‘पवार तथा कावलकर की बैलजोडी ने प्रथम पुरस्कार जीता
रतनलाल भूतडा की स्मृति में बैल स्पर्धा का रोमांच
धामणगांव रेलवे/ दि. 27– तहसील के मंगरूल दस्तगीर में भव्य शंकर पट बैल स्पर्धा में दहीवर के भव्य पवार की बैल जोडी ने प्रथम पुरस्कार जीता और ग्रुप सी में गडगोना के गणेश कावलकर की लकी सर्किट ने प्रथम पुरस्कार जीता. कृषि उपज मंडी समिति के निदेशक रवि भूतडा की संकल्पना से हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी इस भव्य शंकर पट का आयोजन किया गया है. इस बीच बैल दौड के रोमांच का अनुभव हुआ. ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के बीच जीवन शक्ति और रचनात्मक कार्य प्रतिस्पर्धा पैदा करने की भावना से बडी संख्या में बैलों ने मंगरूल दस्तगीर, पट के मैदान, पेठ रघुनाथपुर मेंं शंकरपट में भाग लेने के लिए प्रवेश किया. इस अवसर पर पूर्व विधायक प्रोफेसर वीरेंंद्र जगताप, जिला सहकारी बैंंक के निदेशक श्रीकां गावंडे, सरपंच सतीश हजारे द्बारा विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए गए.
कृषि उपज बाजार समिति के निदेशक रवि भूतडा नितिन कनोजिया, गुरदास धाकुलकर, राजेंद्र डफ, राहुल ठाकरे, पंकज देशमुख, राजू सोनी, शेषराव तिजारे, मनोज शिंदे, पंकज खंडारे, राजू धरवले, अनूप महल्ले, सागर भव्या और अन्य उपस्थित थे. ग्रुप सी में दहीवार से पवार की बैलों की जोडी जबकि गडगोना से गणेश कावलकर की बैल जोडी ने स्पर्धा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है.
मंगरूल दस्तगीर में आयोजित शंकर पट में बडी संख्या में पाट प्रेमी ओर किसान शामिल हुए. इस पाट की सफलता के लिए आयोजन समिति के अध्यक्ष रवि भूतडा, उपाध्यक्ष पंकज देशमुख, सचिव शेषराव तिजारे, संयुक्त सचिव अनूप महल्ले शामिल हुए.
कार्यक्रम में पंकज खंडारे, मनोज शिंदे, सतीश हजारे, हरि ठाकरे, राजा हजारे, गणेश जमरे, शेख हसन, शेख मेहबूब, प्रमोद शेंडे, सुधाकरराव गायकवाड, सुभाष गायकवाड, विजय जोडगे, दिनेश ठाकरे शैलेंद्र शेंडेरे, मनोज शिंदे, मंगेश शेंडेरे, धनराज किंडलें, गोपाल तिजारे, अमोल इंगोले, प्रशांत दाफे, शेख शब्बीर, शशांक लोमटे, किरण अटवकर, पंकज खंडारे, महेश खडसे, किशोर वाघाडे, बबलू जयसवाल, गणेश खंडारे, विजय किंडालेन, मंगेश काले, मंगेश किर्ंडालेन, गणेश इंगले, विठ्ठल चव्हाण, राहुल ठाकरे, राजाभाउ धरवाले, ज्ञानेश्वराव मिसाल, किशोर कोर्डे, किरण इंगले ने अथक परिश्रम किया.
शंकरपट में तेज गति से चलने वाली रिंगी वजन में बहुत हल्की होती है. रेस ट्रैक के किनारे एक निश्चित दूरी पर दो खंबे होते है और उनमें एक धागा बंधा होता है. जब पहला धागा टूट जाता है, तो घडी शुरू हो जाती है. यदि दूसरा धागा टूट जाए तो घडी रूक जाती है. घडी दो धागों के बीच चलने की सटिक गति को रिकॉर्ड करती है, जे जोडी सबसे कम समय में दूरी तय करती है. वह जीत जाती है. शंकर पट के लिए महाराष्ट्र में बैलों के जोडे लाए जाते हैं. तिवसा तहसील के दापोरी खुर्द के चरणदास खरासे मंगरूल दस्तगीर में एक इलेक्ट्रानिक घडी चलाते थे. शुरूआत में चरणदास खरासे, एक कांटा घडी का उपयोग किया गया था. े इसकी माप 100 प्रिंट प्रति सेकंड थी, लेकिन समय के अनुसार खरासे में परिवर्तित होते गये और उन्होंने 2006 से इलेक्ट्रॉनिक घडी का उपयोग करना शुरू कर दिया. इस इलेक्ट्रॉनिक घडी की कीमत लगभग 20 हजार रूपए हैं.