पेटेंट मैन डॉ. विजय इंगोले को टर्नरी संगणक का पेटंट
त्रिस्तरीय संगणक विश्व का पहला ही पेटंट है
* 25 वर्षों के अथक परिश्रम का सफल नतीजा
अमरावती/दि.7 – महाराष्ट्र के पेटंट मैन के रुप में पहचाने जानेवाले शहर के प्रसिद्ध संशोधक डॉ. विजय तु. इंगोले के त्रिस्तरीय (टर्नरी) संगणक को हाल ही में तीन पेटंट्स मिले हैं. भारत सरकार की ओर से इस आशय का पत्र इंगोले को हाल ही में प्राप्त हुआ है. त्रिस्तरीय संगणक विश्व का पहला ही पेटंट है. फिलहाल अस्तित्व में रहने वाले संगणक द्बिस्तरीय हैं. उस तुलना में टर्नरी संगणक की स्मरण शक्ति कई अरब गुना अधिक है तथा वह डेढ गुना गतिमान है. विद्यमान आधुनिक विश्व में ऐसे संगणक की आवश्यकता बढेगी. संशोधक डॉ. विजय इंगोले की इस खोज के कारण क्रांतिकारी परिवर्तन होगा तथा इस विषय पर उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी है तथा विश्वस्तर पर उसकी मांग बढ रही है.
इस पेटंट के लिये इंगोले ने अथक 25 वर्ष परिश्रम किया है. इस विषय पर विश्वस्तर पर इंगोले के अनेक संशोधन पेपर प्रकाशित हो चुके हैैं. डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूडॉटवीटीइंगोलेडॉटकॉम इस वेबसाइट पर वे उपलब्ध हैं. उनके नाम पर अभी तक 35 पेटंट हैं तथा इनमें इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक, टेलिकम्युनिकेशन, संगणक हार्डवेयर, स्थापत्य, विज्ञान आदि विषयों के संशोधन हैं. इसके पूर्व डॉ. इंगोले को महत्वपूर्ण आईसी इंजिन का पेटंट मिला है तथा वे सर्वश्रुत हैं. 1975 में संशोधक डॉ. इंगोले को इम्पोर्ट सब्सीस्ट्यूशन के लिये पहला पेटंट मिला था. जिसके बाद स्टॅटिक एक्सायटेशन सिस्टिम ऑफ जनरेटर्स, इलेक्ट्रॉनिक्स सोलर डिजी माइक्रोग्रिड सिस्टिम, बायोनरी टर्नरी उॅक, डीसी कन्व्हर्टर, रोटरी इंजिन आदि आज तक अनेक पेटंट मिले हैं. डॉ. इंगोले रोजाना 18 घंटे तक संशोधन के काम में व्यस्त रहते हैं. मानस नामक डॉ. इंगोले के निवास स्थान पर अथवा इंगोले ने 10 वर्षों पूर्व अमरावती-मार्डी रोड पर निर्माण किये गये ‘ग्रीन सर्कल’ संशोधन केंद्र ने यह संशोधन का काम आज भी निरंतर जारी है. त्रिस्तरीय संगणक को पेटंट मिलने के बदले डॉ. इंगोले का सर्वत्र अभिनंदन किया जा रहा है.