अमरावतीमहाराष्ट्र

हरभरे पर ‘मर’ रोग का प्रादुर्भाव

फसल को बचाने समय रहते प्रतिबंधात्मक उपाय जरूरी

अमरावती/ दि. 24– रबी सीजन की प्रमुख फसल रहनेवाले हरभरे पर इन दिनों मर रोग सहित दाने कुतरनेवाली इल्लियों का प्रादुर्भाव हो गया है. जिसके चलते समय रहते प्रतिबंधात्मक उपाय नहीं करने पर औसत उत्पादन में कमी आने की पूरी संभावना जताई जा रही है.
बता दे कि इस बार रबी के सीजन दौरान हरभरे का बुआई क्षेत्र डेढ लाख हेक्टेयर के आसपास है. जिसमें से अब तक करीब 99 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में हरभरे की बुआई हो चुकी है. वहीं विगत 8 दिनों के दौरान बदरीला मौसम रहने के चलते दाने कुतरने वाली इल्लियों सहित हरभरे की फसल पर मर रोग का प्रादुर्भाव हो गया था.

* इल्लियों के चलते पूरा खेत साफ
फिलहाल ज्यादातर इलाको में हरभरे की फसल अपने बहार पर आ गई है. लेकिन ऐसी स्थिति में इल्लियों की वजह से फसलों का बडे पैमाने पर नुकसान हो रहा है और दाने कुतरनेवाली इल्लियां पूरा खेत ही सफाचट कर रही है.

* कैसे पहचाने मर रोग को ?
फसल पर मर रोग का प्रादुर्भाव होते ही फसल के पत्ते पीले पडने लगते है और शाखाएं सूखने लगती है. यह मर रोग का सबसे प्रमुख लक्षण है.

* पौधे की अन्न आपूर्ति हो जाती है बंद
मर रोग की फफूद बीज अथवा जमीन के जरिए जड से पौधे में प्रवेश करती है और तने के भीतरी हिस्से मेें फैलने लगती है. जिससे पौधे को जमीन के जरिए पानी व अन्य द्रव्य आपूर्ति होना बंद हो जाता है और पौधा पूरी तरह से सूख जाता है. ऐसे समय कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेते हुए आवश्यक उपाय किए जाने चाहिए. ताकि नुकसान को टाला जा सके.

* क्या सावधानी जरूरी
मर रोग न हो इस हेतु एक ही खेत में हरभरे की पूरी फसल लेना टाले. साथ ही बुआई से पहले बीज पर जैविक व रासायनिक प्रक्रिया भी कराए. साथ ही मर रोग का प्रादुर्भाव होने पर हरभरे की फसल को पानी देने में थोडा विलंब करें. क्योंकि जमीन में आद्रता बढने पर मर रोग का प्रादुर्भाव काफी तेजी से होता है.

* किस वजह से होता है मर रोग
मर रोग का प्रसाद बीज व जमीन के जरिए होता है. यह फफूंद पुरानी फसल के अवशेष, अन्य सेन्द्रीय पदार्थ अथवा जमीन में क्लॉमैडोस्पोर के रूप में या वस्तु के स्वरूप में जीवित रहती है.
पोषक वातावरण उपलब्ध होने के बाद क्लॉमैडोस्पोर का अंकुरण होता है और उससे तैयार होने वाली जर्म टयूब जड में जाकर झायलम पेशी में बढती है और धीरे-धीरे पूरे पौधे में फैल जाती है. यह इस रोग के प्रादुर्भाव की प्राथमिक अवस्था है.

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