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आरक्षण समर्थकों ने सरकार सहित भाजपा पर निकाली भडास
अमरावती/प्रतिनिधि दि.६ – गत रोज राज्य सरकार की ओर से मराठा समाज को एसईबीसी के तहत दिये गये आरक्षण को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया. इस फैसले को मराठा समाज के लिए बेहद धक्कादायक माना जा रहा है. साथ ही मराठा समाज बंधूओें द्वारा राज्य के सत्ता पक्ष सहित विपक्ष में रहनेवाली भारतीय जनता पार्टी पर रोष व्यक्त करने के साथ ही आरोप लगाये जा रहे है और अब मराठा समाज को ओबीसी संवर्ग के तहत आरक्षण दिये जाने की मांग सामने आ रही है. वहीं इस बीच मराठा आरक्षण आंदोलन में हिस्सा लेनेवाले कई गणमान्यों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मराठा समाज के लिए अन्यायकारक बताया है. वहीं दूसरी ओर जाति आधारित आरक्षण का विरोध करनेवाले लोगोें ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है.
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लडाई अभी खत्म नहीं हुई
मराठा आरक्षण को लेकर संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है. इस आरक्षण को टिकाये रखने हेतु कौनसे कानूनी पर्याय उपलब्ध है, इस पर विचार-विनिमय जारी है. मराठा समाज को शिक्षा, रोजगार, छात्रवृत्ति एवं छात्रावास में आरक्षण देने के लिए जो निर्णय लिये गये है, उसे गति प्रदान की जायेगी. मराठा समाज को आरक्षण मिलना चाहिए, ऐसी कांग्रेस पार्टी की शुरूआत से भुमिका रही है और मराठा समाज को राहत व न्याय देने हेतु महाआघाडी सरकार पूरी तरह से कटिबध्द है.
– एड. यशोमति ठाकुर
पालकमंत्री, अमरावती जिला
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मराठा समाज को ओबीसी में शामिल करें
मराठा सेवा संघ शुरूआत से यह मांग कर रहा है कि, मराठा समाज को ओबीसी संवर्ग में शामिल किया जाये. गायकवाड आयोग ने भी मराठा समाज को पिछडावर्गीय माना है, लेकिन ओबीसी समाज के अन्य संगठन ऐसा करने पर आक्रामक भूमिका अपना सकते है. इस संभावना को देखते हुए राज्य सरकार ने मराठा समाज को ओबीसी संवर्ग में शामिल नहीं किया और एक अलग संवर्ग बनाया. जिसका परिणाम आज सबके सामने है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब राज्य सरकार ने मराठा समाज को ओबीसी संवर्ग में शामिल करना चाहिए.
-अरविंद गावंडे
प्रदेश उपाध्यक्ष, मराठा सेवा संघ
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मराठा समाज को दिया गया झांसा
मराठा समाज को सीधे-सीधे ओबीसी आरक्षण लागू करना आवश्यक था, लेकिन सभी राजनीतिक दलों ने असंवैधानिक श्रेणी में आरक्षण लागू करते हुए मराठा समाज के साथ झांसेबाजी की. केंद्र सरकार ने संविधान में विशेष संशोधन के जरिये इसमें 342 (अ) अनुच्छेद जोडा और एसईबीसी नामक नये प्रवर्ग का निर्माण किया. किंतु यह तरीका कारगर नहीं रहा. ऐसे में अब मराठा समाज अपने लिए संवैधानिक और सर्वत्र टिक सकनेवाले ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहा है.
– मयूरा देशमुख
अंतरराष्ट्रीय संगठिका, जिजाउ ब्रिगेड
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केंद्र सरकार उठाये आवश्यक कदम
फिलहाल कोविड संक्रमण काल जारी रहने के चलते हम वेट एन्ड वॉच की भुमिका में है. मराठा आरक्षण को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज किया गया है. जिसके खिलाफ कानूनी लडाई जारी रहेगी. केंद्र सरकार इस मामले में धारा 370 की तरह संशोधन कर सकती है. राज्य सरकार के पास भी कुछ पर्याय उपलब्ध है. मराठा आरक्षण को लेकर वर्ष 2018 से राज्य की दो अलग-अलग सरकारों की इस मामले में भूमिका रही है.
