लंदन से 18 दिन बाद मिला माता-पिता को अपने बेटे का पार्थिव
बडनेरा में विपुल कोल्हे की आकस्मिक मौत से शोक की लहर
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27 वर्षीय विपुल की लंदन में हुई थी हृदयाघात से मौत
अमरावती/दि.1 – बडनेरा नई बस्ती के पवन नगर निवासी प्राचार्य राजश्री कोल्हे व सेवानिवृत्त शिक्षक अनिल कोल्हे के इकलौते पुत्र 27 वर्षीय विपुल कोल्हे का 21 दिन पहले युनायटेड किंगडम यानी इंग्लैंड के लंदन में हृदयाघात के चलते निधन हो गया था. पश्चात करीब 18 दिन बाद धुलिवंदनवाले दिन सोमवार 29 मार्च को विपुल का शव बडनेरा में उसके माता-पिता तक पहुंचा. जहां पर बेहद शोकाकुल वातावरण के बीच विपुल के शव पर अंतिम संस्कार किया गया. इस घटना के चलते समूचे बडनेरा परिसर में जबर्दस्त शोक की लहर व्याप्त है. वहीं अपने पुत्र का पार्थिव प्राप्त करने हेतु 18 दिनों का इंतजार कोल्हे दम्पत्ति के लिए कई युगों की प्रतीक्षा के तरह था.
इस संदर्भ में मिली विस्तृत जानकारी के मुताबिक बडनेरा स्थित राजेश्वर यूनियन हाईस्कुल की प्राचार्य राजश्री कोल्हे व सेवानिवृत्त शिक्षक अनिल कोल्हे के इकलौते पुत्र विपुल कोल्हे ने मेघे इंजिनिअरींग कॉलेज से पदवी की शिक्षा प्राप्त की. पश्चात पुणे की एक कंपनी ने उसकी योग्यता को परखते हुए उसे इंग्लैंड भेजा. जिसके चलते कोल्हे परिवार सहित विपुल के मित्र परिवार व परिसरवासियों का आनंद द्विगुणित हुआ. किंतु महज 27 वर्ष की आयु में विगत 12 मार्च को विपुल का हृदयाघात के चलते लंदन के नॉर्थ स्लॉव बर्कशायर शहर स्थित अपने घर में निधन हो गया. पश्चात विपुल के एक मित्र ने यह दु:खद समाचार कोल्हे परिवार को दिया और करीब 18 दिनों की प्रतीक्षा के बाद धुलिवंदनवाले दिन विपुल का पार्थिव विशेष विमान के जरिये मुंबई विमानतल पर लाया गया. जहां से एक एम्बुलन्स विपुल के पार्थिव को लेकर बडनेरा पहुंची. 29 मार्च को जहां एक ओर समूचे देश में रंगोत्सव मनाया जा रहा था, वहीं दूसरी ओर बडनेरा की हिंदू श्मशान भूमि में बेहद शोकाकुल वातावरण के बीच विपूल के पार्थिव पर अंतिम संस्कार किया गया.
जानकारी के मुताबिक यूनायटेड किंगडम यानी इंग्लैंड से किसी पार्थिव को दूसरे देश में भेजने हेतु सारी प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए लंबा समय लगता है. इसके तहत शव विच्छेदन करने के बाद वहां की पुलिस सहित संबंधित देश के दूतावास की अनुमति लेनी पडती है और ट्रैवलिंग सहित अन्य कई खानापूर्तियां पूर्ण करनी पडती है. विपूल के मामले में भी दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच आपसी संवाद हुआ और विपूल के पार्थिव को इंग्लैंड से बडनेरा लाने हेतु करीब 18 दिन का समय लगा. वहीं कई बार इंग्लैंड से पार्थिव प्राप्त होने हेतु इससे भी अधिक समय लगता है, ऐसी जानकारी है.