अमरावती

अधिक मास में बढी जालीदार व्यंजनों की विक्री

रोज के सैकडों किलो की डिमांड

* 33-33 नग बांटने की मान्यता
अमरावती/दि.24- अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास में नाना प्रकार के अनुष्ठान की मान्यता है. इसी प्रकार दान-धर्म का पुण्य कई गुना प्राप्त होने की मान्यता के कारण अनेक आयोजन, अनुष्ठान, धर्मपरायण लोग कर रहे हैं. इस माह में जालीदार व्यंजनों के दान की बडी महिमा बताई जाती है. फलस्वरुप अनेक व्यंजनों की डिमांड बढ जाने की जानकारी मिठाई दुकान संचालक भोला कपूर ने दी.
* ‘धोंडयाचा महीना’ 16 अगस्त तक
प्रत्येक 3 वर्ष में हिंदू कैलेंडर में अधिक मास आता है. इस बार सावन महीने में यह अवसर आया है. ग्रामीण क्षेत्र में इसे ‘धोंडयाचा महीना’ कहा जाता है. 16 अगस्त तक चलनेवाला पुरुषोत्तम मास में तांबे और चांदी की वस्तुओं के दान की भी महिमा बताई जाती है. इसलिए शहर के बर्तन बाजार और सराफा बाजार में चहल-पहल बढी है. बर्तन विक्रेता श्रीकिसन व्यास ने बताया कि, तांबे के दीप और पात्र, लोटे आदि की विक्री स्वभाविक रुप से बढी है. धातु का दाम बढ जाने से हालांकि बहुत अधिक कामकाज नहीं है. फिर भी लोग परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं.
* 33 वस्तुएं बांटने का प्रचलन
शहर के पुरोहितों और जानकारों ने बताया कि पूरन से बनाए गए धोंडे 33 नग वितरण की परंपरा है. ऐसे ही राजस्थानी समाज के लोग प्रतिदिन 33-33 वस्तुएं विशेषकर व्यंजन बांटकर पुण्यलाभ के आकांक्षी बने हैं. यह लोग बताशे, अनरसे, जलेबी, मैसूरपाक, इमरती जैसी वस्तुओं का वितरण कर रहे हैं. बाजार में बताशे 110-130 रुपए तथा मैसर पाक 220-250 रुपए किलो मिल रहे हैं. जलेबी और इमरती में वनस्पती तथा देसी घी के अलग-अलग रेट है. ऐसे ही तांबे और चांदी के दीए के भी दान की प्रथा है. विशेषकर जवाई की आवभगत कर उन्हें यथायोग्य भेंट दी जा रही है. उनकी जमकर खातिरदारी भी ससुराल पक्ष कर रहा है. बाजार में पुरुषोत्तम मास के कारण खरीददारी का जोर थोडा बहुत देखा जा रहा है. चांदी के दाम इसी कारण गत पखवाडे भर में 6 हजार रुपए प्रति किलो बढ गए.

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