उन्हें नहीं मालूम. पहले सुना जा रहा था कि, राणा अवश्य कैबिनेट में होंगे. काले ने यह भी कहा कि, मंत्री पद के लिए जिले के सभी जनप्रतिनिधि वरिष्ठ नेताओं से गुहार लगाएंगे. समय आया तो लडेंगे भी. आखिर जिले का निवासी पालकमंत्री रहने से शासन-प्रशासन पर पकड अच्छी रहती है. लोगों के काम तत्परता से होते हैं.

जिले का होना चाहिए पालकमंत्री
दर्यापुर के विधायक, शिवसेना उबाठा नेता गजानन लवटे ने जिले के किसी लीडर को मंत्री पद दिए जाने पर अफसोस व्यक्त किया. उन्होंने यह भी कहा कि, महायुति अमरावती की घोर उपेक्षा कर रही है. जिले का निवाासी पालकमंत्री नहीं रहने से परिणाम होता ही है. डीपीसी समय पर नहीं होती. उसमें प्रस्तावित कामों पर निर्णय टलते हैं. लवटे ने कहा कि, वे भले ही विपक्ष दल के नेता है, किंतु अमरावती का मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं होने से यहां का नुकसान हो रहा है. भूतकाल में भी अमरावती जिले ने इस प्रकार का अनुभव किया है.

dr-sunil-deshmukh-amravati-mandal * अमरावती को लेकर दूसरी बार नकारात्मक निर्णय
इस संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कभी अमरावती के पालकमंत्री रह चुके कांग्रेस नेता डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, संभागीय मुख्यालय रहने वाले अमरावती जिले के हिस्से में एक भी मंत्री पद नहीं देना मौजूदा सत्ताधारी दल की पश्चिम विदर्भ क्षेत्र के प्रति अनास्था का परिचायक है और ऐसा लगातार दूसरी बार हुआ है. महायुति की पिछली सरकार में भी अमरावती जिले को कोई मंत्री पद नहीं दिया गया था तथा बाहर से वास्ता रखने वालों को पालकमंत्री बनाया गया था. जबकि बाहरी व्यक्ति का स्थानीय मसलों को लेकर कोई विशेष जुडाव नहीं रखता, बल्कि ऐसे लोग मेहमान की तरह आना-जाना करते है. जिसका विकास कर विपरित परिणाम पडता है.


* अकेले देवेंद्र ही काफी है, कोई फर्क नहीं पडेगा
बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी के खिलाफ बगावत करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड चुके भाजपा नेता तुषार भारतीय के मुताबिक भले ही महायुति की मौजूदा सरकार ने अमरावती जिले को एक भी मंत्री पद नहीं मिला है. लेकिन इसका जिले के विकास पर कोई फर्क नहीं पडेगा. भारतीय के मुताबिक भाजपा के बडे नेता व राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का अमरावती जिले के विकास की ओर पूरा ध्यान है तथा फडणवीस की वजह से ही बेलोरा विमानतल, पीएम मित्रा टेक्स्टाइल पार्क व सिंभोरा बांध से अमरावती तक नई पाइप लाइन डालने जैसे काम पूरे हो रहे है. ऐसे में भले ही अमरावती जिले के हिस्से में मंत्री या पालकमंत्री का पद नहीं आया है. ेेलेकिन फडणवीस के निर्देश पर अमरावती जिले का विकास पूरा होगा.

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* अब जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी बढी
अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से महायुति प्रत्याशी के खिलाफ बगावत करते हुए चुनाव लड चुके भाजपा से निष्कासित नेता व पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता के मुताबिक अमरावती जिले से भारी भरकम सफलता मिलने के बावजूद भी अमरावती जिले को एक भी मंत्री पद नहीं देना मौजूदा सरकार की ओर से अमरावती जिले की शत-प्रतिशत अनदेखी है. ऐसे में अब जिले के सभी मौजूदा जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी काफी अधिक बढ गई है कि, वे अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों का विकास साधने हेतु काम करें. यदि हमारे जनप्रतिनिधि ऐसा करने में नाकाम साबित होते है, तो फिर हमें जनता को लेकर मैदान में उतरने की जिम्मेदारी उठानी होगी.


* जिले को कैबिनेट में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए था
अमरावती संसदीय क्षेत्र के कांग्रेसी सांसद बलवंत वानखडे ने इस संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, जिस अमरावती जिले से महायुति को विधानसभा चुनाव में इतनी बडी सफलता मिली है. उस अमरावती जिले को महायुति की सरकार ने कैबिनेट में प्रतिनिधित्व देना ही चाहिए था. यदि अमरावती जिले के एक-दो विधायकों को मंत्री बनाया जाता, तो यह जिले के लिहाज से काफी अच्छा रहा होता. हालांकि अब भी कोई विशेष फर्क नहीं पडेगा.


* समझ से परे फैसला व नीति
मविआ सरकार के दौरान राज्य की महिला व बालविकास मंत्री तथा जिला पालकमंत्री रह चुकी तिवसा निर्वाचन क्षेत्र की पूर्व विधायक एड. यशोमति ठाकुर के मुताबिक कैबिनेट विस्तार से अमरावती जिले को पूरी तरह बाहर रखने के संदर्भ में महायुति की सरकार द्वारा लिया गया फैसला समझ से परे है. यह साफ तौर पर संभागीय मुख्यालय रहने वाले अमरावती जिले की अनदेखी है. जिसके लिए जिले के भाजपा व महायुति पदाधिकारियों ने अपनी-अपनी पार्टियों के नेताओं से सवाल-जवाब करने चाहिए. साथ ही पूर्व मंत्री यशोमति ठाकुर ने यह भी स्पष्ट किया कि, मौजूदा सरकार द्वारा पश्चिम विदर्भ की तुलना में पूर्वी विदर्भ के विकास की ओर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है तथा संभवत: नागपुर को ही पूरा विदर्भ मान लिया गया है.


* पार्टी द्वारा कुछ सोच समझकर ही लिया गया फैसला
इस बारे में प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व पालकमंत्री व भाजपा के शहराध्यक्ष प्रवीण पोटे पाटिल का कहना रहा कि, कैबिनेट विस्तार के समय किसे मंत्री बनाना है और किसे नहीं, इसका फैसला पूरी तरह से पार्टी नेतृत्व एवं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथों में था तथा उन्होंने कुछ सोच-समझकर ही फिलहाल अमरावती जिले के किसी भी विधायक को कैबिनेट में शामिल नहीं करने का निर्णय लिया होगा. साथ ही अमरावती जिले के लिए कोई अलग योजना व नीति बनाई गई होगी. जिसका खुलासा जल्द ही हो जाएगा. साथ ही उम्मीद की जानी चाहिए कि, अगले कैबिनेट विस्तार में पार्टी नेतृत्व द्वारा अमरावती जिले के विधायकों को मौका देने के बारे में विचार जरुर किया जाएगा. क्योंकि फिलहाल मंत्री बनाये गये विधायकों के कामों का ढाई वर्ष बाद मूल्यांकण भी होगा, यानि एक तरह से रोटेशन पद्धति पर अमल किया जाएगा. जिसमें अमरावती के विधायकों का भी नंबर लगेगा.

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