अमरावतीविदर्भ

स्मशान में पडे है २०० लोगोें के अस्थिकलश

अपने दिवंगतों की अस्थियां लेने नहीं आ रहे उनके परिजन

अमरावती/दि.२१ – स्थानीय हिंदू स्मशान भुमि के लॉकरों में इस समय २०० से अधिक अस्थिकलश विसर्जन की प्रतिक्षा में पडे है, लेकिन संबंधित मृतकों के परिजन कोरोना संक्रमण के भय की वजह से अपने दिवंगतों के अस्थिकलश लेने भी नहीं आ रहे. इसमें भी यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इसमें से अधिकांश अस्थिकलश कोरोना संक्रमण के चलते मृत होनेवाले लोगों के है. साथ ही कई अस्थिकलश अन्य बीमारियों के चलते एवं प्राकृतिक रूप से मृत्यु को प्राप्त करनेवाले लोगोें के है. लेकिन कोरोना के भय एवं अनलॉक के बावजूद वाहनों की उपलब्धता की कमी के चलते २०० के लगभग अस्थिकलश हिंदू स्मशान भुमि के लॉकरों में रखे हुए है और अपने विसर्जन की प्रतिक्षा कर रहे है.
उल्लेखनीय है कि, हिंदू स्मशान संस्था द्वारा संचालित स्मशान भूमि में इस समय रोजाना २० से २५ पार्थिवदेहों का अंतिम संस्कार किया जाता है. इसमें भी १० से १२ पार्थिव देह कोरोना संक्रमित मरीजोें के रहते है. अंतिम संस्कार पश्चात कोरोना के चलते मृत हुए लोगोें के अस्थिकलश संस्था की दो मंजिला इमारत की उपरी मंजील में स्थित अस्थि सुरक्षा कक्ष के लॉकर में रखे जाते है. लेकिन इस बीमारी के स्वरूप को देखते हुए अधिकांश परिजन अपने दिवंगत व्यक्ती के अस्थिकलश को प्राप्त कर उसे विसर्जित करने में टालमटोल कर रहे है. जिसकी वजह से अब यहां का लॉकर रूम हाउसफुल्ल होने लगा है.
ज्ञात रहे कि, वर्ष १९४४ में स्थापित हिंदू स्मशान भूमि अपनी साफसफाई एवं सर्वसुविधायुक्त सेवाओें के लिए प्रसिध्द है और शहर के अधिकांश लोगबाग अपने दिवंगत परिजनों का अंतिम संस्कार इसी स्मशान भूमिक में करना पसंद करते है. यहां पर अंतिम संस्कार करने के बाद दिवंगत व्यक्ति के अस्थिकलश को सुरक्षित रखने हेतु एक लॉकर रूम की सुविधा उपलब्ध है. जहां से लोगबाग अपने दिवंगत परिजन की अस्थियों को अपनी सुविधानुरूप विसर्जन करने हेतु अपने-अपने श्रध्दास्थल पर ले जाते है. हालांकि हिंदू स्मशान भूमि से लगकर ही विसर्जन कुंड की भी सुविधा उपलब्ध है. लेकिन विगत जनवरी माह से यह पूरा लॉकर रूम अस्थिकलशों से भर गया है और लोगबाग अपने परिवार के दिवंगत व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने के बाद उनके अस्थिकलश लेने हेतु नहीं आ रहे. इसमें से करीब पांच-छह अस्थिकलश ऐसे है, जो पिछले छह-सात वर्षों से यहां के लॉकर रूम में पडे है और संबंधित परिवार उन अस्थिकलशों को बार-बार सूचना देने के बावजूद भी नहीं लेकर जा रहे.
इस संदर्भ में अधिक जानकारी प्राप्त करने पर पता चला कि, कई लोग बेहद गरीबीवाले हालात में है तथा कई लोगों के पास अस्थि विसर्जन हेतु जाने-आने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. कई लोगों की इच्छा रहती है कि, वे अपने दिवंगत परिजनोें की अस्थियों का विसर्जन त्र्यंबकेश्वर, काशी, कौंडण्यपुर व गंगासागर जैसे स्थानों पर करे. लेकिन कोरोना काल की वजह से इस समय यातायात के पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं है और यात्रा करने के लिए हालात भी काफी बिकट है. ऐसे में कई लोग फिलहाल अस्थियों को लॉकर रूप से ले जाने के उत्सूक नहीं है. वहीं कोरोना संक्रमण की वजह से मृत हुए लोगों के परिजन तो अस्थिकलशों को प्राप्त करने के लिए काफी कम उत्सूक दिखाई देते है.

स्मशान में बरते जा रहे है तमाम ऐहतियात

हिंदू स्मशान संस्था द्वारा संचालित हिंदू स्मशान भूमि रोजाना सुबह ७ से रात ९ बजे तक शुरू रहती है. यहां पर कोरोना संक्रमण की वजह से मृत हुए लोगों के शवों को पिछले हिस्से में स्थित दरवाजे से स्मशान भूमि परिसर में लाया जाता है और उनके पार्थिव का पारंपारिक दाह संस्कार करने की बजाय उनका अंतिम संस्कार गैस दाहीनी के जरिये किया जाता है. किसी भी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शव का अंतिम संस्कार करते समय संबंधित परिजनों को स्मशान भूमि के मुख्य प्रवेश द्वार के पास ही रोक दिया जाता है और उन्हें गैस शवदाहिनी परिसर में प्रवेश नहीं दिया जाता. साथ ही कोरोना संक्रमित मरीजों के शवों को लाने हेतु एक शववाहिका विशेष तौर पर आरक्षित रखी गयी है. जिसे प्रत्येक शव को लाने के बाद पूरी तरह से सैनिटाईज किया जाता है.

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