पूर्व सैनिकों को खेल शिक्षक के रूप में नियुक्ति देने के निर्णय का विरोध
शारीरिक शिक्षक संगठन आक्रामक
मोर्शी / दि.२९- पूर्व सैनिकों को क्रीड़ा शिक्षक के रूप में नियुक्त करने संबंध में जारी किए शासन निर्णय का शारीरिक शिक्षक संगठन ने निषेध किया है. इस निर्णय को रद्द करने की मांग संगठन ने की है. सैनिक फेडरेशन व सैनिक समन्वय समिति,महाराष्ट्र राज्य व शासकीय पुनर्नियुक्ती पूर्व सैनिक संगठन के पदाधिकारियों ने की मांग के तहत शालेय शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में ११ नवंबर २०२२ को बैठक हुई थी. इस बैठक के अनुसार व हालही में संपन्न हुए अधिवेशन में ब्रिफिंग के समय शालेय शिक्षा मंत्री ने पूर्व सैनिकों को कक्षा ८ वीं से १० के लिए कुल पांच शालाओं के लिए एक खेल शिक्षक के मुताबिक क्रीडा शिक्षकों की नियुक्ति करने के आदेश शिक्ष विभाग को दिए गए है. शासन के इस निर्णय के कारण राज्य के क्रीडा क्षेत्र में खलबली मची है. शारीरिक शिक्षा विषय में डिग्री प्राप्त करने वाले युवाओं में अस्वस्थता निर्माण होती दिख रही है. बीपीएड, एमपीएड जैसे अभ्यासक्रम पूर्ण कर क्रीडा शिक्षक बनने का सपना देखने वाले खिलाडी प्रशिक्षकों के समक्ष इस निर्णय से समस्या निर्माण हो गई है. आर्थिक बचत के नाम पर शालेय शिक्षा प्रणाली को नजरअंदाज कर छात्रों के शारीरिक व मानसिकता का विचार न करते हुए सरकार ने लिए इस अविचारी निर्णय को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है. यह निर्णय वापस लेने की मांग शारीरिक व क्रीडा शिक्षक संगठन ने की है.
स्नातकों पर संकट
महाराष्ट्र में साल २०१२ से बीपीएड, एमपीएड डिग्री लेकर नोकरी की प्रतीक्षा में रहने वाले दो से तीन लाख स्नातकों पर संकट आ गया है. स्नातक के लिए जीवन के सात से आठ वर्ष कडी मेहनत करने वाले स्नातकों को छोडकर जिसने देश सेवा कर सेवानिवृत्ति के बाद परिवार की रोजी रोटी अच्छी चले, इसके लिए सरकार ने पेंशन की व्यवस्था करवाई है. उनके हित में ही फैसला किया है और स्नातकों को ही बेरोजगार किया जा रहा है.
– राजेंद्र कोतकर, अध्यक्ष
महाराष्ट्र शारीरिक शिक्षण व क्रीडा शिक्षक महासंघ
निर्णय पर सोचने की आवश्यकता
शालेय स्तर पर प्राथमिक,माध्यमिक, उच्च माध्यमिक प्रवर्ग के ‘आरोग्य व शारीरिक शिक्षण’ अभ्यासक्रम व शालेय क्रीडा स्पर्धा आयोजन, नियोजन, सहभाग, टीम चयन व स्पर्धा सहभाग इस संदर्भ की कार्यप्रणाली अंतर्गत करने वाले काम और आवश्यक संबंधित विषय की व्यवसायिक शिक्षा, प्रशिक्षण का शासन निर्णय के मुताबिक आवश्यकता होती है. ऐसी अनेक प्रशासकीय और कानूनी प्रक्रिया की पूर्तता करने के बाद ही क्रीडा शिक्षक के रूप में शालेय स्तर पर नियुक्ति के लिए सरकार मंजूरी देती है. बावजूद इसके शालेय शिक्षा विभाग व क्रीडा मंत्री ने किसा तात्विक आधार पर भर्ती प्रक्रिया के अंतर्गत पूर्व सैनिकों को शालेय क्रीडा शिक्षक के रूप में नियुक्ति देने का निर्णय लिया है, इस पर सोचने की आवश्कता है.
– शिवदत्त ढवले, सहसचिव
भविष्य के साथ खिलवाड़
राज्य में वर्तमान स्थिति में लाखों स्नातक, डिप्लोमा धारक युवक पिछले एक दशक से शालेय स्तर पर क्रीडा शिक्षक नियुक्ति के लिए बाट जोह रहे है. उनके बजाय क्रीडा शिक्षक के रूप में पूर्व सैनिकों की नियुक्ति करना यानि बेरोजगारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है.
– प्रदीप खडके, अध्यक्ष
अमरावती जिला शारीरिक शिक्षण विषय समिति
सरकार पुन: सोचें
सेवानिवृत्त हुए पूर्व सैनिकों के प्रति हमें आदरभाव है, किंतु सीधी भर्ती प्रक्रिया अंतर्गत पूर्व सैनिकों को शालेय स्तर पर क्रीडा शिक्षक के रूप में नियुक्ति का शासन निर्णय अनाकलनीय है. आर्मी का कठोर प्रशिक्षण और शालेय स्तर पर बालकों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण में काफी अंतर है. इसलिए सरकार ने निर्णय पर पुन: सोचने की जरूरत है.
– श्रीकांत देशमुख,उपाध्यक्ष,
अमरावती जिला शारीरिक शिक्षण विषय समिति
युवाओं पर अन्याय
जिस विषय के माध्यम से छात्रों का शारीरिक,मानसिक,बौद्धिक,सामाजिक,नैतिक अर्थात सर्वांगीण विकास किया जाता है. ऐसे महत्वपूर्ण विषय की ओर शासन की संचमान्यता में अनदेखी की गई है. इसमें पूर्व सैनिकों की क्रीडा शिक्षक के रूप में नियुक्ति का निर्णय क्रीडा क्षेत्र में असंतोष निर्माण करने वाला है. बीपीएड, एमपीएड जैसे अभ्यासक्रम पूर्ण कर क्रीडा शिक्षक बनने का सपना देखने वाले युवाओं पर अन्याय करने वाला है.
-डॉ.नितीन चव्हाले, सचिव
अमरावती जिला शारीरिक शिक्षण विषय समिति