मोथा गांव में पानी में हाहाकार, टैंकर आते ही तौबा भीड
डायरिया नियंत्रण में, टैंकरों की संख्या बढाने की मांग
चिखलदरा/ दि. 8- तहसील के 11 गांव में 14 टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है. दो दिन पहले डायरिया से पीड़ित मोथा में कुएं पर धूप में पानी पीने के लिए उमड़ी भीड़ की तस्वीर है. गांव के कुएं में जैसे ही टैंकर पानी छोड़ने आया तो महिला-पुरुष ‘टैंकर आया, आया, आया…’ चिल्लाते हुए कुएं की ओर दौड़ पड़ते है. जलापूर्ति करने वाले टैंकरों की संख्या बढाने की मांग की जा रही है. इस बीच डायरिया पर काबू पा लिया गया है.
दो दिन पहले चिखलदरा शहर से सटकर छह किलोमीटर दूर मोथा गांव में 25 से 30 ग्रामीण पेट दर्द, जी मिचलाने और उल्टी से परेशान थे. वह डायरिया से पीड़ित थे. चिखलदरा के एक ग्रामीण अस्पताल में उसका तुरंत इलाज किया गया और स्थिति को नियंत्रण में कर लिया गया है. मेलघाट में आदिवासी महिलाएं और बच्चे कब पानी की समस्या से निजात मिलेगी, यह सवाल आज भी अनुत्तरित है. आदिवासियों को सरकार से काफी उम्मीदें हैं.
जलजनित रोग की मरीज बढ़े
मोथा में डायरिया के संक्रमण पर जहां काबू पा लिया गया है, वहीं चिखलदरा, टेटू, पांढरी सहित अंचल में जलजनित रोग के मरीजों की संख्या में प्रतिदिन दो से चार की वृद्धि हो रही है और स्वास्थ्य व्यवस्था इस पर नजर बनाए हुए है.
* स्थायी व्यवस्था कब ?
चिखलदरा तहसील में आदिवासी हर साल भीषण जलसंकट का समना करते है. करोड़ों की जलापूर्ति योजनाएं सूख रही हैं, ऐसे में स्थायी जल स्रोत बनाने की जरूरत है. आजादी के 75 वर्षों के बाद भी, यह सवाल निर्माण हो रहा है कि क्या विफल जलापूर्ति योजना और जलजनित बीमारियों का साथ यहा समस्या आदिवासियों का पीछा नहीं छोडेगी? अभी भी अनुत्तरित है.
गांव की आबादी और पूरा गांव पशुपालक समुदाय होने के कारण मवेशियों के लिए पीने के पानी की समस्या भी गंभीर है. टैंकरों की संख्या बढ़ाने की मांग की गई है. डायरिया नियंत्रण में है.
-साधुराम पाटिल, उप सरपंच, मोथा,
चिखलदरा.
पानी के लिए भीड
तहसील के 11 गांव में हर साल की तरह जलसंकट की स्थिति निर्माण होने से 14 टैकरों से जलापूर्ति की जा रही है. मोथा की आबादी 1500 है और पशुपालक गवली समुदाय बड़ी संख्या में है. चूंकि मवेशियों को भी पानी की जरूरत होती है, इसलिए छोटे टैंकर दिन में तीन बार तीन हजार लीटर पानी कुएं में डालते हैं. पानी कम होने के कारण टैंकर आते ही महिला और पुरुष कुएं की ओर भागते हैं. पानी के लिए होने वाली भीड को देखते हुए टैंकरों की संख्या बढाने की मांग उप सरपंच साधुराम पाटील ने की.