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कृषिसमर्थनमूल्य साबित हो रहा किसानों के लिए घातक
अमरावती प्रतिनिधि/दि.२६ – जिले के किसानों पर प्राकृतिक आपदाओं ने कहर ढाने का काम किया है. किसान बड़ी उम्मीदों के साथ अपने खेतों में विविध फसलों की उगाई करते है. लेकिन किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरने का काम प्रकृति की ओर से किया जा रहा है. इस बार कपास (Cotton) व सोयाबीन (Soybean) फसल खेतों में लहलहाने लगी थीं. लेकिन अगस्त के पहले सप्ताह में ही दोनों फसलों पर बोंडइल्ली,येलोमोजेक जैसे विविध किट व बीमारियों ने आक्रमण किया है. जिससे कपास के फूल गलकर सडऩे लगे है. वहीं सोयाबीन फसल भी पीली पड़ती नजर आ रही है. अब किसानों को यही समस्या सता रही है कि बची कुची फसल को बेचकर कितनी रकम हाथ में आएगी.
यहां बता दें कि किसानों को हमेशा से ही प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है. सरकार की ओर से किसानों को राहत दिलाने के लिए और खेतमाल बिक्री के दौरान किसानों को धोखाधड़ी का शिकार ना होना पड़े तथा कृषिमाल को उचित भाव मिल सके इसके लिए समर्थनमूल्य घोषित कर दिए है. लेकिन जिन मूल्यांकनों से कृषिमाल का समर्थनमूल्य घोषित किया गया है, उसमें सरकार का गणित ही गलत साबित हो रहा है. जिसके चलते खेती व्यवसाय किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है. यहीं वजह है कि किसान कर्ज के बोझ तले दबते जा रहा है. जिस भाव में किसानों को अपना कृषि माल बेचना पड़ रहा है. वह परवडने लायक नहीं है. खरीफ के दौरान किसान लगभग तीन महीने तक परिवार के साथ दिनभर खेती कार्य में जुटे रहते है. लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हो पाता है. किसानों के खेती व्यवसाय के लिए समर्थनमूल्य की कीमतें नुकसानदायक साबित हो रही है.