अमरावती

उपजिला अस्पताल में मरीजों को करना पड रहा असुविधा का सामना

बालकों के लिए विटॅमिन ए औषधि की किल्लत

* टीकाकरण के लिए कक्ष को लगा रहता ताला
दर्यापुर/दि.7- तहसील में उपजिला अस्पताल में शहर व ग्रामीण क्षेत्र से मरीज इलाज कराने आते है. जरूरतमंदों के लिए उपजिला अस्पताल महत्वपूर्ण है. किंतु 50 बिस्तरों वाले इस उपजिला अस्पताल में मरीजों को असुविधा का सामना करना पड रहा है. सबसे गंभीर समस्या है कि, नवजात शिशुओं के लिए जरूरी विटॅमिन ए औषधि की डेढ महिने से किल्लत है. बालकों के लिए अति आवश्यक यह औषधि इस अस्पताल में समय पर उपलब्ध नहीं होने से बालकों का स्वास्थ्य खतरे में आ गया है. विशेष बात है कि, सप्ताह के हर गुरुवार को टीकाकरण किया जाता है. जिसके लिए अलग से कक्ष भी है. बालकों की आंखों के लिए आवश्यक विटॅमिन ए सिरप की किल्लत निर्माण हो गई है. शिशु के जन्म के 9 महिने बाद हर 6 महिने में यह औषधि दी जाती है. जब तक वह 5 साल की उम्र का नहीं होता तब तक विटॅमिन ए औषधि दी जाती है. किंतु उपजिला अस्पताल में यह औषधि उपलब्ध नहीं रहने से उनका संपूर्ण जीवन अंधकारमय हो सकता है. बावजूद उपजिला अस्पताल प्रशासन द्वारा इस बात को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा. शहर व ग्रामीण क्षेत्र के कई नवजात शिशुओं को विगत डेढ महीने से विटॅमिन ए इस औषधि की जरूरत रहने पर यह औषधि उपलब्ध नहीं. जिसके कारण बालकों के अभिभावकों में चिंता देखी जा रही है.

औषधि उपलब्ध नहीं रहती
तीन वर्षीय बालक को विटॅमिन ए की औषधि मिलने के लिए डेढ महीने से कई बार उपजिला अस्पताल में अपनी पत्नी के साथ आ रहा हूं. लेकिन टीकाकरण विभाग में औषधि उपलब्ध नहीं होने की बात कही जा रही है. प्रशासन द्वारा होने वाली लेटलतीफी गुस्सा दिलाने वाली है. – आकाश निबांलकर, दर्यापुर

वरिष्ठों को सूचित किया है
बालकों को दी जाने वाली विटॅमिन ए औषधि उपलब्ध कराने संबंध में वरिष्ठों को सूचित किया है. लेकिन वरिष्ठ स्तर पर औषधि भेजी नहीं गई. औषधि मिलने के लिए फिर से प्रयास करें. बालकों के अभिभावकों को हो रही असुविधा के लिए हम क्षमाप्रार्थी है.
-डॉ.सुदाम गवारे, चिकित्सा अधीक्षक

कक्ष को लगा रहता ताला
टीकाकरण कक्ष के बाहर घंटो इंतजार करना पडता है. अलग-अलग टीकाकरण के लिए शहर व आसपास के गांव से अभिभावक अपने बालकों को लेकर उपजिला अस्पताल में हर गुरुवार की सुबह आते है. लेकिन सुबह 10 से 10.30 बजे तक टीकाकरण कक्ष को ताला लगाव रहता है. कक्ष खुलने की प्रतीक्षा में घंटो तक माता को अपने छोटे बालक को लेकर बैठे रहना पडता है.

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