– अनिकेत देशमुख
राज्य समन्वयक, मराठा क्रांति मोर्चा
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मराठा समाज पर हुआ है अन्याय
वर्ष 2009 से मराठा समाज को आरक्षण दिये जाने की मांग को लेकर आंदोलन किया जा रहा है. इस दौरान कई मोर्चे निकाले गये और धरना प्रदर्शन भी किये गये. जिसके बाद उम्मीद थी कि, हमें सर्वोच्च न्यायालय से न्याय मिलेगा, किंतु अब मराठा आरक्षण के मामले का राजनीतिकरण हो गया है. पुरूषोत्तम खेडकर की मांग के अनुसार मराठा समाज का ओबीसी एकत्रिकरण को समर्थन है. साथ ही हमें आरक्षण की मांग को लेकर दुबारा आंदोलन करना होगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दुर्दैवी कहा जा सकता है.
– मनाली तायडे
जिजाउ ब्रिगेड
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ओबीसी में शामिल किया जाये मराठा समाज को
ओबीसी आरक्षण को किसी तरह का धक्का न लगाते हुए मराठा समाज को ओबीसी में शामिल कर कानून की कसौटी पर टिकनेवाला आरक्षण दिया जाये. ऐसी मांग विगत 25 वर्षों से संभाजी ब्रिगेड द्वारा की जा रही है. इस दौरान हमने काफी कुछ सहन किया है. किंतु अब किसी भी तरह के अन्याय को सहन नहीं किया जायेगा. साथ ही अब मराठा आरक्षण की मांग को लेकर संभाजी ब्रिगेड आक्रामक तरीके से मैदान में उतरेगा.
– शुभम शेरेकर
जिलाध्यक्ष, संभाजी ब्रिगेड
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केंद्र सरकार आवश्यक कदम उठाये
मराठा समाज को संवैधानिक आरक्षण देना पूरी तरह संभव था. मराठा समाज द्वारा निकाले गये विश्व विक्रमी मोर्चों को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस पर संसद में विचार करना चाहिए था. जिस जाति की जितनी जनसंख्या है, उतने प्रतिशत आरक्षण देने से सभी मसले हल हो सकते है. केंद्र सरकार की मानसिकता तथा महाराष्ट्र के सभी 48 सांसदों सहित भाजपा सांसदों की भुमिका को देखते हुए कहा जा सकता है कि, मराठा समाज को अब भी केंद्र सरकार के जरिये आरक्षण मिल सकता है.
– अविनाश कोठाले
संस्थापक अध्यक्ष, जिजाउ बैंक
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भाजपा के कारण मराठा समाज पर अन्याय
कांग्रेस ने मराठा समाज को आरक्षण दिया था. लेकिन इससे पहले पांच वर्ष तक राज्य में भाजपा की सरकार थी और उन्होंने इस मामले को लेकर ढुलमूल रवैया अपनाया. यदि भाजपा समय पर ही अपना पक्ष रखने में सफल हुई होती, तो आज मराठा समाज को आरक्षण मिल गया होता. महाविकास आघाडी सरकार द्वारा पूरी ईमानदारी के साथ मराठा समाज आरक्षण देने का प्रयास किया गया है.
– बबलू देशमुख
जिलाध्यक्ष, कांग्रेस
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आर्थिक आधार पर हो आरक्षण
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी को सम्मान करना होगा. लेकिन यह भी सच है कि, मराठा समाज को आरक्षण मिलना मौजूदा समय की जरूरत है और यदि आरक्षण को रद्द करना ही है, तो सभी का आरक्षण रद्द करते हुए आर्थिक आधार के अनुसार आरक्षण घोषित किया जाये, ताकि सभी को न्याय मिल सके और किसी भी जाति वर्ग पर अन्याय न हो.
