15 अगस्त व 26 जनवरी को बंद रखने के लिए ही बने हैं हमारे उडानपुल!
अमरावती/दि.15- हमारी अंबानगरी ऐतिहासिक, पौराणिक और अनेक मायनों में अनूठी नगरी है. यहां के कर्णधार भी अनोखे, अनुपम है. जिसके कारण यहां आने वाले प्रत्येक अधिकारी, उच्चाधिकारी भी इसी श्रेणी के आते हैं. अत्यंत ताजा उदाहरण महानगरपालिका में आयी अधिकारी से अमरावतीवासियों को आ रहा है. बहरहाल हम बात और चर्चा कर रहे हैं शहर के बीचोबीच बने तीन उडानपुल की. यह अन्य सडकों का यातायात का बोझ कम करने के लिए बने हैं. किंतु खास अवसरों पर इन पुल को बंद कर दिया जाता है. यातायात जो भी हो, पुन: उन सडकों से पास किया जाता है. जहां बताया गया था कि, वाहनों की संख्या और ट्रैफिक काफी हो गया है.
* यह तीन उडानपुल है
शहर में पब्लिक की सुविधा के लिए तीन उडानपुल अब तक निर्मित है. लोकार्पित हो चुके हैं. चौथा उडानपुल निर्माणाधीन है. पहला गाडगे नगर, पंचवटी चौक से गाडगे बाबा समाधी का एक छोटा फ्लायओवर है. जिसे कभी वन वे किया जाता है. यह इर्विन चौक को जोडने वाली सडक पर जिला स्टेडियम के सामने खत्म होता है. एक उडानपुल राजापेठ थाने से इर्विन चौक तक है. यह सबसे लंबा उडानपुल है. तीसरा उडानपुल राजापेठ की रेल्वे लाइन के कारण बनाया गया. बडनेरा ओर राजापेठ रोड को जोडने वाला है. इसे एक मार्ग छत्री तालाब रोड का जोडा गया है.
* खास दिन आते ही बंद
तीनों उडानपुल कोई दिन विशेष आते ही बंद कर दिये जाते हैं. पुलिस के उच्चाधिकारी सुरक्षा का कारण देकर 15 अगस्त, 26 जनवरी और 1 जनवरी को सबसे पहले उडानपुल के उपयोग पर रोक लगाने का आदेश जारी करते हैं.
* क्या है इतिहास?
उडानपुल पर दुर्घटनाओं के कतिपय इतिहास रहे हैं. जिसमें श्याम चौक से गुजरते राजापेठ-इर्विन चौक उडानपुल काफी कुख्यात कुछ वर्ष पहले हो गया था, जब तेज रफ्तार दुपहिया सवार युवक इस मोड पर वाहन अनियंत्रित होने से सीधे पुल से नीचे आ गिरे थे. जिसके बाद स्वाभाविक होहल्ला मचा. मनपा ने आनन-फानन में कदम उठाये. लाखों रुपए खर्च कर उडानपुल के तीखे मोड पर लोहे की रेलिंग लगाई गई. उसे मानवकद से भी अधिक उंचाई अधिक सुरक्षा की दृष्टि से दी गई.
* उडानपुल बंद कर देते हैं
शहर की बाकी सडकों पर यातायात की बहुतायत के कारण उडानपुल बनाये गये. सभी शहरों में इसी उद्देश्य से उडानपुल निर्मित हुए है और उपयोग में लाये जा रहे है. वाहनों की संख्या भी दिन ब दिन बढ रही है. सडकें छोटी पड रही है. इससे भी उडानपुल की आवश्यकता मध्यम हो या बडे महानगर सभी जगह महसूस हो रही है. देश में बढते उडानपुल उपयोग में आ रहे है. अमरावती अनोखा शहर है, जहां सुरक्षा की दृष्टि से कोई भी अवसर विशेष आया, तो सबसे पहले गाज उडानपुल से गुजरने वालों पर गिरती है. उडानपुल सबसे पहले बैरिकेट लगाकर ऐसे बंद कर दिये जाते हैं, मानो इसी से सारी दुर्घटनाएं हो रही है. माना कि, युवा वर्ग उडानपुल पर तेज रफ्तार में वाहन दौडाते हैं. रेस लगाते हैं. इनसे दुर्घटनाएं होने की आशंका रहती है. अंदेशा बढता है. किंतु यह तो अन्य दिन भी हो सकता है, बल्कि हो रहे है. पिछले सप्ताह ही उडानपुल पर सडक हादसों के दो किस्से हुए और बाकायदा पुलिस में भी शिकायत गई. हादसों में कुछ लोग घायल हुए हैं. जिससे स्पष्ट है कि, उडानपुल को बंद करने से ही दुर्घटनाएं रुक जाएगी, यह विचार थोडा गलत लगता है. उडानपुल बंद रखने की परंपरा शायद अगली 1 जनवरी या 26 जनवरी तक प्रशासन सोच विचार कर बंद कर दें, ऐसी अपेक्षा अमरावती के लोग व्यक्त कर रहे हैं.