* एनओसी के मामले पर औंधे मुंह गिरा मंडी प्रशासन
* सेस बकाया रहने पर भी लाईसेंस रिन्यूअल करना व वोटिंग लिस्ट में नाम डालना पड गया भारी
अमरावती/दि.17 – आगामी 28 अप्रैल को होने जा रहे अमरावती फसल मंडी के उपचुनाव में अडत व्यापारी निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन पेश करने वाले परमानंद अग्रवाल को आज विभागीय सहनिबंधक यानि डीडीआर कार्यालय से एक बडी राहत मिली है. जहां पर जिला सहकार उपनिबंधक द्बारा अपना नामांकन खारिज किए जाने के खिलाफ परमानंद अग्रवाल ने अपील की थी और उनकी अपील डीडीआर की कोर्ट में स्टैंड हो गई. यानि नामांकन खारिज करने के संदर्भ में जिला उपनिबंधक द्बारा दिया गया फैसला रद्द हो गया है. जिसके चलते परमानंद अग्रवाल अब एक बार फिर अमरावती फसल मंडी के चुनाव हेतु अडत व्यापारी निर्वाचन क्षेत्र से बतौर प्रत्याशी मैदान में है.
बता दें कि, परमानंद अग्रवाल की ओर अमरावती फसल मंडी का करीब 1.14 करोड रुपए रुपयों का सेस व ब्याज बकाया था. जिसे लेकिन मंडी प्रशासन व परमानंद अग्रवाल के बीच लंबी अदालती लडाई भी चली और इसी बीच फसल मंडी के चुनाव की गहमागहमी भी शुरु हो गई. विगत मार्च माह के अंत में ही नागपुर हाईकोर्ट ने डीडीआर द्बारा परमानंद अग्रवाल को इससे पहले दी गई राहत वाले फैसले को निरस्त करते हुए सेस व ब्याज की रकम की वसूली के अधिकार मंडी प्रशासन के पास रहने और इस मामले में निर्णय देने का अधिकार जिला उपनिबंधक के पास रहने का फैसला सुनाया था. जिसके चलते मंडी प्रशासन ने परमानंद अग्रवाल को 66.50 लाख रुपए का बकाया सेस तुरंत अदा करने हेतु कहा. चूंकि इसी समय फसल मंडी के चुनाव की नामांकन प्रक्रिया चल रही थी. जिसकी अंतिम तिथि 3 अप्रैल थी. ऐसे में माना जा रहा था कि, परमानंद अग्रवाल को इस तिथि से पहले रकम अदा करते हुए मंडी प्रशासन की एनओसी लेनी होगी. तभी वे यह चुनाव लड जाएंगे. लेकिन परमानंद अग्रवाल ने सेस की रकम अदा किए बिना और मंडी प्रशासन की एनओसी लिए बिना ही अपना नामांकन दायर कर दिया. जिसे 5 अप्रैल को एनओसी नहीं रहने के चलते जिला उपनिबंधक ने खारिज कर दिया. ऐसे में परमानंद अग्रवाल ने इस फैसले के खिलाफ विभागीय सहनिबंधक के पास अपील दायर की. जहां पर उन्होंने जिला उपनिबंधक के फैसले को गलत बताते हुए कहा कि, वे तो सेस की रकम अदा करने के लिए काफी पहले से तैयार है. लेकिन मंडी प्रशासन द्बारा बकाया रकम को लेकर स्पष्ट जानकारी ही नहीं दी जा रही. साथ ही अगर सेस की रकम बकाया रहने के चलते वे चुनाव लडने हेतु अपात्र है, तो मंडी प्रशासन ने सेस की रकम बकाया रहने के बावजूद भी उनके लाईसेंस का नुतनीकरण कैसे किया और उनके नाम को अडत व्यापारी निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में कैसे शामिल किया गया. इस आधार पर अब उन्हें चुनाव लडने से नहीं रोका जा सकता.
विभागीय सहनिबंधक भालचंद्र पारिसे ने परमानंद अग्रवाल की ओर से दी गई दलिलों को ग्राह्य मानते हुए उनका नामांकन खारिज करने के संदर्भ में जिला उपनिबंधक द्बारा दिए गए फैसले को निरस्त कर दिया. साथ ही परमानंद अग्रवाल के लिए मंडी संचालक के संचालक पद का चुनाव लडने का रास्ता खोलते हुए मंडी प्रशासन को निर्देश दिए कि, बकाया सेस के मामले में आगे चलकर नियमानुसार कार्रवाई की जाए.
* दो दिन पहले से परमानंद अग्रवाल लग गए थे प्रचार में
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, आज डीडीआर का फैसला आने से दो दिन पहले ही परमानंद अग्रवाल द्बारा अडत व्यापारी निर्वाचन क्षेत्र में पूरी ताकत के साथ अपना प्रचार व जनसंपर्क यह कहते हुए करना शुरु कर दिया था कि, उनकी अपील स्टैंड होने वाली है और अब उन्हें चुनाव लडने से कोई नहीं रोक सकता. ऐसे में आज यह बात सच साबित होते ही मंडी स्तर पर इस बात को लेकर अच्छी खासी चर्चा चल पडी कि, आखिर यह सब ‘मैनेज’ कैसे हो गया और बिना सेस भरे व बिना मंडी की एनओसी लिए परमानंद अग्रवाल अब एक बार फिर संचालक पद की चुनावी रेस में कैसे आ गए. साथ ही अब यह सवाल भी पूछा जाने लगा है कि, अगर परमानंद अग्रवाल यह चुनाव जीतकर फसल मंडी के संचालक चुन लिए जाते है, तो फिर उस स्थिति में उन पर बकाया रहने वाले सेस व ब्याज की वसूली का क्या होगा.
* 36 में से 10 की अपील स्टैंड
जानकारी के मुताबिक विगत जिले की 12 फसल मंडियों के चुनाव हेतु मिले नामांकनों की जांच पडताल के बाद जिन लोगों के नामांकन खारिज किए गए थे, उसमें से करीब 36 लोगों ने डीडीआर के पास अपील दायर की थी और इसमें से परमानंद अग्रवाल सहित 10 लोगों की अपील स्टैंड हो गई. जिनमें तिवसा फसल मंडी के सुधीर मोहन गोंडसे, चांदूर रेल्वे मंडी के प्रदीप प्रल्हाद कुबडे, अंजनगांव सुर्जी मंडी के दिवेश सुभाष काले व प्रिया श्याम गायगोले, भातकुली मंडी के विलास निर्मलराव देशमुख, दर्यापुर मंडी के सुनील रघुनाथ डीके व कपील गंगाधर देवले तथा चांदूर रेल्वे मंडी के प्रशांत बाबाराव कोल्हे इन इच्छूक प्रत्याशियों का समावेश है. जिन्हें डीडीआर द्बारा अपने फैसले से राहत प्रदान करने के साथ ही फसल मंडी का चुनाव लडने का अवसर उपलब्ध कराया गया है.