– सुनील वर्हाडे
जिलाध्यक्ष राकांपा
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राज्य सरकार की नाकामी है जिम्मेदार
सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को लेकर हमें जिस हार का सामना करना पडा है, उसके लिए पूरी तरह से मौजूदा राज्य सरकार जिम्मेदार है. हमने अपने प्राणों की बाजी लगाकर मराठा आरक्षण की लडाई लढी थी. जिसमें मराठा समाज के कई युवा भी शहीद हुए, लेकिन मौजूदा सरकार के नेताओं ने एक तरह से हमारे त्याग व बलिदान का अपमान किया है. इसके लिए मराठा समाज राज्य की महाविकास आघाडी सरकार को कभी माफ नहीं करेगी.
– अंबादास काचोले
सदस्य, मराठा क्रांति मोर्चा
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सीएम ठाकरे जल्द लेंगे निर्णय
हमें मराठा आरक्षण को लेकर न्यायालय से काफी अपेक्षाएं थी. किंतु यह अपेक्षाएं पूर्ण नहीं हुई. हम सभी पर न्यायालय का निर्णय बंधनकारक है. वहीं इस मामले में मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे द्वारा जल्द ही अगली प्रक्रिया तय की जायेगी. इसमें कोई संदेह नहीं है. मराठा समाज को सीएम उध्दव ठाकरे व राज्य की महाविकास आघाडी सरकार से काफी अपेक्षाएं है.
– बच्चू कडू
राज्यमंत्री
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महाविकास आघाडी की विफलता
पूर्व मुख्यमंत्री देवेेंद्र फडणवीस ने कानूनी दायरे के तहत मराठा समाज के लिए आरक्षण विधानसभा में मंजूर किया था. जिससे ओबीसी आरक्षण को धक्का भी लगनेवाला था और उन्होंने इस आरक्षण को हाईकोर्ट में भी टिकाये रखा. किंतु इसके बाद राज्य की सत्ता में आयी महाविकास आघाडी सरकार ने इस विषय को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गंभीरता से अपना पक्ष नहीं रखा, क्योंकि इस सरकार की भूमिका ही मराठा आरक्षण के खिलाफ थी. ऐसे में यह आरक्षण रद्द होने के लिए पूरी तरह से राज्य की महाविकास आघाडी सरकार जिम्मेदार है.
– डॉ. अनिल बोंडे
पूर्व कृषि मंत्री
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मराठा समाज को है आरक्षण की जरूरत
मराठा समाज में कई लोग बेहद गरीब है. ऐसे में उन्हें आरक्षण की आवश्यकता है. जिन लोगों की परिस्थिति अच्छी नहीं है, उन्हें आरक्षण दिया जाना चाहिए. इस संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा बैठक बुलायी गयी है. हम सभी इस मसले पर मराठा समाज के साथ है.
– सुलभा खोडके
विधायक, अमरावती.
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बडी खंडपीठ के समक्ष प्रभावी रूप से रखा जाये पक्ष
राज्य की महाविकास आघाडी सरकार ने मराठा समाज को न्याय देने हेतु भरपुर प्रयास किया. लेकिन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया फैसला सभी पर बंधनकारक है. अब राज्य सरकार ने 9 सदस्यीय बडी खंडपीठ के समक्ष अपनी भूमिका प्रभावी रूप से रखनी चाहिए, ताकि मराठा समाज को आरक्षण का लाभ मिले.
– प्रा. वीरेंद्र जगताप
पूर्व विधायक
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महाविकास आघाडी सरकार की असफलता
मराठा समाज को आरक्षण देने में राज्य की मौजूदा महाविकास आघाडी सरकार पूरी तरह से असफल साबित हुई है. इस समय यदि भाजपा की सरकार रही होती, तो मराठा समाज को निश्चित तौर पर आरक्षण मिला होता. हाईकोर्ट द्वारा जिस आरक्षण को मान्य किया गया, उसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा नकार दिया गया. जिसका सीधा मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार अपना पक्ष प्रभावी रूप से रखने में असफल साबित हुई है. मौजूदा सत्ता पक्ष द्वारा मराठा समाज का केवल राजनीतिक प्रयोग किया जा रहा है.
