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हमारी जीत तो पहले दिन से तय थी, अब अपनी हार व नेतृत्व पर सोचे शिक्षा मंच

नूटा के अध्यक्ष प्रा. डॉ. प्रवीण रघुवंशी का कथन

अमरावती/दि.24 – विद्यापीठ के अधिसभा व अभ्यास मंडल हेतु हुए चुनाव में नागपुर युनिवर्सिटी टीचर्स एसो. यानि नूटा को मिली जीत ऐतिहासिक जरुर है. लेकिन यह अप्रत्याशित नहीं है. क्योेंकि हमे इस जीत का अंदाजा पहले दिन से था और चुनावी नतीजों ने हमारे अनुमान को सही साबित किया है. इसके साथ ही इन नतीजों के जरिए यह भी स्पष्ट हो गया है कि, संभाग के पांचों जिलों से मतदाताओं ने हमारे नेता व पूर्व विधायक प्रा. बी. टी. देशमुख के विचारों के साथ-साथ नूटा की कार्यशैली पर पूरी तरह से विश्वास जताया है. इस आशय का प्रतिपादन सीनेट व अकादमीक काउंसिल के चुनाव में मिली जीत से उत्साहित नूटा के अध्यक्ष प्रा. डॉ. प्रवीण रघुवंशी द्बारा किया गया है.
सीनेट व अकादमीक काउंसिल के लगातार घोषित होते नतीजों और सीट दर सीट नूटा के प्रत्याशियों को मिलती जीत के साथ ही अन्य सीटों पर नूटा के पक्ष में आते रुझान के बीच उत्साह से लबरेज प्रा. डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने दै. अमरावती मंडल के साथ बातचीत में उपरोक्त प्रतिपादन किया. साथ ही कहा कि, इस चुनाव के जरिए संभाग के मतदाताओं ने शिक्षा मंच को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि, विगत 5 वर्ष के दौरान शिक्षा मंच द्बारा किये गए गलत कामकाज को लेकर संभाग में काफी हद तक असंतोष व्याप्त था. जो इस बार चुनावी नतीजे के रुप में परिलक्षित हुआ है.
* शैक्षणिक गुणवत्ता व बेहतरीन प्रशासन हमारी पहली प्राथमिकता
नूटा के अध्यक्ष प्रा. डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने इस बातचीत में यह भी कहा कि, विद्यापीठ की शैक्षणिक गुणवत्ता निरंतर नई उंचाईयों को छूएं और विद्यापीठ का प्रशासन पूरी तरह से पारदर्शिक रहने के साथ ही विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए हितकारी हो. इसका आग्रह नूटा द्बारा हमेशा ही किया जाता है और अब चूंकि नूटा ने सीनेट व अकादमीक काउंसिल के चुनाव में स्पष्ट बहुमत के साथ जीत दर्ज की है, तो यहीं हमारी पहली प्राथमिकता भी होगी. हम पूरा प्रयास करेंगे कि, विद्यापीठ की शैक्षणिक गुणवत्ता व शिक्षा सुविधाओं को उंचा उठाते हुए नैक मानांकन में विद्यापीठ की स्थिति व स्तर को एक बार फिर सुधारा जाए. साथ ही विद्यापीठ में प्रशासनीक स्तर पर जहां कहीं भी कुछ गडबडियां व खामिया है, उन्हें जल्द से जल्द दुरुस्त किया जाए. ताकि प्रशासनिक स्तर पर भी विद्यापीठ का कामकाज गतिमान हो सके.
* विद्यार्थी ही रहेगा व्यवस्था का केंद्रबिंदू
इस बातचीत में प्रा. डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने यह भी कहा कि, विद्यापीठ की व्यवस्था में विद्यार्थी को मुख्य केंद्रबिंदू रखा जाना अपेक्षित है. किंतु कई बार ऐसा होता नहीं है और पूरी व्यवस्था विद्यापीठ के अधिकारियों या शिक्षकों के इर्दगिर्द केंद्रीत हो जाती है. नूटा द्बारा इसमें आवश्यक बदलाव एवं सुधार किए जाएंगे. ताकि यह व्यवस्था मुख्य रुप से विद्यार्थियों पर केंद्रीत हो. यहीं वजह है कि, नूटा ने कैलाश चव्हाण व मयुरी जवंजाल जैसे दो विद्यार्थियों को सीनेट चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया था और दोनों ही विद्यार्थी ने इस चुनाव में शानदार जीत हासिल की. इन दोनों सदस्यों के जरिए अब सीनेट में संभाग के विद्यार्थियोें की आवाज गूंजेंगी.
* उनके प्रांत पदाधिकारियों की स्वीकार्यता हुई खत्म
नूटा के प्रत्याशियों को मिली जीत के बारे में बातचीत करने के साथ ही प्रा. डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने अपने कट्टर प्रतिद्बंदियों की हार को लेकर भी जमकर कटाक्ष किया. इस समय उन्होंने कहा कि, नूटा के सभी प्रत्याशियों ने बडे पैमाने पर वोट हासिल करने के साथ-साथ शानदार लीड भी हासिल की है और नूटा के हर प्रत्याशी की लीड 700 से 1,000 वोटों के आसपास रहीं. इसके चलते नूटा के कट्टर प्रतिद्बंदी रहने वाले शिक्षा मंच के प्रत्याशियों को करारी हार का सामना करना पडा. सबसे खास बात यह रही कि, शिक्षा मंच के प्रांत अध्यक्ष प्रा. प्रदीप खेडकर, महामंत्री प्रा. आखरे तथा महिला प्रांत अध्यक्ष प्रा. मीनल ठाकरे जैसे राज्यस्तर के पदाधिकारियों को विद्यापीठ स्तर के हमारे प्रत्याशियों ने पराजीत किया. ऐसे में शिक्षा मंच के साथ-साथ उसके नेतृत्व की स्वीकार्यता पर भी सवालिया निशान लग गया है. साथ ही इस बात पर भी मुहर लग गई है कि, संभाग के मतदाताओं ने नूटा को पूरी तरह से स्वीकार करते वक्त शिक्षा मंच को स्पष्ट तौर पर खारिज कर दिया है.
* हम पर आई बडी जिम्मेदारी, निर्वहन करेंगे
वहीं प्रा. डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने यह भी कहा कि, इन नतीजों के चलते अब नूटा के पदाधिकारियों व विजयी उम्मीदवारों पर संभाग के शैक्षणिक विकास को लेकर एक बडी जिम्मेदारी आ गई है. जिसका पूरी जिम्मेदारी के साथ निर्वहन किया जाएगा. ताकि पश्चिम विदर्भ क्षेत्र को एक बार फिर शैक्षणिक वैभव के शिखर पर पहुंचाया जा सके. इसके लिए विद्यापीठ प्रशासन के साथ समन्वय साधने के साथ ही मौजूदा दौर की जरुरत को देखते हुए शिक्षा को अधिक से अधिक कौशल्य आधारित व रोजगारोन्मुख बनाने का काम किया जाएगा. ताकि महाविद्यालयों से अपनी पढाई-लिखाई पूरी करने के बाद बाहर निकलने वाले हर एक युवा के पास उसकी योग्यता के अनुसार रोजागार हो.

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