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मेलघाट के 40 अतिदुर्गम गांवों में पक्की सडक बनने का रास्ता खुला

व्याघ्र प्रकल्प से गुजरने वाली 83 किमी की सडकों का निर्माण होगा शुरु

* प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने दी मंजूरी, मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के क्षेत्र संचालक के नाम पत्र जारी
* विधायक राजकुमार पटेल के प्रयास रंग लाए, अब केंद्रीय पर्यावरण बोर्ड की भी हासिल की जाएगी अनुमति
अमरावती/दि.19 – आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र के दुर्गम पहाडी इलाकों में स्थित गांवों में रहने वाले आदिवासी ग्रामीणों के पास चलने फिरने हेतु विगत लंबे समय से पक्की सडकों का अभाव बना हुआ था. ऐसे में वे अन्य इलाकों के साथ संपर्क करने और आवाजाही करने में असमर्थ साबित हो रहे है. क्योंकि देखभाल व दुरुस्ती के अभाव में गड्डों से भर चुकी सडकों के निर्माण में मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प एवं वन विभाग की अनुमतियां आडे आ रही थी. ऐसे में क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल द्बारा इस क्षेत्र के 40 गांवों के लिए मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प से गुजरने वाले रास्तों पर करीब 83 किमी की लंबाई वाली अलग-अलग सडके बनाने हेतु विगत लंबे समय से प्रयास किए जा रहे थे और इन प्रयासों को गत रोज उस समय सफलता मिली. जब नागपुर स्थित प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वनबल प्रमुख) द्बारा मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के क्षेत्र संचालक तथा अमरावती के मुख्य वन संरक्षक को क्षेत्र में सडक निर्माण संबंधित प्रस्ताव को नाहरकत देने के संदर्भ में आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए गए. जिसके चलते आगामी एक माह के भीतर टेंडर एवं वर्क ऑर्डर की प्रक्रिया पूरी करते हुए दुर्गम पहाडी इलाकों में बसे आदिवासी गांवों तक पहुंचने हेतु मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प से होकर गुजरने वाली सडकों के निर्माण का काम शुरु कर दिया जाएगा. वहीं इन सडकों को स्थायी रुप से बनाने हेतु बेहतरीन गुणवत्ता के साथ बनाने के लिए विधायक राजकुमार पटेल द्बारा अब दिल्ली का रुख करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय व बोर्ड से भी आवश्यक अनुमतियां हासिल करने का प्रयास किया जाएगा. ताकि क्षेत्र के आदिवासियों को बार-बार की झंझट से मुक्ति मिले.
बता दें कि, मेलघाट क्षेत्र की चिखलदरा तहसील अंतर्गत अतिदुर्गम क्षेत्र में कई आदिवासी गांवों को आपस में जोडने वाले रास्ते व्याघ्र प्रकल्प से होकर गुजरते है. जो विगत लंबे समय से क्षतिग्रस्त स्थिति में पहुंच चुके थे. ऐसे में दुर्गम आदिवासी इलाकों में रहने वाले ्रग्रामीणों को टूटी-फूटी सडकों से होते हुए गुजरना पडता था. साथ ही इन आदिवासी गांवों तक एम्बुलेंस जैसे वाहन भी नहीं पहुंच पाते थे. जिसे ध्यान में रखते हुए क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल ने विगत 2 वर्षों से क्षेत्र के दुर्गम व अतिदुर्गम आदिवासी गांवों के लिए व्याघ्र प्रकल्प से होकर गुजरने वाली सडकों को नये सिरे से बनाने का प्रयास करना शुरु किया. इस कार्य में राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तथा प्रहार जनशक्ति पार्टी के संस्थापक व विधायक बच्चू कडू की ओर से भी विशेष सहयोग प्राप्त हुआ. साथ ही वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस मामले में सकारात्मक रुख दर्शाया. जिसके चलते गत रोज प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्बारा व्याघ्र प्रकल्प से होकर गुजरने वाली सडकों के निर्माण हेतु नाहरकत प्रमाणपत्र देने के संदर्भ में अमरावती के मुख्य वन संरक्षक तथा मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के क्षेत्र संचालक को निर्देशित किया गया है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, वन विभाग द्बारा कई नियमों व शर्तों के अधीन एनओसी देने की बात कहीं गई है. जिसके तहत वन नियमों का हवाला दिया गया है, ताकि वन संपदा के साथ-साथ पर्यावरण को किसी तरह की कोई हानि न पहुंचे और किसी भी तरह का पक्का निर्माण न किया जा सके. ऐसे में यदि पहले की तरह कच्ची सडक का निर्माण किया जाता है, तो 2-3 साल की बारिश में सडके फिर पहले की तरह खराब हो सकती है. इस बात को ध्यान में रखते हुए मेलघाट क्षेत्र के अतिदुर्गम 40 गांवों में रहने वाले लोगों की सुविधा हेतु आवाजाही के लिहाज से पक्की सडकों के निर्माण को अनुमति मिलने के लिए क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल अब दिल्ली स्थित केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से भी आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने का प्रयास कर रहे है.

* किन सडकों के निर्माण को मिली अनुमति
सडक                                             लंबाई
करंजखेडा-हतरु-रायपुर-सेमाडोह     (भाग-2) 13 किमी
चौराकुंड-चोपन-खोकमार               14 किमी
जारीदा-खंडूखेडा                            10.65 किमी
करंजखेडा-हतरु-रायपुर-सेमाडोह     (भाग-3) 16 किमी
माखला-माडीझडप                        24.425 किमी
हतरु-मारीता                                6.450 किमी

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