अमरावती

मेलघाट में पहली बार देखा गया पाकिस्तानी ‘कॉमन बझार्ड’

मेलघाट की पक्षीसूची में एक और प्रजाति का नाम जुडा

* दुर्लभ पक्षी के तौर पर हुआ दर्ज, अब तक 304 प्रजाति पायी जा चुकी
अमरावती /दि.15– मेलघाट का जंगल जैवविविधता से संपन्न है तथा देश भर में पायी जाने वाली पक्षियों की कुल प्रजातियों में से करीब 25 फीसदी प्रजातियां मेलघाट के जंगलों में पायी जा चुकी है. मेलघाट के जंगलों में पक्षी अध्ययन की शुरुआत करीब डेढ सौ वर्ष पहले हुई थी. इसके बाद से लेकर अब तक अलग-अलग कालखंड के दौरान किए गए अध्ययन के जरिए मेलघाट में पक्षियों की 304 प्रजातियां रहने की जानकारी दर्ज की जा चुकी है. इस सूची में अब सामान्य बाज यानि ‘कॉमन बझार्ड’ पक्षी का भी नाम जुड गया है. क्योंकि यह प्रजाति हाल ही में मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में देखी गई.

मेलघाट में विगत दिनों ही बॉम्बे नैचरल हिस्ट्री सोसायटी का 4 दिवसीय निसर्ग शिविर संपन्न हुआ. जिसमें शामिल रहने वाले विशेषज्ञों व मार्गदर्शकों ने अकोट वन्यजीव विभाग के जंगलों में भ्रमण करते हुए पक्षी निरीक्षण किया. इस दौरान धारगढ क्षेत्र के जंगल में दुर्लभ प्रजातिवाला सामान्य बाज पाया गया. वन्यजीव रक्षक जयंत वडतकर, निसर्ग संरक्षण संस्था के अध्यक्ष प्रा. डॉ. निशिकांत काले, अभ्यासक नंदकिशोर दुधे व पक्षी मित्र अमोल सावंत सहित शिविरार्थियों को यह पक्षी एक सूखे हुए झाड की शाखा पर बैठा दिखाई दिया. बेहद बारीकी के साथ अध्ययन करने पर यह पक्षी शुभ्रनयन तीसा प्रजाति से अलग महसूस हुआ. जिसके चलते सभी ने वहीं पर रुककर उसका बेहद बारीकी के साथ निरीक्षण किया और उसके छायाचित्र भी लिए. जिसके बाद यह पक्षी सामान्य बाज प्रजाति का रहने की बात स्पष्ट हुई. विशेष उल्लेखनीय है कि, इस प्रजाति के पक्षी को मेलघाट में पहली बार देखा गया है.

* उत्तर पाकिस्तान व कश्मीर में पाया जाता है ‘कॉमन बझार्ड’
पक्षी विशेषज्ञों के मुताबिक सामान्य बाज यानि ‘कॉमन बझार्ड’ प्रजाति का यह पक्षी शीतकाल के दौरान स्थलांतरण करते हुए उत्तर पाकिस्तान व कश्मीरी प्रदेश से भारत की ओर आता है. इससे पहले मध्य भारत व महाराष्ट्र में इस पक्षी को इक्का-दुक्का मौकों पर देखा गया है. उत्तरी पाकिस्तान व कश्मीर राज्य से वास्ता रखने वाला यह पक्षी शीतकाल के दौरान दक्षिण का रुख करता है और केरल सहित श्रीलंका जैसे गर्म प्रदेशों की ओर चला आता है.

* सामान्य बाज पक्षी इस बार मेलघाट मेें ठंडी के पूरे मौसम दौरान दिखाई दिया. वह संभवत: कडाके की ठंड से बचने हेतु देश के उत्तरी हिस्सों से स्थलांतरण कर मेलघाट की ओर आया हो यह जानकारी सामने आने के साथ ही यह बात स्पष्ट हो गयी है कि, सतपुडा का क्षेत्र पक्षियों के स्थलांतरण मार्ग हेतु एक बेहद महत्वपूर्ण पडाव है. साथ ही मेलघाट में ऐसे कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी रहने की संभावना को बल भी मिल रहा है.
– डॉ. जयंत वडतकर,
मानद वन्यजीव रक्षक

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