अमरावती

किसानों के संघर्ष की जीत हुई

प्रधानमंत्री ने की तीन कृषि कानून पीछे लेने की घोषणा

अमरावती/दि.20 – प्रधानमंत्री द्वारा तीन कृषि कानून पीछे लेने की गई घोषणा यानि किसानों के संघर्ष एवं एकजुटता की जीत है. ऐसी प्रतिक्रिया कृषि कानून के विरोध में दिल्ली में आंदोलन करने वाले किसानों के समर्थनार्थ जिले में आंदोलन करने वाले संयुक्त किसान संघर्ष समन्वय समिति के पदाधिकारियों ने व्यक्त की. किसान नेताओं ने प्रधानमंत्री की घोषणा का स्वागत करने के साथ ही अनेकों ने हमी भाव कानून की आवश्यकता भी व्यक्त की.

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दिल्ली की सीमा पर किसानों की भावना जानने व किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए दिल्ली में उपस्थित था. वहां की स्थिति एवं भावना मैंने जानी. गत एक वर्ष जिद से दिल्ली सीमा पर लड़ने वाले लाखों किसानों को सलाम. किसानों द्वारा एकजुटता से दी गई लड़ाई को सफलता मिली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों केंद्रीय कृषि कानून पीछे लेने का निर्णय किसान एकजुटता का, महात्मा गांधी द्वारा दिखाए गए अहिंसा, सत्याग्रह के मार्ग की जीत है. यह किसानों द्वारा धैर्य से दिये गए लड़ाई की जीत है. इसमें बलिदान देने वाले किसान बंधुओं को नमन, किसान एकता जिंदाबाद, जय किसान…
– देवेन्द्र भुयार, विधायक, मोर्शी विधानसभा

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मोदी सरकार ने तीन कृषि कानून पीछे लेने का जो निर्णय लिया, यह किसानों की जीत है. किसानों की एकजुटता की जीत है. बड़ा बलिदान देने के बाद सबसे अधिक विश्व का यह पहला आंदोलन था. खासतौर पर मैं पंजाब के किसानों को सलाम करता हूं कि वे अपने परिवार के साथ धूप-बारिश में आंदोलन में एकजुटता से रहे. आखिर मोदी सरकार झुकी, यह किसानों की एकजुटता की जीत है. मोदी सरकार को काला कानून पीछे लेने के लिए किसानों ने मजबूर किया. आगामी चुनाव को देखते हुए राजनीतिक दृष्टि से यदि निर्णय लिया गया फिर भी वह किसानों के हित का निर्णय है. इसलिए मोदी सरकार का आभार. आगामी समय में किसानों की लूट रोकने व हमी भाव से नीचे किसानों का माल बेचा न जाये, इसके लिए सरकार ने कड़े कदम उठाने चाहिए, यहीं विनती है.
– प्रवीण मोहोड़, जिलाध्यक्ष, स्वाभिमानी किसान संगठना

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