– नितीन पवित्रकार
राज्य संयोजक, मराठा क्रांति मोर्चा
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धक्कादायक निर्णय
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मराठा समाज के युवाओं हेतु काफी धक्कादायक कहा जा सकता है. आरक्षण को लेेकर निर्णय नहीं होने की वजह से विद्यार्थियों को कुछ प्रमाण में दिक्कतें आ सकती है. ऐसे में सरकार द्वारा इस मसले को लेकर कोई बीच का रास्ता निकाला जाना बेहद जरूरी है.
– अर्चना सवाई
अध्यक्ष, जिजाउ ब्रिगेड उद्योग कक्ष
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केंद्र सरकार करे मामले में हस्तक्षेप
मराठा समाज में कई लोगों को शिक्षा एवं आर्थिक लिहाज से वंचित और पिछडा कहा जा सकता है. सरकारी नौकरी के मामले में लगभग यहीं स्थिति है. ऐसे में केंद्र सरकार ने इस मामले में मध्यस्थता करते हुए इस ज्वलंत मसले को हल करना चाहिए. चूंकि अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है. अत: अब किसी भी तरह के आरोप-प्रत्यारोप करने का कोई मतलब नहीं है.
– डॉ. सुनील देशमुख
पूर्व विधायक
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आरक्षण के नाम पर राजनीति गलत
संविधान के अनुसार 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता. किंतु केवल राजनीतिक स्वार्थ के चलते ऐसा किया जाता है. हम किसी समाज को आरक्षण दिये जाने के खिलाफ नहीं है, लेकिन संविधान को तोडमरोडकर आरक्षण के नाम पर राजनीति करना गलत है. इससे सामान्य वर्ग के बच्चों के साथ अन्याय होता है और इस प्रवर्ग के बच्चों में निराशा की भावना बढ रही है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अब इन बच्चों का मनोबल बढेगा.
– निलेश परतानी
सदस्य, सेव मेरिट सेव नेशन
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नियमों से अधिक न हो आरक्षण
हम किसी को भी आरक्षण दिये जाने के खिलाफ नहीं है. लेकिन यह आरक्षण नियमों व प्रावधानों के दायरे से अधिक नहीं होना चाहिए. तय सीमा से अधिक आरक्षण दिये जाने से सामान्य वर्ग के बच्चों की गुणवत्ता उपेक्षित हो रही थी. जिससे वे मानसिक तौर पर प्रताडित हो रहे थे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सामान्य वर्ग के बच्चों को राहत मिली है. ऐसे में इस निर्णय का सभी ने स्वागत करना चाहिए.
– रश्मी नावंदर
सदस्य, सेव मेरिट-सेव नेशन
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अमरावती ने भी भरी थी मराठा आरक्षण की हुकार
बता दें कि, मराठा आरक्षण की मांग को लेकर समूचे राज्य में मराठा समाज बेहद आक्रामक हो गया था और ‘एक मराठा-लाख मराठा’ की गर्जना करते हुए महाराष्ट्र के सभी जिलों में लाखों मराठा समाज बांधवों का समावेश रहनेवाले मोर्चे निकाले जा रहे थे. जिसके तहत 22 सितंबर 2016 को अमरावती में भी मराठा समाज का भव्य मोर्चा निकाला गया था. जिसके लिए जिले के ग्रामीण क्षेत्रों सहित आस-पडौस के जिलों से हजारों की संख्या में कार्यकर्ता भी इस मोर्चे में शामिल हुए थे. जिसमें मराठा समाज के महिलाओं, पुरूषों, युवाओं तथा छोटे बच्चों का समावेश था. यह मोर्चा कई किलोमीटर लंबा था और जिस समय मोर्चे का अगला हिस्सा जिलाधीश कार्यालय पर पहुंच रहा था, तब इसका अंतिम छोर जयस्तंभ चौक पर था. साथ ही गर्ल्स हाईस्कुल चौक पर हुई सभा के दौरान इस चौराहे पर अथाह जनसागर दिखाई दे रहा था. अमरावती के इतिहास में पहली बार इतना भव्य मोर्चा निकाला गया था, जिसकी सबसे बडी खासियत यह थी कि यह मूक मोर्चा था और लाखोें की संख्या रहने के बावजूद इस मोर्चे में किसी ने भी कोई नारेबाजी नहीं की. जिसके चलते यह मोर्चा अगले कई दिनों तक चर्चा में था.