अमरावती

पाम तेल के आयात में गिरावट

आयात शुल्क कम होने से एसईए नुकसान को लेकर चिंतित

अमरावती/प्रतिनिधि दि.१४ – घरेलू बाजार में अधिक स्टॉक होेने के कारण इस साल जून के दौरान पिछले महीने की तुलना में भारत का पाम तेल आयात 24 प्रतिशत घटकर 5,87,467 टन रह गया.
उद्योग निकाय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने यह जानकारी दी. एसईए ने चिंता व्यक्त की कि कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और अन्य पाम तेलों के आयात शुल्क में हाल में सितंबर तक के लिए कटौती, साथ ही दिसंबर तक आरबीडी पामोलिन के आयात पर रोक हटाने से घरेलू तेल रिफाइनिंग कंपनियों और तिलहन उत्पादकों के हितों को नुकसान पहुंचेगा. भारत ने जून 2020 में 5,64,839 टन पामतेल का आयात किया था. जबकि मई 2021 में पाम तेल का आयात 7,69,602 टन का हुआ था.
देश का कुल वनस्पति तेल आयात इस साल जून में 17 फीसदी घटकर 9.96 लाख टन रह गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 11.98 लाख टन था. कुल आयात में पाम तेल का हिस्सा 60 फीसदी से अधिक है. पाम तेल उत्पादों में, कच्चे पाम तेल का आयात जून में बढकर 5.76 लाख टन हो गया. जो एक साल पहले 5.63 लाख टन था. कच्चे पाम कर्नेल तेल के आयात की खेप पहले के 1,000 टन से बढकर 7,377 टन हो गई.

  • शून्य शुल्क पर आयात से रिफाइनरियों को नुकसान

एसईए के अनुसार, आरबीडी पाम तेलों के निर्बाध आयात की छूट देने से नेपाल और बांग्लादेश से शून्य शुल्क पर रिफाइंड तेलों के आयात में जबर्दस्त वृद्धि हो सकती है, जिससे पूर्वी और उतरी भारत के रिफाइनरी इकाइयां गंभीर रुप से प्रभावित हो सकती है. भारत मुख्य रुप से इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल का आयात करता है और अर्जेंटीना से सोयाबीन तेल सहित कच्चे हल्के तेल बहुत कम मात्रा में आयात करता है. सूरजमुखी का तेल यूक्रेन और रुस से आयात किया जाता है.

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