मृत्यु के बाद भी जीवित रहने का तरीका है अवयवदान
अमरावती/दि.29– किसी व्यक्ति के ब्रेनडेड अवस्था में चले जाने के बाद उसके शरीर के कई महत्वपूर्ण अवयव किसी अन्य मरीज की जान बचाने के काम में उपयोगी साबित होते है. परंतु जिले में विगत एक वर्ष के दौरान ऐसी एक भी अवयवदान की प्रक्रिया नहीं हो पायी. वहीं विगत वर्ष के दौरान जिले में किडनी प्रत्यारोपण की 16 शल्यक्रियाएं होने की जानकारी विभागीय संदर्भ सेवा अस्पताल विभाग द्वारा दी गई है. साथ ही यह भी बताया गया है कि, मृत्यु पश्चात नेत्रदान किये जाने के चलते नेत्र प्रत्यारोपण की 35 शल्यक्रियाएं भी की गई.
* काफी लंबी है वेटींग लिस्ट
देश भर में कई मरीजों के अवयवों की जरुरत होती है. किसी को आंख व किसी को किडनी व हृदय जैसे महत्वपूर्ण अंगों की जरुरत रहती है. परंतु अवयवदान करने वाले लोगों की संख्या काफी कम होती है. जिससे महत्वपूर्ण अंग प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले लोगों की प्रतिक्षा सूची काफी बडी हो चुकी है.
सालभर में 35 नेत्र व 16 किडनी प्रत्यारोपण जिले में विगत एक वर्ष के दौरान नेत्र प्रत्यारोपण की 35 शल्यक्रियाएं हुई है. वहीं सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल में किडनी प्रत्यारोपण की 16 शल्यक्रियाएं होने की जानकारी अस्पताल प्रशासन द्वारा दी गई है.
* जनजागृति की जरुरत
नेत्रदान को लेकर जनजागृति रहने के चलते कई लोगबाग मरणोप्रांत अपने नेत्रदान करने हेतु पहल करते है. परंतु अन्य अवयवदान के संदर्भ में जनजागृति कम रहने के चलते इन अंगों के दान का महत्व समझाने हेतु नागरिकों की जनजागृति करना आवश्यक है.
* कौन-कौन से अंगों का किया जा सकता है दान
ब्रेनडेड हो चुके व्यक्ति के हृदय, फुफ्फुस, कान का पर्दा, त्वचा, आंखे, किडनी, लीवर व हड्डियों का दान किया जा सकता है. वहीं मृत्यु पश्चात केवल आंखे ही दान की जा सकती है.
* कैसे होती है अवयवदान की प्रक्रिया?
अवयवदान की प्रक्रिया में ऑनलाइन फार्म भरकर अथवा संबंधित अस्पताल से संपर्क साधकर अवयवदान हेतु पंजीयन कराया जा सकता है. इस समय दो साक्षीदारों का साथ रहना बेहद जरुरी होता है.
* कोई भी मरीज ब्रेनडेड अवस्था में पहुंचने के बाद उसके अवयवदान करते हुए अन्य मरीजों के प्राण बचाना संभव हो सकता है. जिले मेें विगत एक वर्ष के दौरान 35 नेत्र प्रत्यारोपण तथा 16 किडनी प्रत्यारोपण की शल्यक्रियाएं हुई है. अवयवदान के लिए अधिक से अधिक लोगों ने आगे आकर स्वयंस्फूर्त पहल करनी चाहिए.
– डॉ. दिलीप सौंदले,
जिला शल्यचिकित्सक.