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संशोधन क्षेत्र में अहम् योगदान
अमरावती/दि.3 – संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ के कुलगुरु डॉ. दिलीप मालखेडे को डीजल इंजिन के लिए सेंट्रीफ्युगल फ्लुईडाइज्ड चेंबर नामक अभिनव पार्टीक्युलेट सेपरेटर पर पेटेंट प्राप्त हुआ है. इससे विद्यापीठ का राष्ट्रीय स्तर पर गौरव बढा है. भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय से हाल ही में यह पेटेंट मंजूर किया गया है. उनके साथ डॉ. एस.सी. शामकुंवर और अद्वैत प्रमोद सुंदरे को भी पेटेंट संयुक्त रुप से बहाल किया गया है. पिछले कुछ वर्षों से कुलगुरु डॉ. दिलीप मालखेडे व डॉ. एस.सी. शामकुंवर डीजल इंजिन में कार्सिनोजेनिक पार्टीक्युलेट मेटर का उत्सर्जन कम करने पर संशोधन कर रहे थे. इस संशोधन में उन्होंने क्लीनर डीजल इक्झास्ट प्राप्त करने की प्रक्रिया के बाद साधन के रुप में सबसे कम सेंट्रीफ्युगल फ्लुईडाइज्ड चेंबर डिजाइन कर उसे विकसित किया. विकसित करने के बाद उसकी जांच की. जांच में यह सफल रही.
कुलगुरु डॉ. मालखेडे एवं डॉ. शामकुंवर द्बारा किया संशोधन नया है. डीजल इंजिन एक्झास्ट स्वच्छ करने के लिए परंपरागत उपयोग वाली प्रणाली का अनुकरण किया. डॉ. शामकुंवर ने कुलगुरु डॉ. मालखेडे के मार्गदर्शन में आचार्य पदवी के लिए संशोधन किया. उन्होंने डीजल इंजिन टेल पाइप उत्सर्जन से कण निकालने के लिए किफायती और रक्षम तकनीकी विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अख्तियार की. कुलगुरु डॉ. मालखेडे को पेटेंट मिलने पर विद्यापीठ के प्रभारी कुलगुरु डॉ. विलास भाले, कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख, विद्यापीठ प्राधिकारिणी सदस्य, विभाग प्रमुख, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं छात्रों ने उनका अभिनंदन किया है.
कुलगुरु डॉ. दिलीप मालखेडे का संशोधन एवं शैक्षणिक क्षेत्र में बढा योगदान है. एआईसीटीई के सलाहकार के रुप में उन्होंने पांच साल से अधिक समय तक काम किया है. तीस साल से अधिक शैक्षिक और औद्योगिक कार्य का अनुभव है. राष्ट्रीय स्तर पर तंत्रशिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए भी उन्होंने कई उपक्रम हाथ में लिया है. कई उपलब्धियां उनके नाम दर्ज हैं. इंटर्नशिप के लिए कैनेडियन विद्यापीठ में छात्रों को भेजने की योजना उन्होंने आरंभ की. नवनिर्मिति की भावना जागृत करने के लिए उन्होंने 2017 और 2018 मेें स्मार्ट इंडिया हैकेथान आयोजित किया. इसमें बडी संख्या में छात्रों का सहभाग हुआ. भारतीय उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के साथ दुबई, कुवैत में कार्यरत भारतीय अभियंताओं के तकनीकी समस्या हल करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है. आक्सफोर्ड, कैब्रिज, क्वीनमेरी और वेस्टमिन्स्टर विद्यापीठों को उन्होंने भेंट दी है. न्यूयार्क विद्यापीठ सहित विश्वस्तरीय कई विद्यापीठों में उनका सहयोग है. भारत सरकार की विभिन्न समितियों पर उन्होंने काम किया है. इस शानदार उपलब्धि पर उनका आभिनंदन किया जा रहा है.