* आचार संहिता के कारण हुआ विलंब
* अगली कक्षाओं में प्रवेश की प्रक्रिया प्रारंभ
अमरावती/दि.7– जिले में सभी लडकियों को शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से मेडिकल, इंजीनियरिंग के साथ उच्च शिक्षा ग्रहण करने का नि:शुल्क अवसर प्राप्त होगा, ऐसी घोषणा उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने की थी. फिलहाल महाविद्यालयों में प्रवेश लेने इच्छुक अभिभावकों ने नि:शुल्क शिक्षा सेवा का लाभ प्राप्त हो, ऐसी मांग शुरु की है. लेकिन संस्थाओं को लिखित आदेश न रहने से वह आदेश का इंतजार कर रही है. बता दे कि, उच्च कक्षाओं में प्रवेश प्रक्रिया शुरु हो गई है. सीईटी के बाद नीट का नतीजा भी आने से अगस्त में एमबीबीएस, डेंटल कॉलेज के दाखिले शुरु होनेवाले हैं. इंजीनियरिंग सहित सभी प्रकार की उच्च शिक्षा की लडकियों की फीस सरकार भरेगी.
कक्षा 10 वीं व 12 वीं के नतीजे घोषित हुए है. 11 वीं के साथ स्नातक, स्नातकोत्तर, इंजीनियरिंग, मेडिकल, फार्मसी जैसे विषयों में प्रवेश की तैयारी जारी है. प्रवेश के लिए लाखों रूपए की फीस महाविद्यालय प्रशासन द्वारा ली जाती है. जबकि उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री ने इस शैक्षणिक सत्र से लडकियों को उच्च शिक्षा का नि:शुल्क लाभ मिलेगा, ऐसी घोषणा के साथ ‘फ्री एज्युकेशन स्कीम फॉर गर्ल्स इन महाराष्ट्र’ लागू की है. इस योजना में 800 से ज्यादा पाठ्यक्रमों का समावेश है. जहां छात्राओं को प्रवेश लेने पर किसी प्रकार का शुल्क अदा नहीं करना होगा.
अब शिक्षा संस्था व अभिभावकों में विवाद की स्थिति उत्पन्न हुई है. यह विवाद केवल यहां तक ही सीमित नहीं है. प्रवेश शुल्क के नाम पर पैसे खाने के आरोप अब संस्था चालकों पर होने लगे है.
शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में पारंपरिक के साथ व्यवसायिक पाठ्यक्रम प्रवेश प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है. व्यवसायिक पाठ्यक्रम प्रवेश शुल्क छात्राओं की दृष्टि से अधिक है. फिर भी अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा प्रदान करने अभिभावक कर्ज निकालकर उन्हें इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश दिलवा रहे है. इतना करने के बाद भी नौकरी की गारंटी नहीं है. नौकरी मिली तो पैकेज कितना होगा, इस बात पर भविष्य निर्भर है.
इस कारण मध्यमवर्गीय परिवार अपनी बेटी को व्यवसायिक पाठ्यक्रम में प्रवेश दिलाने हिचकिचाहट महसूस करते है. इसका उपाय सुझाते हुए उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने यह शिक्षा केवल लडकियों को नि:शुुल्क करने की घोषणा की थी. जिसका सभी स्तर पर स्वागत किया गया. किंतु प्रत्यक्ष में इस पर अमल नहीं हो पाया है.