पार्श्वदय तीर्थक्षेत्र पर पंचकल्याणक महोत्सव
जितना हम भगवान के लिए करते है उससे ज्यादा हमें प्राप्त होता है
* सुविरसागर महाराज के कथन
पार्श्वदय तीर्थक्षेत्र (नागठाणा)/ दि. 11– जितना हम भगवान के लिए करते है. उससे ज्यादा हमें प्राप्त होता है. दान देने की परंपरा यह जैन समाज में है. जैन साधु कभी किसी का बुरा नहीं करते. ऐसे उदगार आचार्य श्री सुविरसागर महाराज ने कहे. वे पार्श्वदय तीर्थ पर आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव दौरान गर्भ कल्याणक कार्यक्रम में वे मार्गदर्शन कर रहे थे.
पार्श्वदय तीर्थ पर आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव के दूसरे दिन भगवान पार्श्वनाथ की पालखी निकाली गई. महिलाओं ने भगवे कपडे पहनकर कुंभकलश तथा पुरूषों ने भगवान की प्रतिमा सिर पर रखकर कलश यात्रा निकाली. कलशयात्रा सभामंडप में पहुंचने के बाद कुंभकलश से मंडप शुध्द करके मंडप का उद्घाटन दिलीप जैन के हाथों हुआ. इस अवसर पर 25 ध्वजारोहणकर्ताओं ने 25 ध्वज लहराए. गुरूवार को दिनभर विविध कार्यक्रम पंचकल्याणक महोत्सव में संपन्न हुआ. पंचकल्याणक महोत्सव में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और देश के कोने-कोने में जैन बंधुओं ने उपस्थिति दर्शायी है. कार्यक्रम में पार्श्वदय तीर्थक्षेत्र नागठाणा पंचकल्याणक महोत्सव समिति के अध्यक्ष उल्हास क्षीरसागर, परम संरक्षक दिलीप जैन, संतोष पेंढारी, अमित जैन, कार्याध्यक्ष डॉ. अरविंद भागवतकर, कमलेश खडके, नितीन नखाते, संगीता शाह, अरूण श्रावणे, संगीता क्षीरसागर, बाबूराव राउलकर, वैशाली मोरस्कर, नीता विटालकर, डॉ. कल्पना विटालकर, विवेक सोइतकर उसी प्रकार डॉ. अजय भागवतकर, विशाल महात्मे, नितीन मोरस्कर, मनीष विटालकर, शैलेश मचाले, अनंत विटालकर, सागर मानेकर, पंजाब पोहरे, चंद्रकांत थेरे, राजेन्द्र थेरे, सचिन गव्हाणे, प्रवीण गडेकर, हर्षद भागवतकर, प्रशांत मानेकर, संजय राखेसह शेंदुरजनाघाट, वरूड, मोर्शी, अमरावती, मुलताई, प्रभात पट्टण, पांढुर्णा, नागपुर, औरंगाबाद, वाशिम, पुलगांव, बैतूल सहित विदर्भ के जैन समाज बंधु परिश्रम कर रहे है.