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… अन्यथा अगले महिने पूरा दिन चलेगा रेल रोको आंदोलन

जबलपुर व पुणे ट्रेन को लेकर उग्र हुआ महानगर यात्री संघ

* रेल प्रशासन को दी कडी व सख्त चेतावनी
* मॉडल स्टेशन के सामने किया संतप्त प्रदर्शन
* यात्री संघ को व्यापारियों का भी समर्थन मिला
अमरावती/दि.23- कोविड संक्रमण काल से पहले अमरावती से जबलपुर और अमरावती से लातुर होते हुए पुणे ट्रेन चलायी जा रही थी. जिसे कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए अन्य रेलगाडियों के साथ-साथ बंद कर दिया गया था. परंतू कोविड संक्रमण का खतरा टलने के बाद जहां अब सभी रेलगाडियों को पहले की तरह शुरू कर दिया गया है, वही अमरावती से इन दोनों रेलगाडियों का परिचालन अब तक बंद ही रखा गया है. जिसे लेकर क्षेत्र की जनता द्वारा विगत लंबे समय से मांग उठाई जा रही है. परंतू रेल प्रशासन द्वारा जनभावनाओं की लगातार अनदेखी की जा रही है. इस आशय का आरोप लगाते हुए महानगर यात्री संघ द्वारा चेतावनी दी गई कि, यदि आगामी एक माह के भीतर अमरावती से इन दोनों रेलगाडियों को दोबारा शुरू नहीं किया जाता है, तो अगले महिने बडनेरा रेल्वे स्टेशन पर रेल रोको आंदोलन किया जायेगा और पूरा दिन बडनेरा रेल्वे स्टेशन से किसी भी ट्रेन को गुजरने नहीं दिया जायेगा.
महानगर यात्री संघ के अध्यक्ष अनिल तरडेजा की अगुआई में आज स्थानीय मॉडल रेल्वे स्टेशन पर जबलपुर व पुणे ट्रेन को दुबारा शुरू किये जाने की मांग को लेकर जबर्दस्त प्रदर्शन किया गया. साथ ही रेल महकमे के वरिष्ठ अधिकारियों के नाम स्टेशन प्रबंधक एम. एम. लोहकरे को ज्ञापन सौंपा गया. इस ज्ञापन में कहा गया कि, कोविड काल से पहले रोजाना चलनेवाली अमरावती-जबलपुर ट्रेन को अमरावती से अच्छी-खासी यात्री संख्या मिला करती थी. जिससे रेल महकमे को काफी आय होती थी और यह ट्रेन फायदे में भी चल रही थी. यही स्थिति अमरावती-पुणे व्हाया लातुर साप्ताहिक ट्रेन के साथ भी थी. जिसमें हमेशा ही अग्रीम आरक्षण हाउसफुल्ल रहा करता था. ऐसे में कोविड का खतरा निपटने के बाद इन दोनोें रेलगाडियों को बंद रखने का औचित्य समझ से परे है. साथ ही हैरतवाली बात यह भी है कि, जबलपुर ट्रेन को इस समय नागपुर तक चलाया जा रहा है. जहां पर यह ट्रेन पूरा दिन रेल्वे यार्ड में खाली खडी रहती है. जबकि नागपुर स्टेशन पर रेल्वे यार्ड में पहले ही काफी रैक खडे रहते है और वहां रेलगाडियों को खडे रखने हेतु जगह की कमी है. ऐसे में बहुत बेहतर रहेगा कि, इस ट्रेन को पहले की तरह अमरावती तक लाया जाये. जिससे रेल्वे को आय के साथ सुविधा भी होगी. इन सबके साथ ही विदर्भ क्षेत्र के नागरिकों, व्यवसायियोें व उद्योजकों के पास पहले की तरह मध्यप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र से सीधा संपर्क रखने का जरिया उपलब्ध होगा. जिससे यहां के व्यापार-व्यवसाय को गति मिलेगी. इसी तरह कोविड काल से पहले शुरू रहनेवाली अमरावती-पुणे व्हाया लातुर साप्ताहिक ट्रेन को भी दुबारा जल्द से जल्द शुरू किया जाना चाहिए, ताकि अमरावती शहर सहित जिले के नागरिकों के पास पुणे आने-जाने हेतु पहले की तरह अपना अधिकारपूर्ण साधन उपलब्ध हो सके. इन सबके साथ ही महानगर यात्री संघ ने नया अमरावती रेल्वे स्टेशन से होकर कुछ नई रेलगाडियों को चलाये जाने तथा बडनेरा रेल्वे स्टेशन पर लंबी दूरीवाली कुछ रेलगाडियों को स्टॉपेज दिये जाने के साथ ही अमरावती रेल्वे स्टेशन से नासिक व पुणे के लिए दो नई रेलगाडियों को चलाये जाने की मांग भी रेल प्रशासन से की है और साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि, अगर एक माह के भीतर अमरावती से जबलपुर और अमरावती से लातुर होते हुए पुणे के लिए पहले की तरह ट्रेन शुरू नहीं की जाती है, तो अगले महिने बडनेरा रेल्वे स्टेशन पर पूरा दिन रेल रोको आंदोलन किया जायेगा और उस दिन बडनेरा स्टेशन से होकर किसी भी ट्रेन को गुजरने नहीं दिया जायेगा.
ज्ञापन सौंंपते समय महानगर यात्री संघ के अध्यक्ष अनिल तरडेजा, अमरावती चेंबर ऑफ कॉमर्स एन्ड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष विनोद कलंत्री, सचिव सुरेंद्र देशमुख व सहसचिव मनीष करवा, रिटेल किराणा एसो. के अध्यक्ष आत्माराम पुरसवाणी, सागर गुप्ता, दिलीप छुटलाणी, सुधीर बजाज, जयपाल साधवानी, परमानंद शर्मा, नितीन कदम, विजय पिंजाणी, किशोर मोहता, मुकेश हरवाणी, अनुप हरवाणी, तुलसी सेतीया, राजु बुलाणी, प्रदीप हरवाणी, अनुराग तरडेजा, तरूण अरोरा के साथ ही बिझीलैण्ड, सिटीलैण्ड व ड्रीम्जलैण्ड व्यापारी एसो. के पदाधिकारी भी बडी संख्या में उपस्थित थे.

