मूर्तिकार लौटा रहे मंडलों के ऑर्डर
4 महिनों का काम डेढ महिने में पूर्ण करने का चैलेंज
* इस वर्ष श्रीमूर्तियों के किल्लत की संभावना
* शहर में है 200 से अधिक कारागिर
अमरावती/दि.30– इस वर्ष का गणेशोत्सव कुछ ही दिनों पर है. बुधवार 31 अगस्त को इस वर्ष की श्रीगणेश स्थापना होगी. उससे पहले सभी श्रीमूर्तियां तैयार होनी अनिवार्य है. लेकिन इस वर्ष प्लास्टर ऑफ पैरिस की मूर्तियों को लेकर अनिश्चितता थी. जिससे 4 महिने पहले से जिन मूर्तियों का निर्माण शुरु होता है, वह मूर्ति निर्माण कार्य ठप पडा रहा. हाल ही में राज्य सरकार ने प्लास्टर ऑफ पैरिस की मूर्तियों को निर्बंधमुक्त किये जाने की घोषणा की. जिससे अब मूर्तिकारों ने श्रीमूर्तियां तैयार करना शुरु कर दिया. लेकिन अब गणेशोत्सव को केवल डेढ महिने का समय बाकी रह गया है. जिससे जिस काम को पहले 4 महिने का समय मिलता था, वह काम अब केवल डेढ महिने में पूर्ण करने का चैलेंज मूर्तिकारों पर है. यहीं वजह है कि, कई मूर्तिकारों ने सार्वजनिक मंडलों के ऑर्डर नहीं स्विकारे है. कम समय में इतनी बडी मात्रा में श्रीमूर्तियों का निर्माण संभव नहीं है. जिससे इस वर्ष शहर में श्रीमूर्तियों की किल्लत की संभावना मूर्तिकारों ने जताई. अमरावती शहर से विभिन्न राज्यों मेें श्रीमूर्तियां भेजी जाती है. लेकिन इस वर्ष शहरवासियों की ही डिमांड पूर्ण करने में मूर्तिकार सक्षम स्थिति में नहीं है.
अमरावती शहर में 200 से अधिक मूर्ति कारागिर है. अमरावती में निर्मित श्रीमूर्तियां विविध राज्यों समेत विदेश भी जाती है. लेकिन विगत 2 वर्ष के कोरोना काल के कारण मूर्तियों का व्यापार भी ठप पड गया था. इस वर्ष कोरोना की सारी बंदिशे हटाई गई है. जिससे इस वर्ष धूमधाम से गणेशोत्सव मनाने का नियोजन सभी कर रहे है. इस वर्ष अधिक संख्या में श्रीमूर्तियां बनाई जाएंगी, ऐसी धारणा थी, लेकिन राज्य सरकार ने गणेशोत्सव से डेढ महिने पहले ही प्लास्टर ऑफ पैरिस की मूर्तियों से निर्बंध हटाये है. जिससे मूर्तिकारों को तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला है. डेढ महिने में तेज रफ्तार से काम करने के बाद भी कई मंडलों के ऑर्डर लौटाने पड रहे है, ऐसा शहर के प्रसिद्ध मूर्तिकार गजानन आजने व गजानन सोनटक्के ने बताया. मिट्टी की मूर्तियां तैयार करने में अधिक श्रम व समय लगता है. इसलिए कम संख्या में मूर्तियां तैयार होती है. यहीं वजह है कि, अच्छी फिनिशिंग व आकर्षक उची मूर्ति बनाने के लिए प्लास्टर ऑफ पैरिस को ही प्राधान्य दिया जाता है. मिट्टी के मूर्तियों की तुलना में प्लास्टर ऑफ पैरिस की मूर्तियां अधिक आकर्षक व सस्ती पडती है.