अमरावती

पालकमंत्री व पुलिस अधिकारियों के प्रयासों से शहर में लौटी शांति

बाहरी जिलों के दर्जनों अधिकारियों का रहा शहर में डेरा

  • 12 दिनों से लगातार संभाले हुए है मोर्चा

अमरावती/दि.25 – विगत 12 व 13 नवंबर को अचानक ही अमरावती शहर में हालात बेहद गंभीर व बिकट हो गये थे और पूरे शहर में हिंसा की आग बडी तेजी से फैलने की पूरी संभावना थी. किंतु ऐसे माहौल में जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर सहित स्थानीय व बाहरी जिलों के दर्जनों पुलिस अधिकारियों द्वारा तुरंत एक्शन में आते हुए मोर्चा संभाला गया. जिसकी बदौलत हालात पर तुरंत ही काबू पा लिया गया. साथ ही अब स्थिति पूरी तरह से शांत व सामान्य हो गई है.
उल्लेखनीय है कि, विगत 12 नवंबर को जब शहर में तोडफोड व हिंसा की शुरूआत हुई, तब एसपी अविनाश बारगल को छोडकर पुलिस एवं प्रशासन के अधिकांश वरिष्ठ अधिकारी छुट्टी पर थे. ऐसे समय शनिवार 12 नवंबर को जिलाधीश कार्यालय पर निकाले गये मोर्चे के बाद हजारों की भीड को सुरक्षित व व्यवस्थित तरीके से वापिस भेजने के लिए प्रभारी पुलिस आयुक्त डीसीपी एम.एम. मकानदार व डीसीपी विक्रम साली की सहायता हेतु जिला ग्रामीण पुलिस अधीक्षक अविनाश बारगल तथा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शशिकांत सातव तुरंत अपने दल-बल के साथ अमरावती शहर की सडकों पर उतरे. वहीं अमरावती के हालात से अवगत होते ही पालकमंत्री यशोमति ठाकुर मुंंबई से तुरंत रवाना होकर अमरावती पहुंची और उन्होंने जिलाधीश कार्यालय को ही अपना कंट्रोल रूम बना लिया. दूसरे दिन भाजपा सहित कई हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा बंद का आवाहन किया गया था. जिसके मद्देनजर किसी भी संभावित व अप्रिय स्थिति से निपटने हेतु बाहरी जिलों की पुलिस एवं एसआरपीएफ की कंपनियों को अमरावती बुला लिया गया था. जिसके चलते वर्धा के एएसपी यशवंत सोलंके, नागपुर की सीआयडी अधीक्षक राजलक्ष्मी शिवणकर, औरंगाबाद की सीआयडी अधीक्षक लता फड, वाशिम के एएसपी गोरख भामरे, नागपुर ग्रामीण के डीवायएसपी राजेंद्र चव्हाण तथा नागपुर शहर के एसीपी संजय सुर्वे सहित कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने अमरावती पहुंचकर मोर्चा संभाला. इसी दौरान नागपुर की नक्सलवाद विरोधी सेल के डीआईजी संदीप पाटील को अमरावती शहर पुलिस आयुक्त का प्रभार सौंपा गया. जिन्होंने तुरंत ही अमरावती पहुंचकर हालात का जायजा लिया और अपने हाथोें में कमान लेते हुए शहर में कडा पुलिस बंदोबस्त तैनात किया. पुलिस द्वारा किये गये इस इंतजाम की वजह से ही शहर में दो गुट के लोगों को एक-दूसरे के बिल्कुल आमने-सामने आने से रोका गया. यहीं वजह रही कि, दोनों ओर से भीड द्वारा किये गये पथराव में खुद पुलिस तो घायल हुए, किंतु इस पत्थरबाजी में एक भी नागरिक को घायल नहीं होने दिया गया. हालांकि इस दौरान कुछ दुकानों में तोडफोड होने के साथ ही कुछ दुकानों व वाहनों में आग लगाने की घटनाएं हुई. किंतु पुलिस ने अपनी पहली प्राथमिकता लोगों की जान बचाने को लेकर तय कर रखी थी. साथ ही इस दौरान सोशल मीडिया पर फैलनेवाली भडकाउ पोस्ट व अफवाहों को रोकने के लिए प्रभारी पुलिस आयुक्त संदीप पाटील ने शनिवार की दोपहर 2 बजे से अमरावती शहर में संचारबंदी यानी कर्फ्यू लागू करने के साथ-साथ इंटरनेट बंदी भी लागू कर दी.
जिस समय अमरावती शहर में कानून व व्यवस्था को लेकर हालात बिगडे, उस वक्त शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह अपने निजी कारणों के चलते अवकाश पर थी. किंतु अमरावती के हालात की जानकारी मिलते ही वे तुरंत ही अपनी छुट्टियां बीच में रद्द कर 13 नवंबर की रात अमरावती के लिए रवाना हुई और 14 नवंबर की सुबह अमरावती पहुंचकर अपना चार्ज लिया. पश्चात उन्होंने तुरंत ही सिटी कोतवाली, नागपुरी गेट तथा खोलापुरी गेट पुलिस थाना क्षेत्र के संवेदनशिल व तनावग्रस्त इलाकों का दौरा किया और दो दिन के दौरान हुई हिंसा के दोषियों को नामजद करने के साथ-साथ हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों की धरपकड का अभियान शुरू किया. जिसके तहत 57 एफआईआर दर्ज करते हुए 315 आरोपियों को हिरासत में लिया गया. वहीं दुसरी ओर शहर में दोनों समुदायों के बीच शांति व भाईचारा बनाये रखने के लिए शांतता समिती की 40 से अधिक बैठकें भी आयोजीत की गई. जिसमें हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल की हेल्पलाईन का भी सहयोग लिया गया. ऐसे ही तमाम प्रयासों के चलते अमरावती शहर में एक सप्ताह के भीतर ही हालात पूरी तरह से शांत व सामान्य हो पाये. जिसकी वजह से अब कर्फ्यू में रोजाना सुबह 7 से रात 11 बजे तक ढील दी गई है. वहीं रात 11 बजे से अगले दिन सुबह 7 बजे तक नाईट कर्फ्यू को लागू रखा गया है. जिसके तहत शहर के विभिन्न इलाकों में 86 फिक्स पॉइंट लगाये गये है. जहां पर रात के वक्त कडा पुलिस बंदोबस्त होता है. ऐसे में अब भी बाहरी जिलों के पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों सहित एसआरपीएफ कंपनिया अमरावती शहर में ही डेरा डाले हुए है.

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