गेंहू की रोटी खाने वाले लोगों ने की चांवल की जगह गेंहू देने की मांग
एक युनिट को 1 किलो गेंहू देने से राशन लाभार्थियों में नाराजगी
*राशनकार्ड धारकों को गेंहू की बजाए बढा कर दिया जा रहा चांवल
अमरावती/दि.02– विगत देढ वर्षो से सरकारी राशन दुकान में गेंहू की बजाए चावंल की मात्रा बढा कर दी जा रही है. जिसमें प्रति व्यक्ति 1 किलो गेंहू व 4 किलो चांवल दिया जा रहा है. पश्चिम विदर्भ में लोगों को भोजन में चांवल की बजाए गेंहू के आटे की रोटी बेहद पसंद है. यही इनका मुख्य अनाज भी माना जाता है. इसकी तुलना में पके हुए चांवल बहुत की कम मात्रा में खाया जाता है. मगर विगत देढ-दो वर्ष से गेंहू की आपूर्ती कम होने के कारण राशन कार्ड धारकों को प्रति व्यक्ती 5 किलो अनाज का वितरण अंतर्गत हर महिने 4 किलो चांवल व 1 किलो गेंहू इस तरह से वितरण किया जा रहा है. जिसके कारण प्रत्येक 1 किलो गेंहू, यही मोदी की ग्यारंटी है क्या..? ऐसा सवाल लाभार्थियों के बीच पैदा हो रहा है. राशन दुकानों से हर महिने 4 किलो चांवल- 1 किलो गेंहू की बजाय 4 किलो गेंहू, 1 किलो चांवल राशन वितरण किया जाने की मांग जिले भर के 20 लाख से अधिक राशन कार्ड धारकों की ओर से किया जा रहा है.
अमरावती जिले में 4 लाख 88 हजार 205 परिवार के 19 लाख 41 हजार 889 नागरिक सरकारी राशन कार्ड धारक लाभार्थी है. इसमें से 1 लाख 27 हजार 624 कार्डधारक परिवार के 4 लाख 76 हजार 624 नागरिकों को मुख्य गट से प्रत्येक को 5 किलो व 3 लाख 60 हजार 502 कार्ड धारकों को अंत्योदय गट से प्रत्येक 35 किलो अनाज हर महिने दिया जाता है. अगर 4 लोगों की सोचे तो हर 18 लाख 43 हजार से ज्यादा नागरिकों को राशन वितरित होता है. केंद्र सरकार व्दारा ‘कम किमत में राशन’ योजना के तहत गरीबों पर ध्यान देने के लिए योजना राज्य में 1 जून 1997 से शुरू है. इस योजना अंतर्गत गरीब परिवारों को शुरूआत में बाजार दाम से कम दाम में प्रति परिवार प्रति माह 10 किलो अनाज दिया जाता था. उसके बाद 1 अप्रेल 2000 से अनाज के अनुसार बढा कर प्रति परिवार प्रति महिना 20 किलो अनाज देना शुरू किया. जिसके बाद 1 अप्रेल 2002 से गरीबीरेखा के पीले कार्डधारकों को हर महिने 35 किलो अनाज (गेंहू व चांवल) व केसरी कार्ड धारकों को हर महिने 15 किलो अनाज ( गेंहूं व चांवल) का वितरण शुरू किया गया. मगर विगत 2 वर्षो से गेंहू कम व चांवल ज्यादा वितरित होने से हर रोज रोटी खाने वाले लोगों में निराशा पनप रही है.
लाखों कार्डधारकों व्दारा गेंहू दिए जाने की मांग
अमरावती शहर में 162 व ग्रामीण क्षेत्रों में 1,914 सरकारी स्वस्त धान्य वितरण दुकानें है. जिसमें से शहर में प्राधान्य गट में 7 हजार 961 व अंत्योदय के 65 हजार 898 कार्डधारक ऐसे लगभग 3 लाख 15 हजार 165 लाभार्थी है. सभी को चांवल की बजाए गेंहू चाहिए. जिले के नागरिकों ने इसके लिए जिला आपूर्ती विभाग में की गई शिकायतों की ढीग बढ रही है. मगर फिर भी गेंहू नहीं आ रहा तो बाटेंगे कहा से, ऐसा विभाग के हर अधिकारी की ओर से कहा जा रहा है.
लाखों कार्ड धारकों को अनाज के बदले नगद
जिला आपूर्ती विभाग की ओर से बताया गया कि जिले के 1 लाख 33 हजार 96 राशनकार्ड धारकों को समय पर न मिलने वाले राशन, गेंहू के बदले चांवल का वितरण, राशन दुकानदारो ंकी परेशानी आदि समस्या को देखते हुए राशन लेना बंद करने वाले देढ लाख लाभार्थियों को हर महिने 150 रुपये उनके बैंक खाते में जमा किए जाते है.
चांवल की काला बाजारी में वृध्दि
प्रति व्यक्ति 1 किलो गेंहू व 4 किलो चांवल मिलता है तो हर राशन कार्ड धारक के घर में कुल सदस्य के अनुसार महिने में 20 से 40 किलो चांवल मिलता है. प्रत्येक महिने में इतना चांवल कोई नहीं खाता. फलस्वरुप इसकी काला बाजारी शुरू होती है. नागरिक राशन दुकान से मिलने वाले चांवल को सीधा बाजार में लाकर दुकानदारों को बेच देते है. शहर के अनेक बस्तियों व जिले के गांव-खेडों में लोगों से चांवल खरीदी करने के लिए बिचौलिये घुमते आसानी से नजर आते है. यह बिचौलिये हर घर-घर दस्तक देकर गल्ली,मोहल्लों में घुमते रहते है. यह चांवल 12 से 13 रुपये में खरीद कर बिचौलिये उसे दुगुने दाम में बडे बिचौलियों को बेचते है. यही नहीं कई लोग तो इन बिचौलियों से 1 किलो चांवल की बजाए 1 किलो शक्कर भी खरीदते है.