* पुणे का पोर्शे कार दुर्घटना, दिख रहा सब ओर तीव्र रोष
अमरावती/ दि. 23- व्यक्त होने का चांस मिलते ही भारतीय बहुत प्रखरता से व्यक्त होते हैं. यह हमारा कई वर्षो का अनुभव है. अब तो अभिव्यक्ति के लिए ढेर सारे प्लेटफार्म उपलब्ध है. सोशल मीडिया पर अपनी राय व्यक्त करने की वैसे भी होडाहोड मची रहती है. ताजा प्रकरण पुणे का पोर्शे कार हादसा है. पोर्शे कार चलाकर एक अमीर जादे ने मध्यम वर्ग के दो उभरते इंजीनियर को यमलोक पहुंचा दिया. घटना के तुरंत बाद से इस पर तीखी प्रतिक्रिया का दौर चल रहा है. देशभर में घटना को लेकर गुस्सा फूट पडा है. गुस्से के कारण ही कार्रवाई कडी होती दिखाई पड रही. उसमें भी हादसे के बाद पुणे कोर्ट द्बारा आनन फानन में आरोपी को जमानत देने से भी पब्लिक का रोष बढ गया. सोशल मीडिया पर कह सकते हैं कि अब सिस्टम को लेकर गुस्सा उबल पडा है. मीम्स और कार्टून खूब बने हैं. जिसमें कोर्ट ने नाबालिग आरोपी को निबंध लिखने की जो सजा सुनाई है, उसकी जमकर छीछालेदार हो रही है. कुछ बानगियां यहां प्रस्तुत है. जनता और वह भी भारत की जनता किसी को नहीं छोडती. फिर वह अदालत ही क्यों न हो. कोर्ट के निर्णय पर हाल के वर्षो में इतनी तीखी अभिव्यक्ति कदाचित ही हुई हो. आखिर कोर्ट को अपना निर्णय बदलना पडा. आरोपी की जमानत रद्द कर उसे रिमांड होम भेजा गया है. अभी तो शुरूआत है. कार्टून और कटाक्ष की भरमार होनी है. शुक्र है कि प्रदेश में लोकसभा चुनाव निपट गया. अन्यथा हादसे में मारे गये मृतकों के प्रति संवेदना व्यक्त करते या नहीं मगर आरोपी को लेकर पूरा भारत और उसके पोलिटीशियन न जाने क्या- क्या बयान जारी करते. इस दुर्घटना ने वैसे भी सडक परिवहन कानूनों के प्रावधनों पर दोबारा गौर करने की जरूरत बता दी है.