अमरावती

महज सरकारी छूट के लिए फर्जी दिव्यांग बनते है लोग

असली लाभार्थियों के साथ होता है अन्याय

* वैद्यकीय जांच की मांग पकड रही है जोर
अमरावती/दि.9 – जिला परिषद के शिक्षा विभाग में कार्यरत रहने वाले शिक्षकों की तबादला प्रक्रिया इस समय पूरे राज्य में चल रही है. जिसके तहत कुछ जिलों में बदली प्रक्रिया के तहत प्राधान्य मिलने हेतु तथा सरकारी की विविध सहुलियतों का लाभ मिलने हेतु कुछ शिक्षकों द्बारा फर्जी तरीके से दिव्यांग प्रमाणपत्र पेश किए जाने का मामला सामने आया है. बीड जिले में ऐसे बोगस प्रमाणपत्र धारक 78 शिक्षकों पर निलंबन की कार्रवाई की गई. जिसके चलते अमरावती जिले में भी दिव्यांग प्रमाणपत्र धारक शिक्षकों की वैद्यकीय जांच करने की मांग शिक्षक संगठनों द्बारा की जा रही है.
उल्लेखनीय है कि, दिव्यांग शिक्षकों को वृद्धिंगत वेतन के साथ ही वाहन भत्ता, पदोन्नति व अपेक्षित स्थान पर तबादला सहित अन्य कई छूट व सहूलियत दी जाती है. जिनका लाभ उठाने हेतु राज्य में कई शिक्षकों ने खुद को फर्जी तरीके से दिव्यांग बताते हुए बोगस दिव्यांग प्रमाणपत्र निकाल रखे है. कुछ शिक्षक संगठनों के मुताबिक अमरावती जिले में भी कुछ शिक्षकों के पास बोगस प्रमाणपत्र रहने की जानकारी है और ऐसे बोगस प्रमाणपत्र धारकों की वजह से असली दिव्यांग लाभार्थी, शिक्षक अपने अधिकारों से वंचित रह जाते है. अत: दिव्यांग प्रमाणपत्र धारक सभी शिक्षकों की वैद्यकीय जांच किए जाने की मांग जोर पकड रही है.

* बोगस लाभार्थियों पर कार्रवाई अपेक्षित
बीड जिले में 78 बोगस दिव्यांग प्रमाणपत्र धारकों पर निलंबन की कार्रवाई की गई है. ऐसे में इस तरह के बोगस प्रमाणपत्र धारक अमरावती में भी रह सकते है. ऐसा कुछ शिक्षक संगठनों का कहना है. अत: बीड जिले की तरह अमरावती में भी जिन शिक्षकों ने फर्जी तरीके से दिव्यांग प्रमाणपत्र जोडे है. ऐसे शिक्षकों की स्वास्थ्य जांच करते हुए उनके खिलाफ योग्य कार्रवाई करने की मांग की जा रही है.

* तबादले के लिए दिव्यांग प्रमाणपत्र का आधार
दिव्यांग व्यक्ति को उसकी सुविधा वाले स्थान पर तबादला देने की सरकारी नीति रहने के चलते कई कर्मचारियों ने अपने छोटे-मोटे शारिरीक व्यंग को काफी बडा व्यंगत्व दिखाकर फर्जी प्रमाणपत्र तैयार किया है और ऐसे फर्जी प्रमाणपत्रों का तबादला प्रक्रिया में अपनी सुविधा के लिए उपयोग किया गया है. ऐसा कई शिक्षक संगठनों का कहना है.

जिले में तबादलें के लिए कई शिक्षकों ने फर्जी तरीके से दिव्यांग प्रमाणपत्र का प्रयोग किया है. अत: जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने दिव्यांग प्रमाणपत्र जोडने वाले सभी शिक्षकों की स्वास्थ्य जांच करते हुए असली लाभार्थियों को न्याय दिलाना चाहिए.
– किरण पाटिल,
प्रदेश उपाध्यक्ष,
अभा प्राथमिक शिक्षक संगठन.

दिव्यांग प्रमाणपत्र के बिना संबंधित शिक्षक को दिव्यांगों का लाभ नहीं दिया जाता. दिव्यांग प्रमाणपत्र की पडताल करने हेतु प्रत्येक तहसीलस्तर पर समिति कार्यरत है और इस पडताल के बाद ही दिव्यांग प्रमाणपत्र को ऑनलाइन अपलोड किया जाता है. जिले में फिलहाल फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र का कोई मामला सामने नहीं आया है.
– बी. आर. खरात,
शिक्षाधिकारी, जिप अमरावती.

* असली दिव्यांग शिक्षकों पर हो सकता है अन्याय
फर्जी दिव्यांग द्बारा किसी शाला को तबादले हेतु चुनने पर वहां का एक शिक्षक विस्थापित हो जाता है. साथ ही इस प्रक्रिया में असली दिव्यांग शिक्षक का प्राधान्य क्रम भी बाधित होता है और उसका समावेश उसकी पसंद के अनुसार प्राधान्य क्रम मेें नहीं हो पाता. जिसके चलते असली दिव्यांग शिक्षक पर अन्याय हो सकता है. अत: शिक्षक संगठनों द्बारा इस मामले में जिला परिषद प्रशासन से योग्य कदम उठाए जाने की मांग की जा रही है.

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