* भीख नहीं, हम अपना हक मांग रहे
इस आंदोलन के दौरान अपनी बेहद संतप्त प्रतिक्रिया देते हुए महानगर यात्री संघ के अध्यक्ष अनिल तरडेजा ने कहा कि, अमरावती रेल्वे स्टेशन का कायाकल्प और यहां से रेल सुविधाओं का विस्तार अमरावती से वास्ता रखनेवाली देश की पूर्व राष्ट्रपती श्रीमती प्रतिभाताई पाटील की मेहरबानी के चलते हुआ था. जिसकी वजह से बरसों-बरस तक उपेक्षित पडा रहनेवाला अमरावती शहर देश के रेल्वे नक्शे पर दिखाई दिया. किसी भी क्षेत्र का विकास करने हेतु वहां पर आवागमन की नई-नई सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती है. परंतू अमरावती में उलटी गंगा बहाई जा रही है. नई रेलगाडियां देना तो दूर, बल्कि जो रेलगाडियां पहले से चल रही थी, उन्हें बंद करने का कारनामा रेल महकमे द्वारा किया जा रहा है और हैरत की बात यह है कि, इसे लेकर किसी जनप्रतिनिधि द्वारा कुछ भी नहीं कहा जा रहा. ऐसे में अब आम जनता सडक पर उतरकर अपने अधिकारों की लडाई लडेगी. हम रेल महकमे से गाडियों की भीख नहीं मांग रहे, बल्कि अमरावती-जबलपुर और अमरावती-पुणे व्हाया लातूर ये दो रेलगाडियां हमारा अपना अधिकार है और हम इसे हर हाल में वापिस प्राप्त करेंगे. क्योंकि यह हमारे शहर व जिले के विकास व भविष्य से जुडा मामला है.

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