* डकार आने के बाद ही बच्चे को सुलाए
अमरावती/दि.6 – कई बार नवजात बच्चों की नींद में सोते-साते ही मौत हो जाती है और मौत की वजह भी ध्यान में नहीं आती. इसे ‘सडन इन्फंट डेथ सिंड्रोम’ यानि ‘कॉट डेथ’ कहा जाता है. ऐसे में नवजात बच्चों की ओर विशेष ध्यान देना बेहद जरुरी होता है. क्योंकि एक छोटी सी गलती की वजह से बच्चे की जान के लिए खतरा पैदा हो सकता है. ऐसे में बच्चे को दूध पिलाने के बाद उसे कंधे पर लेटाकर पहले बच्चे को डकार दिलानी चाहिए और डकान आने के बाद ही पीठ के बल लेटाना चाहिए. अन्यथा बिना डकार दिलाए बच्चे को सीधा लेटा देने पर नींद में डकार आने पर वह डकार श्वास नलिका में अटककर बच्चे की सांस रुक जाने की वजह से नींद में ही मौत हो सकती है. ऐसी घटनाओं में 1 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों की मौत होेने की संभावना होती है. ऐसे में अभिभावकों ने अपने नवजात बच्चों के स्वास्थ्य व सुरक्षा को लेकर जागरुक रहना चाहिए तथा ‘कॉट डेथ’ को टालने हेतु बच्चे का स्तनपान होने के बाद उसे तुरंत सीधे नहीं लेटाना चाहिए. बल्कि कुछ देर तक कंधे पर लेते हुए थपकी देकर उसकी डकार आने का इंतजार करना चाहिए.
* ‘कॉट डेथ’ यानि क्या?
नींद में रहते समय बच्चें की अचानक मौत हो जाने और बच्चें की मौत की वजह भी समझमें नहीं आने को ‘सडन इन्फंट डेथ सिंड्रोम’ यानि ‘कॉट डेथ’ कहा जाता है.
नवजात बच्चों की ओर विशेष ध्यान देना बेहद जरुरी है. बच्चे को स्तनपान के बाद कभी भी पेट के बल पालथा नहीं सुलाना चाहिए. बल्कि पहले कंधे पर लेकर थपकी देते हुए उसे डकार दिलाई जानी चाहिए और फिर पीठ के बल सीधा सुलाना चाहिए.
– डॉ. अनिल बजाज,
बालरोग विशेषज्ञ.
* कौन सी सावधानियां जरुरी?
– दूध पिलाते समय दें ध्यान
कई बार दूध पीने के बाद बच्चा उल्टी कर देता है और यह उल्टी दही की तरह थक्के वाली हो सकती है. जिसके श्वासनलिका में फंस जाने पर बच्चें की सांस रुककर उसका जी घबरा सकता है. ऐसे में बच्चे को गोद में लेकर ही दूध पिलाना चाहिए और दूध पिलाने के बाद उसे कंधे पर लेकर आराम से थपकाते हुए डकार दिलानी चाहिए.
– बच्चे को पीठ के बल ही लेटाना जरुरी
कई बार बच्चा नींद में पेट के बल पर पालथा यानि उल्टा होकर सोता है. जिसका बच्चे की श्वसनक्रिया व हृदय की क्रिया पर विपरीत परिणाम ऐसे में बच्चे को पीठ के बल ही लेटाना चाहिए.
– झुले में कोई भी वस्तु न रखे
छोटे बच्चे हाथ में आने वाली किसी भी वस्तु को खाने की वस्तु समझकर अपने मुंह में डाल लेते है. साथ ही यदि झूले में अन्य कोई भी वस्तु या खिलौना रहता है, तो वह बच्चे की छाती के नीचे आ सकता है. जिससे बच्चे को तकलीफ हो सकती है. ऐसे मेें बच्चों के आसपास अथवा उनके झूले में कोई भी छोटी-मोटी वस्तू यूं ही नहीं छोड देनी चाहिए.
– माता-पिता के बीच न सुलाए बच्चे को
अधिकांश अभिभावक अपने बच्चे को अपने पास एकदम बीच मे ंसुलाते है, लेकिन नींद में रहते समय माता-पिता के करवट बदलने पर उनके हाथ-पैर के नीचे बच्चे के दबने का खतरा रहता है, ऐसे में बच्चे को माता-पिता के बीच सुलाने की बजाय अलग से झूले में स्वतंत्र तौर पर सुलाना चाहिए.