तिवसा/ दि.11 – इस बार शुरुआती दौर में संतरे के बाजार भाव संतोषजनक थे, लेकिन किसानों का संतरा बडे पैमाने पर बाजार में आने से एकाएक संतरे के भाव गिर गये. सेहत के लिए फायदेमंद रहने वाले संतरा फल परिपूर्ण होने और देश सहित विदेशों में भी अच्छी खासी डिमांड होने पर भी बीते 5 वर्षों से संतरा उत्पादक किसान मुसीबत ही झेल रहे है.
बता दें कि, इस वर्ष अंबिया बहार संतरे को प्राकृतिक आपदा का झटका लगा. फिर भी लाखों टन संतरा किसानों के बागानों में नजर आ रहा है. दीपावली के बाद संतरा फलों की डिमांड बढेगी और बाजार में तेजी आयेगी, यह अनुमान जताया जा रहा था, लेकिन अब तक व्यापारी संतरा फलों की खरीदी संतोषजनक भाव में नहीं कर रहे है. जिसके चलते जिस भाव में मिले उसी भाव में संतरा बेचने की नौबत संतरा उत्पादक किसानों पर आयी है. विदर्भ में सर्वाधिक संतरे का उत्पादन लिया जाता है. विश्व के बाजार में नागपुरी संतरा के रुप में यहां के संतरे को पहचाना जाता है. संतरे की गुणवत्ता और स्वाद और मिठास काफी बेहतर रहने से देश विदेश में इसकी डिमांड है, लेकिन सरकार ने इस ओर नजरअंदाज करने का काम किया है. संतरा फलों की मार्केटिंग ठिकठाक ढंग से नहीं हो रही. इसके अलावा विदर्भ में संतरा स्टोअर अवशेष का प्रबंधन नहीं रहने से विशिष्ठ अवधि के बाद किसानों को अपने संतरा बागानों को खाली करना पडता है. किसानों की इसी कमजोरी का फायदा उठाते हुए स्थानीय व्यापारी कवडीमोल भाव से किसानों के संतरा खरेदी कर बाहरी राज्य अथवा विदेशों में भेजकर अच्छा खास मुनाफा कमाते है. बीते 5 वर्षों से संतरा उत्पादकों पर प्राकृतिक आपदाओं ने कहर ढाने का काम किया है. जिससे लागत खर्च भी नहीं निकल पा रहा है. जिले के कुछ संतरा बगायतदारों ने अपने संतरा बगानों पर बुलडोजर चलाकर बगीचे नष्ट कर दिये है. इसलिए सरकार ने समय रहते ठोस उपाय योजनाएं करनी चाहिए.
तहसील स्तर पर किया जाए नियोजन
भविष्य में संतरा उत्पादकों को जिंदा रखना है तो कृषि विभाग ने इस विषय को योग्य ढंग से संभालना चाहिए. संतरे की गुणवत्ता के अनुसार उसके दर भी प्रशासकीय यंत्रणाओं व्दारा निर्धारित करना चाहिए. इसके अलावा प्रशासन ने तहसील स्तर पर संतरा स्टोरेज हाउस की निर्मिति की जाए, तभी खरीदी बिक्री के व्यवहार में किसानों की होने वाली धोखाधडी को टाला जा सकता है, वहीं संतरा उत्पादकों को राहत दी जा सकती है, इस आशय का मत कृषि विशेषज्ञों ने जताया है.