अमरावती

रिकॉर्डतोड बारिश से बांध हुए ओवरफ्लो

बडे पैमाने पर करनी पड रही जलनिकासी

सिंचाई क्षमता का 8 गुना पानी हुआ बर्बाद
नियोजन के अभाव में करोडों लीटर पानी बहा व्यर्थ
अमरावती- दि. 23 इस बार बारिश के सीझन दौरान शहर सहित जिले में रिकॉर्ड तोड और झमाझम पानी बरसा है. साथ ही कई स्थानों पर मूसलाधार बारिश और अतिवृष्टिवाली स्थिति भी रही. जिसके चलते इस वर्ष जिले के लगभग सभी छोटे-बडे व मध्यम जल प्रकल्प पूरी तरह से लबालब भर गये और लगातार बढते जलस्तर को देखते हुए अनेकों बार जिले के सबसे बडे अप्पर वर्धा बांध सहित कई मध्यम व छोटे प्रकल्पों से जलनिकासी करने की नौबत आन पडी. झमाझम हुई बारिश का एक असर यह भी रहा कि, कुल जलसंग्रहण क्षमता और सिंचाई की जरूरत इसकी तुलना में आठगुना अधिक पानी इस वर्ष बांधों से नदी में छोडना पडा और इस अतिरिक्त पानी को संग्रहित करने की कोई भी व्यवस्था नहीं रहने के चलते यह पानी व्यर्थ बहकर बर्बाद हो गया.
इस संदर्भ में सिंचाई विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये आंकडों के मुताबिक जिले के एकमात्र बडे बांध उपरी वर्धा बांध से अब तक 4100 मिलियन क्यूबिक मीटर (दस लाख घमी) पानी छोडा गया. इस बांध की क्षमता 564 दलघमी है. पिछले 15 वर्षो में यह पहलीबार हुआ है. कि इतनी बडी मात्रा में पानी छोडना पडा. गत रोज जारी किये गए आंकडों के अनुसार इस समय अप्परवर्धा का 97.23 प्रतिशत तथा जिले के अन्य मध्यम व छोटे प्रकल्पों में 97.48 प्रतिशत जल संग्रहण है.
* बारिश के साथ ही बाढ ने मचायी बर्बादी
विगत जुलाई व अगस्त माह के दौरान आसमान से होती झमाझम बारिश की वजह से हर ओर जलजमाव वाली स्थिति बन गई थी. वहीं कई इलाकों में रही-सही कसर बारिश व अतिवृष्टि की वजह से आयी बाढ ने पूरी कर दी. बारिश की वजह से बांधों में बडे पैमाने पर पानी की आवक होने लगी और लगातार बढते जलस्तर को देखते हुए बांधों से जलनिकासी की जाने लगी. ऐसे में सभी नदी-नालों में पानी का उफान आ गया था और नदी-नालों के किनारे पर स्थित खेत-खलिहानों और गांवों में बाढ व बारिश की वजह से बडे पैमाने पर नुकसान हुआ. जानकारी के मुताबिक जिले में 3 लाख 8 हजार 292.74 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है और 2 लाख 91 हजार 919 किसान प्रभावित हुए है. इसके लिए सरकार ने 533 करोड 14 लाख 65 हजार 314 रूपये की सहायता की घोषणा की.

कम दिनों में ज्यादा पानी बरसने का बना रिकार्ड
* 72 दिनों में 930.2 मिमी बारिश
* 4 माह में पिछले वर्ष से डेढ गुना अधिक वर्षा
अमूमन जून से सितंबर तक 4 माह मानसूनी बारिश होती है. इस वर्ष अब तक लगभग 72 दिनों में अमरावती जिले में औसतन 930.2 मिली मीटर बारिश दर्ज की गई. फिर भी अभी सितंबर का एक सप्ताह शेष बचा है. ऐसे में बारिश का आंकडा 1000 मिमी के स्तर को पार कर सकता है. पिछले वर्ष 2021 में चार माह में जिले में औसतन 773.3 मिली मीटर बारिश दर्ज की गई थी. इस वर्ष बारिश की तीव्रता डेढ गुना अधिक रही. मौसम विभाग का अनुमान है कि इस वर्ष अक्तूबर तक बारिश रहेगी.
हालांकि इस वर्ष जून की शुरूआती दौर में अत्यअल्प बारिश हुई. लेकिन जुलाई व अगस्त में जिले में यह आंकडा 696.00 मिली मीटर के स्तर तक पहुंच गया. जबकि सितंबर में 18 तारीख तक जिले में 218.9 मिली मीटर बारिश दर्ज की गई.
* कहां कितनी बारिश (तहसील निहाय)
जून से सितंबर तक सर्वाधिक बारिश वाली तहसीलों में चिखलदरा (1309 मिमी), वरूड (1230.5), तिवसा (1099.5), चांदुर बाजार (1023.3) और धामणगांव रेल्वे (1097.3 मिमी) में 1000 मिली मीटर का स्तर पार करने का पिछले 10 वर्षो में यह पहला मौका है. जो सामान्य से डेढ गुना दर्ज की गई है. जिले के 90 राजस्व मंडलों में से 60 मंडलों में अतिवृष्टि दर्ज की गई है. जिसमें कही दो से तीन बार तो कही एक बार अतिवृष्टि हुई है. जबकि शेष 30 राजस्व मंडलों में निरंतर बारिश हुई.

* अब मान्सून की वापसी में जमकर बारिश होने का अंदेशा
अभी मान्सून की वापसी होनी बाकी है और मान्सून की वापसी के दौरान भी झमाझम बारिश होने का खतरा लगातार मंडरा रहा है. तुअर व सोयाबीन की कटाई के समय वापसी की बारिश होती है तो नुकसान हो सकता है. वैसे भी मौसम विभाग ने अक्तूबर बारिश का अनुमान व्यक्त किया है. राजस्थान में बन रही स्थिति को देखते हुए वापसी की बारिश का अनुमान बलवती हो गया है. बॉक्स
* उत्पादन घटेगा
इस वर्ष रिकार्ड बारिश का दुष्परिणाम खरीफ फसलों पर पडा है. जिससे उत्पादन घटने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. खासकर तुअर व सोयाबीन का उत्पादन कम होगा. अब डैमेज कंट्रोल का समय भी नहीं रहा है. कपास को लेकर अभी भी इसकी गुंजाइश है. भले ही अत्याधिक बारिश के कारण कपास के पौधों में बढोतरी नहीं हो पाई है. उंचाई नहीं बढने से सिलकोडिया पर कपास पौधे नहीं आ पाए. सिलकोडिया में पौधों को कपास क बोंड लगते है. जबकि मनोकोडिया में कपास के पौधे सिंगल टहनी पर स्थिर हो जाते है. अधिकांश जगह कपास की फसल की यही स्थिति रही. लेकिन फिर भी अभी करंट पकड सकता है. ऐसा जिला कृषि अधिक्षक अनिल खर्चान का मानना है.

Related Articles

Back to top button