अमरावती/दि.8– समीपस्थ श्री क्षेत्र कौंडण्यपुर स्थित श्री विठ्ठल-रूख्मिणी संस्थान से 200 वारकरियों के साथ निकली माता रूख्मिणी की मानांकित पालखी विगत 6 जुलाई को पंढरपुर में चंद्रभागा नदी के किनारे पहुंच गई. इस पालखी के साथ विगत 3 जुन को कौंडण्यपुर से निकले 200 वारकरियों ने 40 दिन की पैदल वारी करते हुए 875 किलोमीटर की दूरी तय की और पंढरपुर पहुंचने के साथ ही कौंडण्यपुर स्थित विठ्ठल रूख्मिणी संस्थान की 428 वर्ष पुरानी अखंड परंपरा को कायम रखा. अब आषाढी एकादशीवाले दिन यह मानांकित पालखी पंढरपुर स्थित विठ्ठल मंदिर पहुंचेगी. जहां पर माता रूख्मिणी की भगवान विठ्ठल से भेंट होगी.
पंढरपुर पहुंचते ही चंद्रभागा नदी में माता रूख्मिणी की चरण पादुकाओं का अभिषेक किया गया. जिसके बाद पूरे विधि-विधान के साथ इन पादुकाओं का पूजन हुआ. पश्चात ताल-मृृदंग एवं ढोल-ताशे के साथ यह दिंडी पांडूरंग के दर्शन हेतु निकली तथा पांडूरंग की प्रदक्षिणा पूर्ण करने के साथ ही इस पालखी को पंढरपुर स्थित कौंडण्यपूर संस्थान के मठ में पहुंचाया गया. जहां पर भाविकों ने पालखी का दर्शन लिया. इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष नामदेवराव अमालकर तथा सचिव सदानंद साधु व विश्वस्त चव्हाण भी उपस्थित थे.
विगत 3 जून को कौंडण्यपुर से पंढरपुर जाने हेतु पैदल वारी पर निकले सभी वारकरियों का 40 दिनों की पैदल यात्रा के दौरान जगह-जगह पर भावपूर्ण स्वागत हुआ एवं विभिन्न स्थानों पर भाविक श्रध्दालुओं ने माता रूख्मिणी की पालखी का पूजन करते हुए वारकरियों के भोजन व निवास का प्रबंध भी किया. जिसे विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हुए यह पैदल वारी पंढरपुर की ओर आगे बढती रही और 6 जुलाई को अपने गंतव्य पंढरपुर पहुंची.