परतवाडा प्रतिनिधि/दि. ३१ – मेलघाट के ११ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत उडन दस्ते के डॉक्टरों को किराये के निजी वाहनों की सुविधा उपलब्ध है. मगर किराये पर लिये गए वाहन पिछले तीन-चार वर्षों से टेंडर प्रक्रिया के अभाव में पुराने हो चुके है, अधिकांश वाहन खटारा हो गए है, ऐसे वाहनों से डॉक्टरों को मरीजों के साथ जान हथेली पर लेकर सफर करना पडता है. इस ओर प्रशासन गंभीरता से ध्यान नहीं देता. मेलघाट के दुर्गम क्षेत्रों में जहां इलाज करने के लिए व आवागमन के लिए साधन आसानी से उपलब्ध नहीं होते, ऐसे जगह गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीडा शुुरु होने के बाद अस्पताल तक पहुंचाना काफी दिक्कतोंभरा होता है. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने २५ जून १९९५ को नवसंजीवनी योजना अंतर्गत उडन दस्ते की स्थापना की थी. इस योजना अंतर्गत डॉक्टरों की नियुक्ति की गई. साथ ही उनके लिए निजी किराये के वाहनों की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी. इसमें करीब मेलघाट में २२ डॉक्टरों के लिए २२ निजी वाहन उपलब्ध कराये गए है. वाहनों के लिए नियमानुसार हर वर्ष टेंडर की प्रक्रिया चलाई जाती है. टेंडर की प्रक्रिया अब तक शुरु थी मगर पिछले तीन-चार वर्षों से टेंडर प्रक्रिया नहीं चलाई गई. जिससे २०१० के पूर्व के वाहन डॉक्टरों के पास है. पूराने खटारा वाहन होने के कारण मरीज समेत डॉक्टरों की जान खतरे में है. किसी समय अनुचित घटना होती है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा, ऐसा प्रश्न उपस्थित हो रहा है, इस ओर स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को ध्यान देना जरुरी है. आदेश मिलने के बाद भी अब तक टेंडर प्रक्रिया चलाई नहीं गई, जोकि बहुत घातक साबित हो सकती है.