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राज्य के पांच जिलो में शुरु की गई थी योजना
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१० – अनाथ छोटे बालकों को पारिवारीक वातावरण में प्यार दुलार मिले और उनका पालन-पोषण अच्छे से हो इस उद्देश्य को लेकर प्रतिपालकत्व योजना (फॉस्टर केयर) की शुरुआत की गई थी. अब यह योजना समाज में अनास्था के चलते अंतिम सांसे ले रही है. इन अनाथ छोटे बच्चों का अस्थायी रुप से पालकत्व स्वीकारने के लिए कोई भी समाने नहीं आ रहा ऐसा हृदयविदारक चित्र सामने आया है. इसके अलावा शासन की ओर से लगाए गए नियमों व शर्तो के चलते भी लोगों ने इस योजना की ओर अपना मुंह फेर लिया है.
अनाथ आश्रम में दाखिल अनाथ बालक तथा बालिकाओं को पारिवारीक वातावरण मिले इस उद्देश्य को लेकर महिला व बालविकास मंत्री यशोमती ठाकूर की सूचना के अनुसार 2020 में महिला व बालविकास की ओर से प्रतिपालकत्व योजना अमरावती जिले सहित राज्य के पांच जिलों में प्रयोग तत्व पर शुरु की गई थी. जिसमें अमरावती सहित पुना, सोलापुर, पालघर, मुंबई तथा मुंबई उपनगर के जिलों का चयन किया गया था.
6 से 18 वर्ष के बालकों की सर्वांगीण विकास के लिए व उन्हें सुरक्षित परिवार मिले इस उद्देश्य से यह योजना कार्यान्वित की गई थी. उसके अनुसार बच्चों के पालन-पोषण के लिए पालकों को हर माह दो हजार रुपए देने का प्रावधान किया गया था. किंतु शासन द्बारा लगाए गए नियमों व शर्तो के चलते व समाज में अनास्था के कारण अब यह योजना अंतिम सांस गिन रही है. अमरावती जिले में इस योजना अंतर्गत पांच बच्चों का चयन किया गया था. जिसमें उनका पालकत्व स्वीकारने के लिए अब तक भी एक भी जनप्रतिनिधि, सामाजिक, राजकीय व्यक्ति, व्यवसायी, डॉक्टर्स सामने नहीं आया है.
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इस प्रकार है नियम
बालकों का पालकत्व स्वीकारने वाले परिवार का सालाना उत्पन्न 45 हजार रुपए होना चाहिए व उम्र 69 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए, परिवार में किसी प्रकार की बीमारी नहीं होनी चाहिए, पालकत्व स्वीकार करने वाले परिवार के पास कम से कम 450 स्केयर फुट का घर होना चाहिए. दो से अधिक व्यक्ति रहने पर अतिरिक्त 50 स्केयर फुट की अतिरिक्त सुविधा होनी चाहिए.
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पालकत्व स्वीकारने कोई भी तैयार नहीं
अनाथ बच्चों को पारिवारीक प्यार मिले व उनका सर्वांगीण विकास हो इस उद्देश्य से यह योजना शुरु की गई थी. किंतु समाज मे अनास्था के चलते इन अनाथ बालकों का पालकत्व स्वीकारने के लिए कोई भी तैयार नहीं है ऐसा चित्र दिखाई दे रहा है जिसमें नागरिकों को अब सामने आना चाहिए व पालकत्व स्वीकारना चाहिए.
– एड. सीमा भाकरे,
विधि तथा परिविक्षा अधिकारी जिला बालसरंक्षण कक्ष