* चिल्लर में 30 रुपए किलो तक गिराये रेट
शेंदूरजनाघाट/दि.2 – कभी सूखा, कभी अतिवृष्टि और कभी जलवायु परिवर्तन का खामियाजा किसान वर्ग को हमेशा सहन करना पडा है. ऐसे में संतरा उत्पादक इस बार गिरती कीमतों से दिक्कत में आ गये है. व्यापारी बेभाव संतरा मांग रहे हैं. जिससे संतरा उत्पादक किसान कह रहे हैं कि, कबाड से भी गया गुजरा हो गया है संतरा. कबाड 35-40 रुपए किलो खरीदा जा रहा. संतरे को उतना भी रेट नहीं मिल रहा. व्यापारी शासन-प्रशासन पर तोहमत लगा रहे हैं. उनका कहना है कि, कस्टम ड्यूटी बढाये जाने से निर्यात प्रभावित हुआ है. जिससे देशज मार्केट में संतरे के दाम लुढके हैं.
* वरुड में करोडों का कारोबार
वरुड और मोर्शी को संतरा बेल्ट कहा जाता है. हालांकि बारिश और अन्य कारणों से उत्पादन प्रभावित हुआ है. फिर भी वरुड तहसील मेें सैकडों-करोड का संतरे का कारोबार रहता आया है. इस बार आंबिया बहर के संतरे को बेहद तेज तापमान का झटका लगा था. आधा बहर जाया हो गया था. मृग नक्षत्र में बारिश नदारद रही. इसके कारण संतरें के पेडों में मृग बहार के संतरे नहीं हुए. इसके बाद 3 माह ुजुलाई, अगस्त, सिंतबर में भारी बारिश के कारण संतरा फल गिर गये. ऐसे में पेढों पर विविध रोगों का प्रादूर्भाव भी हुआ. जिससे संतरे का उत्पादन इस बार 25 प्रतिशत भी नहीं रह गया है.
* कम संतरा, रेट भी कम
आम तौर पर बाजार में मांग से कम आपूर्ति की स्थिति में उस चीज के दाम बढते हैं. संतरें के साथ उलटा हो रहा है. संतरें का उत्पादन इस बार अत्यल्प बताया जा रहा. ऐसेे में संतरें का होलसेल रेट 30-35 रुपए रहना चाहिए था. कैरेट का भाव भी 700 रुपए तक होना था. मगर व्यापारियों ने 15 से 20 रुपए से ही उत्पादकों से खरीदी शुरु की है. संतरा उत्पादक किसान परेशान नजर आ रहा है. संतरे को राजाश्रय की नितांत आवश्यकता है. किसानों ने मीडिया से बात करते हुए सरकारी दखल की अपेक्षा व्यक्त की है. उन्होंने नरेंद्र मोदी के उस भाषण को भी याद दिलाया जब मोदी ने चांदूर रेल्वे में भरी जनसभा में कहा था कि, दुनिया को संतरे का जूस पिलाने वाला विदर्भ का किसान जहर पीने विवश हो रहा है.
* किसानों को दे मुआवजा
संतरा बडे प्रमाण में गल गया है. बाजार में भी आवक कम है. ऐसा रहने पर भी संतरे के दाम गिराये जा रहे है. किसानों के लिए चिंता का कारण है. सरकार ने संतरा उत्पादक किसानों को कम से कम ढाई लाख रुपए मुआवजा देना चाहिए.
– स्वप्निल देसली, संतरा उत्पादक, तिवसा घाट
* क्या कहते है व्यापारी
अब तक संतरे की 50 से 100 गाडियां रोजाना बांगलादेश भेजी जाती. मगर कस्टम की ड्यूटी बढने से केवल 8-10 गाडियां जा रही है. संतरे में उठाव नहीं है. कस्टम ड्यूटी न बढती, तो आज संतरा 35-50 रुपए प्रति किलो रेट से बेचा जा सकता था.
– रियाज खान, संतरा व्यापारी.