अमरावती

फिल्म ‘द एडमिन ए टू स्टोरी’ में नजर आये ‘पद्मश्री’

पूर्व छात्र सतिश कुमार ने किया फिल्म का निर्देशन

शहर की प्रिया टॉकिज में हुई फिल्म रिलिज
अमरावती-/ दि.7  हिरो : ताउ… ताउ… मैं हार गया जिंदगी के संघर्ष से, मैं आपके शरण में आया हूं ताउ. पद्मश्री : डर मत पोट्टे… तू तो इस मिट्टी का बना है. इस मंडल की मिट्टी देशभक्त और साहसी व्यक्तिमत्व का निर्माण करती है. आगे बढ सफलता तुम्हारा इंतजार कर रही है, यह फिल्म ‘द एडमिन ए टू स्टोरी’ का एक दृश्य है. जिसमें समाज के प्रेरणा स्त्रोत श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के प्रधान सचिव पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य है. इस फिल्म का निर्देशन हव्याप्र मंडल के पूर्व छात्र सतिश कुमार व्दारा किया गया है. यह फिल्म हाल ही में शहर की प्रिया टॉकीज में रिलिज हुई है.
इस अवसर पर हव्याप्र मंडल के कॉलेज ऑफ फिजिकल एज्युकेशन की ओर से सोमेश्वर पुसतकर सभागृह में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस मौके पर फिल्म के निर्देशक सत्कारमूर्ति सतिश कुमार, प्राचार्य डॉ. अजयपाल उपाध्याय, सुरेश कुमार, उपप्राचार्य एस. पी. देशपांडे, प्रो. आशिष हाटेकर प्रो. ललित शर्मा व गणमान्य नागरिक उपस्थित थे. सत्कार समारोह का शुभारंभ उपस्थित गणमान्य नागरिकों के व्दारा दीप प्रज्वलन कर व उनके स्वागत से किया गया. इसमें दिलचस्प बात यह है कि, हव्याप्र मंडल के पूर्व छात्र फिल्म निर्देशक व निर्माता सतिश कुमार को विशेष रुप से सम्मानित किया गया. सम्मानित होने के पश्चात सतिश कुमार ने पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य से मिलकर उनका आशीर्वाद लिया.
समारोह में संबोधित करते हुए प्रा. डॉ. अजयपाल उपाध्याय ने कहा कि, हमें जीवन में कैसा जीना है? यह एक व्यक्तिगत और स्वतंत्र मामला है, लेकिन जीने भविष्य का ऐहसास होता है, उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है. फिल्म के निर्देशक व निर्माता सतिश कुमार डिग्री कॉलेज के पूर्व छात्र है और उन्होंने यहां शिक्षा और सामाजिक सुधार के दृष्टिकोन को जाना है. आधुनिक व तकनिकी युग में बेसुद और भटक रहे समाज और युवाओं को उनके कर्तव्य के प्रति जागरुक करने के लिए यह फिल्म बेहद संवेदनशील है. पद्मश्री का मार्गदर्शन सभी के लिए अच्छा निर्देशन साबित हो रहा है. उन्होंने हर छात्रों से उसका लाभ उठाने की अपील की. समारोह का प्रास्ताविक व संचालन एवं आभार प्रो.आशिष हाटेकर ने माना. समारोह की सफलता के लिए प्रो. ललित शर्मा, डॉ. दिनानाथ नवाथे, प्रा. गेलेग, प्रा. नाहीद परवीन ने अथक प्रयास किये.

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