कोविड काल के बाद जिप शालाओं में पटसंख्या बढी
अंग्रेजी शालाओं की लगातार बढती फीस से अभिभावक हुए त्रस्त
अमरावती/दि.20- अंग्रेजी माध्यमवाली निजी शालाओं में प्रतिवर्ष प्रवेश एवं शैक्षणिक शुल्क बढते चले जा रहे है. जिसे अदा करना सर्वसामान्य वर्ग के अभिभावकों के लिए अब संभव नहीें है. ऐसे में अब ग्रामीण क्षेत्र से वास्ता रखनेवाले अभिभावक अपने बच्चों को पढाई के लिए जिला परिषद की शालाओं में भेज रहे है. अंग्रेजी माध्यमवाली निजी शालाओं में लाखों रूपयों का खर्च करने के बाद भी बच्चों को न तो ढंग से अंग्रेजी बोलनी आती है और वे अपनी मातृभाषा मराठी भी ढंग से लिख या बोल नहीं पाते. ऐसे में अब बच्चों की अच्छी व समूचित पढाई के लिए लोगबाग अपने बच्चों को जिला परिषद की शालाओं में भेजना पसंद कर रहे है.
उल्लेखनीय है कि, जिले में उंगलीयोें पर गिननेलायक कुछ शालाओं को यदि छोड दिया जाये, तो अधिकांश शालाओं में केवल दिखावे को ही काफी अधिक महत्व दिया जाता है. जबकि छोटी उम्रवाले बच्चों को योग्य शिक्षा देने के साथ ही मातृभाषा और स्थानीय मुद्दों से उन्हें अवगत कराना बेहद जरूरी होता है. इन बातों की ओर जिला परिषद की शालाओं में पूरा ध्यान दिया जाता है. ऐसे में अब अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को निजी शालाओं में भेज रहे है. जिसके चलते अब जिला परिषद की शालाओं में विद्यार्थी संख्या बढती दिखाई दे रही है.
* किस तहसील की जिप शालाओं में कितने विद्यार्थी बढे
धामणगांव – 3,966
वरूड – 2,445
तिवसा – 1,251
मोर्शी – 514
* जिप शालाओं की तहसीलनिहाय वृध्दिंगत पटसंख्या
तहसील 2019-20 2020-21
धामणगांव 13,935 17,901
वरूड 28,964 31,009
तिवसा 13,139 14,390
मोर्शी 20,882 21,396
– 2019-20 की पटसंख्या – 3,33,358
– 2020-21 की पटसंख्या – 3,52,763
– बढी हुई पटसंख्या – 19,405
*सर्वाधिक वृध्दि धामणगांव तहसील में
इन दिनों जिप शालाओं में विद्यार्थियों के पंजीयन का प्रमाण बढ गया है और 14 तहसीलोें में से 7 तहसीलों में विद्यार्थी संख्या में अच्छी-खासी वृध्दि हुई है. इसमें से सर्वाधिक 3 हजार 966 विद्यार्थी धामणगांव रेल्वे तहसील में बढे है. इसके अलावा मोर्शी, वरूड, अंजनगांव सुर्जी, नांदगांव खंडेश्वर व चिखलदरा तहसीलों में भी कम अधिक प्रमाण में विगत दो वर्षों के दौरान पटसंख्या बढी है.
* इस वजह से टूटा अंग्रेजी शालाओं का तिलस्म
निजी शालाओं में प्रवेश एवं पढाई के लिए वसूला जानेवाला शुल्क सर्वसामान्यों की पहुंच से बाहर हो गया है. किसी भी अंग्रेजी माध्यमवाली शाला में पांव रखते ही विद्यार्थी की एडमिशन फीस, यूनिफॉर्म, विविध एक्टिविटी और आने-जाने के खर्च के तौर पर 20 से 50 हजार रूपये तक का शुल्क अभिभावकों से वसूल किया जाता है. साथ ही कई नामांकित शालाओं में प्रतिवर्ष के लिए लाख-सवा लाख रूपये का शुल्क भी वसूला जाता है. ऐसे में पढाई-लिखाई पर होनेवाले इस भारी-भरकम खर्च को देखते हुए अब अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को निजी शालाओं की बजाय सरकारी शालाओं में पढने-लिखने हेतु भेज रहे है.
विगत कुछ वर्षों के दौरान जिला परिषद की शालाओं में विद्यार्थियों को सर्वांगीण व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है. इसके साथ ही सरकार के जरिये भी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक सुविधाएं व सहूलियतें प्रदान की जा रही है. जिसके चलते जिला परिषद की शालाओं में पटसंख्या दिनोंदिन बढ रही है.
– एजाज खान
प्राथमिक शिक्षाधिकारी, जिप, अमरावती.