मोर्शी/दि.19-तहसील में शीतलहर के कारण किसानों में असमंजस की स्थिति निर्माण हो गई है. इससे संतरे के बगीचों पर संकट मंडराया है. नवंबर के दूसरे पखवाडे में किसानों ने आंबिया बहार के प्रकोप को देखते हुए संतरे के बगीचों में निगरानी शुरू कर दी थी, लेकिन मौजूदा स्थिति में ठंड के कहर के कारण संतरा बगीचों को खतरा निर्माण हो गया है.
तहसील के साथ ही वरूड में बडे पैमाने पर संतरे की खेती किसानों द्वारा की जाती है. मोर्शी ही नहीं बल्कि जिले में अचलपुर सहित अन्य कुछ इलाकों में भी संतरे की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. अचलपुर तहसील में सतपुडा की तलहटी में स्थित धोतरखेडा, एकलासपुर, धामणगांव गढी, सावली, हनवतखेड़ा, दर्याबाद, मल्हारा, नर्सरी, गौरखेडा कुंभी, धामणी, देवगांव, बोपापुर क्षेत्रों में फिलहाल संतरा बगीचों की सिंचाई 15 नवंबर से की जाती है. आमतौर पर जनवरी के अंतिम सप्ताह से बगीचे में बदलाव दिखाई देने लगती है. चूंकि इस क्षेत्र की मिट्टी पथरीली है, इसलिए इस क्षेत्र के बगीचों पर जल्दी दबाव पडता है. संतरे के बगीचों में फल टूटने के बाद किसानों ने पानी छोडने से पहले विभिन्न कार्य निपटाए. हालांकि मेहनत महंगी है, लेकिन बगीचे में पेड़ों से सूखी लकडियां हटाने, निराई-गुड़ाई करने, गोबर लगाने, इंटरक्रॉपिंग पर हजारों रुपए खर्च हो गए हैं. इसके अलावा रासायनिक उर्वरकों की मात्रा और कीटनाशकों का महंगा छिडकाव भी किया जा रहा है. मोर्शी तहसील में संतरे की स्थिति को ल