अमरावती/दि.03– अनाथों के पिता नाथ शंकर बाबा पापलकर, जिन्होंने बेसहारा, विकलांग, मानसिक रूप से मंद, बहरे जैसे 125 बच्चों का पालन-पोषण किया और उन्हें अपने माता-पिता के समान प्यार से पाला, उनकी शादी की और उनका पुनर्वास किया. उनके मानवीय कार्यों को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने भारत ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की है और जल्द ही उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. इस अवसर पर अभिनंदन पेंढारी सचिव सकल जैन समाज और बुलिदान मुकबधीर विद्यालय राठी के अध्यक्ष पुरुषोत्तम मुंदडा,अनिल सुराणा वझ्झर आश्रम गए और उन्हें हार्दिक बधाई दी. इस अवसर पर अभिनंदन पेंढारी के साथ आश्रम के बच्चों द्वारा शंकर बाबा पापलकर को सम्मान पत्र, मोती की माला, शॉल, श्रीफल, फूलों का गुलदस्ता देकर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम के अध्यक्ष बधिर विद्यालय के पुरूषोत्तम मुंधड़ा, अनिल सुराणा, डॉ. सुरेश भंसाली थे. मुख्य अतिथि के रूप में दीपक हुंडीकर, महेंद्र देशमुख, विनोद गुदधे, विलास उदापुरकर, रामदासभाऊ, धीरज उपस्थित थे.
अभिनंदन पेंढारी ने अपने परिचय में कहा कि शंकर बाबा पापलकर ने 1992 से यह काम शुरू किया और बेसहारा, विकलांग और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को आश्रय दिया. उन्हें शिक्षित किया, माता-पिता के रूप में पूरी जिम्मेदारी स्वीकार की, उनके विवाह का कार्य किया, दीपक हुंडीकर, अनिल सुराणा, डॉ. सुरेश भंसाली, विनोद गुड्डे, महेंद्र देशमुख, विलास उदापुरकर ने भी यह भावना व्यक्त की कि यह एक दैवीय कार्य है. तोड़ नहीं कार्यक्रम के अध्यक्ष पुरूषोत्तमजी मुंधड़ा ने कहा कि बाबा का काम लंबा है और उन्हें पदमश्री मिल रहा है. पुरस्कार पुण्य कार्य का लक्ष्य निर्धारित कर बाबा के कार्य की स्वीकृति है.बाबा के कार्य को स्वीकार करते हुए, उन्होंने सराहनीय कार्य का लक्ष्य निर्धारित कर उस कार्य में समर्पण भाव से समर्पित होकर इस बात पर जोर दिया कि यदि कोई भी राहगीर को यशो मंदिर की ओर जाते हुए देखना चाहता है, तो उसे वज्जर नामक गांव में आकर बाबा के दर्शन करना चाहिए. .