मौत के साये व खतरे के बीच परिवार सहित रहते है लोग
कई जर्जर व खस्ताहाल इमारतों में भी डटे हुए है लोग
इमारत मालिकों व किराएदारों के बीच सालों से चल रहा झगडा
अमरावती/दि.12 – विगत वर्ष अक्तूबर 2022 के अंतिम सप्ताह में प्रभात चौक पर स्थित राजेंद्र लॉज की बेहद पूरानी व जर्जर इमारत ढह जाने के चलते मलबे में दबकर 5 लोगों की मौत हो गई थी. जिसके बाद मनपा के उपअभियंता की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने राजदीप बैक हाउस के दो संचालकों के खिलाफ सदोष मनुष्यवध का मामला दर्ज करते हुए 6 लोगों को गिरफ्तार किया था. इसके साथ ही शहर में स्थित पूरानी व जर्जर इमारतों का मुद्दा काफी चर्चा में आ गया था. लेकिन इसके बावजूद कई लोग मौत का खतरा रहने के बावजूद बेहद पूरानी व खस्ताहाल हो चुकी इमारतों को छोडने के लिए तैयार नहीं है. बल्कि अपने परिवार सहित ऐसी इमारतों में ही रह रहे है. जबकि ऐसी इमारतों में रहना हर लिहाज से खतरनाक साबित हो सकता है.
बता दें कि, राजेंद्र लॉज वाली इमारत ढहने का हादसा घटित होने के बाद महानगरपालिका ने शहर में जर्जर व अतिजर्जर इमारतों का 4 प्रकारों में वर्गीकरण करते हुए सर्वेक्षण किया और मनपा के उपअभियंताओं द्बारा स्पॉट विजिट करते हुए संबंधित इमारत में रहने वाले लोगों को नोटीस दी गई. लेकिन इस नोटीस की अनदेखी करते हुए अब भी लोगबाग ऐसी पुरानी व जर्जर इमारतों में डटे हुए है. पता चला है कि, जर्जर व खस्ताहाल स्थिति में पहुंच चुकी कई पुरानी इमारतों में विगत अनेक दशकों से कई परिवार किराएदार के तौर पर रह रहे है. साथ ही कुछ इमारतों में पगडी पलटाते हुए उपकिराएदार यानि सबटेनंट भी रह रहे है. ऐसे अधिकांश किराएदारों का इमारत मालिक के साथ जगह खाली करने को लेकर विगत अनेक वर्षों से कानूनी झगडा भी चल रहा है. जिसके चलते किराएदार ऐसी इमारतों में खतरा रहने के बावजूद भी डटे हुए है. लेकिन ऐसी इमारतों के साथ राजेंद्र लॉज जैसा हादसा घटित होने पर स्थिति बेहद भयावह व खतरनाक हो सकती है.
* शहर में 125 इमारतें खतरनाक
मनपा द्बारा नये सिरे से किए गए सर्वेक्षण में खतरनाक इमारतों की संख्या 125 के आसपास पायी गई. जिसमें सी-1 कैटेगिरी में 35, सी-2 (ए) कैटेगिरी में 52, सी-2 (बी) कैटेगिरी में 24 तथा सी-3 कैटेगिरी में 11 इमारतों का समावेश है.
* 250 निवासियों की जान खतरे में
खतरनाक व अतिखरनाक 125 इमारतों में से 50 से अधिक इमारतें मानवरहित है. यानि पूरी तरह से खाली पडी है. वहीं शेष इमारतों में कुछ परिवार रह रहे है एवं निचली मंजिल पर कुछ दुकानें है. जिसके चलते ऐसी इमारतों में करीब 250 लोग हमेशा रहते है. जिनकी जान को खतरे में कहा जा सकता है.
* मनपा ने दी है कई बार नोटीस
महानगरपालिका के झोन कार्यालयों द्बारा प्रत्येक झोन में खतरनाक इमारतों में रहने वाले किराएदारों व संबंधितों को कई बार नोटीस जारी की है. लेकिन इसके बावजूद भी ऐसी इमारतों को अब तक पूरी तरह से खाली नहीं कराया जा सका है.
* अंबादेवी परिसर में कई जिर्ण इमारतें व दुकानें
– अंबादेवी परिसर में गणेडीवाल चॉल नामक बेहद जर्जर व खस्ताहाल इमारत है. यद्यपि इस इमारत में किसी परिवार का रहना नहीं है. लेकिन यहा पर फटाका भंडार, चायनिज रेस्टारेंट व हार्ड वेअर जैसी विविध दुकानें है, जिनमें कई लोग काम करते है. इन सभी लोगों की जान के लिए हमेशा खतरा बना रहता है.
– अभी हाल ही में राजकमल चौक से अंबादेवी की ओर जाने वाले रास्तें पर स्थित हबर्डेवाला नामक पूरानी इमारत का एक हिस्सा जर्जर हो जाने की वजह से ढह गया था. सौभाग्य से इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई. लेकिन मलबे में दबकर 5 दुपहिया वाहन क्षतिग्रस्त हुए थे. आगे चलकर बारिश का मौसम शुरु होने वाला है, ऐसे में इस तरह के और भी हादसे घटित होने की पूरी संभावना बनी हुई है.
* नये सिरे से किया गया सर्वेक्षण
राजेंद्र लॉज वाली घटना के बाद शहर में जर्जर व खस्ताहाल स्थिति वाली पूरानी इमारतों का नये सिरे से सर्वेक्षण किया गया. शहर में इस समय 125 पूरानी व जर्जर इमारतें है, जिन्हें खाली कराने का काम किया जा रहा है.
– रविंद्र पवार,
कार्यकारी अभियंता-1,
अमरावती मनपा