अमरावती

पान पिंपरी उत्पादक कर रहे अनुदान पाने के लिए संघर्ष

पारंपरिक फसल नष्ट होने की कगार पर

अमरावती प्रतिनिधि/दि.२७ – सातपुडा की तलहटी पर अमरावती, अकोला, बुलढाणा इन जिलो में बीते ६०- ७० वर्षो से परंपरागत पद्धति से पान पिंपरी, मुसली, दवा, वनसपंदा की बुआई की जाती है. लेकिन अनुदान के अभाव में अब यह फसल नष्ट होने की कगार पर आ गई है. यहां बता दें कि पान पिंपरी फसल को वर्ष २०११ के बाद अनुदान बंद कर दिया गया. जिसके बाद से क्षेत्र के किसानों ने अनुदान को लेकर आंदोलन किया और वर्ष २०१३-१४ में अनुदान प्राप्त करवाया और नियमित रुप से अनुदान शुरु भी करवाया. लेकिन २०१७-१८ के अनुदान में बेवजह जानबुझकर खामिया निकालकर वह बंद कर दिया गया. जिसके चलते तब से लेकर अब तक पान पिंपरी उत्पादक अनुदान पाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे है. इस क्षेत्र के किसान मनोहर मुरकुटे, मनोहर भावे, सुभाष थोरात, हर्षल पायघन, रितेश आवंडकार अन्य किसानों ने कृषि मंत्री, जिलाधिकारी, कृषि सहसंचालक, अकोला जिले के पालकमंत्री के पास शिकायत दर्ज कराने पर पान पिंपरी उत्पादक किसानों की राज्यमंत्री बच्चू कडू ने विभागीय आयुक्त कार्यालय में बैठक ली और अधिकारियों को हल निकालने के निर्देश दिए. जिसके चलते अब पान पिंपरी उत्पादकों को अनुदान मिलने की राह आसान हो गई है.

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