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अनाथ व नेत्रहीन माला ने लोकसेवा आयोग की परीक्षा की उत्तीर्ण

सचिवालय में चयन होने की संभावना

* महाराष्ट्र राज्य की ऐतिहासिक घटना
* स्व. अंबादासपंत वैद्य दिव्यांग अनाथ बालगृह की छात्रा
अमरावती/दि. 17- 20 वर्ष पूर्व दोनों आंखो से नेत्रहीन माला को जलगांव पुलिस ने लावारिस अवस्था में मिलने के बाद आवश्यक प्रक्रिया पूर्ण कर वझ्झर के स्व. अंबादासपंत वैद्य दिव्यांग लावारिस बालगृह के संचालक शंकरबाबा पापलकर के कब्जे में दिया. बाबा ने उसका पुनर्वसन स्वीकार कर पिता के रुप में अपना नाम दिया. इस होनहार नेत्रहीन छात्रा ने उच्च शिक्षा के बाद लोकसेवा आयोग के लिपीक (टंकलेखन) की परीक्षा देकर शानदार सफलता प्राप्त की है. उसकी नियुक्ति सचिवालय में होने की संभावना है. बालगृह में रहनेवाली होनहार माला ने यह परीक्षा उत्तीर्ण कर राज्य में कीर्तीमान स्थापित किया है.
जानकारी के मुताबिक 20 वर्ष पूर्व दोनों आंखो से नेत्रहीन रही माला जलगांव में पुलिस को रेलवे स्टेशन पर लावारिस अवस्था में मिली थी. पुलिस ने उसके माता-पिता और रिश्तेदारों की काफी तलाश की. लेकिन पता न लगने के कारण उसे जलगांव के रिमांड होम में भर्ती किया. वहां दिव्यांगो के पुनर्वसन की कोई व्यवस्था न रहने से बाल कल्याण समिति जलगांव के आदेश पर पुलिस ने उसे वझ्झर के स्व. अंबादासपंत वैद्य दिव्यांग लावारिस बालगृह के संचालक पद्मश्री शंकरबाबा पापलकर के कब्जे में दिया. बाबा ने उसका पुनर्वसन स्वीकार कर माला को अपना नाम दिया. उस आधार पर उसका आधार कार्ड, चुनावी पहचान पत्र तथा निवासी दाखिला आदि कागजपत्रों की पूर्तता कर उसकी शिक्षा परतवाडा के यशवंत अंध विद्यालय में चौथी तक पूर्ण की. आगे की शिक्षा परतवाडा के आयए गर्ल्स हाईस्कूल से की. उसने 12 वीं में प्रथम श्रेणी में अंक हासिल किए. आगे की उच्च शिक्षा के लिए उसे अमरावती के विदर्भ महाविद्यालय में प्रवेश दिया गया. स्नातक व पदव्यूत्तर यह दोनों उच्च शिक्षा के लिए दर्यापुर के प्रा. प्रकाश टोपले पाटिल ने उसका पालकत्व स्वीकार कर उसकी शिक्षा की संपूर्ण व्यवस्था की. साथ ही संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ से स्नातक परीक्षा में वर्ष 2018 में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होकर उसने इतिहास रचा.
दोनों उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद माला के आगे के पुनर्वसन का प्रश्न शंकरबाबा पापलकर को सता रहा था. लेकिन भाग्यवश अमरावती के युनिक अकादमी के संचालक अमोल पाटिल ने खुद बाबा के पास पहुंचकर माला के एमपीएससी की परीक्षा की तैयारी की जिम्मेदारी स्वीकारी. तहसीलदार और अन्य पदो की परीक्षा उसने 28 अगस्त 2022 को और दूसरी परीक्षा 17 दिसंबर 2023 को दी. लेकिन उसमें उसे सफलता नहीं मिली. पश्चात महाराष्ट्र राज्य लोकसेवा आयोग की लिपीक (टंकलेखन) की परीक्षा दी. इस परीक्षा का नतीजा 16 मई की शाम 7 बजे ऑनलाईन घोषित हुआ. इस परीक्षा में माला ने उत्तीर्ण होकर शानदार सफलता प्राप्त की. उसका चयन सचिवालय में होने की विश्वस्त सूत्रों की जानकारी है. महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि संपूर्ण भारत के दिव्यांगो के पुनर्वसन के इतिहास में यह एकमात्र घटना है. जिसमें माला ने लावारिस व अनाथ रहने के बावजूद अपने कौशल्य के आधार पर लोकसेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण कर इतिहास रचा है.

* माला को होना है आयएएस अधिकारी
नेत्रहीन माला ने लोकसेवा आयोग के लिपीक पद की परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद बताया कि, उसे यहीं नहीं रुकना है बल्कि आयएएस अधिकारी बनने की उसकी इच्छा है. इस परीक्षा की तैयारी भी वह शुरु करेगी. माला की इस सफलता पर अनेको ने उसका व शंकरबाबा पापलकर का अभिनंदन किया है.

 

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