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ढेर सारी मांगें लेकर चढती धूप में मेलघाटवासियों का मोर्चा

खोज की उपाध्याय और एड साने का नेतृत्व

* अकोट, तेल्हारा के भी आदिवासी धमके आयुक्तालय
* लंबी चौडी चिट्ठी में बाल मृत्यु, उपजत मृत्यु सहित अनेक मुद्दे
अमरावती/ दि. 10- मेलघाट की दोनों तहसीलों के अनेक दुर्गम भागों के साथ ही क्षेत्र से सटे अकोट व तेल्हारा के सैकडों जनजातीय लोगों ने आज दोपहर चढती धूप में विभागीय आयुक्त कार्यालय पर विशाल मोर्चा ले जाकर अपनी लंबी चिट्ठी आयुक्त को सौंपी. चिट्ठी में मेलघाट संबंधी अनेक पुरानी मांगों सहित स्मार्ट मेलघाट बनाने के वास्ते एक शार्ट टर्म और एक लांग टर्म प्लान बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया. मोर्चे का नेतृत्व एड. बी.एस. साने उर्फ बंडया साने और खोज संस्था की पूर्णिमा उपाध्याय सहित अन्य ने किया. दोनों ही कार्यकर्ता मेलघाट में अनेक वर्षो से जनजातीय लोगों की आवाज बने हैं. वहां की समस्याओं के निराकरण हेतु प्रयासरत हैं.
उल्लेखनीय है कि विभागीय आयुक्त के नाम लंबी चिटठी में एड. साने और एड उपाध्याय ने मेलघाट के कुपोषण, बालमृत्यु, माता मृत्यु नियंत्रण में लाने के लिए उपाय सुझाए गये हैं. मेलघाट की बिजली, पानी, शाला, स्वास्थ्य सेवाओं की परिस्थिति में भी सुधार के लिए बाकायदा 20 पेज का प्लान बताया गया है. जिसमें दर्जनों सुझाव देने के साथ शासकीय योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की मांग रखी गई. दोनों कार्यकर्ताओं ने सैकडों आदिवासी महिला- पुरूषों के साथ बैनर तख्तियां लेकर इर्विन चौक के बाबासाहब स्मारक के पास से विभागीय आयुक्त कार्यालय कूच किया.
बाल और माता मृत्यु रोकने के लिए 10 पाइंट सुझाए गये हैं. जिसमें मेलघाट के प्रकल्प कार्यालय हेतु अलग से आइएएस अधिकारी की नियुक्ति की मांग उठाई गई. ऐसे ही मेलघाट की आश्रम शाला और सामान्य शालाओं में नियुक्तियां नहीं होने से यहां के बच्चे शाला बाहय हो रहे हैं. कई बच्चे तो अपने माता-पिता के साथ ईट भट्टों के आसपास खेल रहे हैं. जबकि उन्हें पाठशालाओं में होना चाहिए. रोजगार नहीं होने से मेलघाट के लोगों को स्थातंरण करना पडता है. खेती भी सिंचित नहीं होने से विशेष उत्पादन नहीं ले पाते. ऐसे में साहूकारी पाश में भी जकड जाते हैं. कुएं का निर्माण आवश्यक है. जिससे पानी की कमी दूर हो.

* बन सकते हैं बेहतर खिलाडीा
मेलघाट के आदिवासी छात्र- छात्राएं दमखम रखते हैं. बेहतर खिलाडी बन सकते हैं. इसके लिए शालाओं में खेल अधिकारी की नियुक्ति आवश्यक हैं. प्रशासन को इस दिशा में अवश्य सोचना चाहिए. खेल अधिकारी नियुक्त होने पर मेलघाट के युवा राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कमाल कर सकते हैंं.

* 22 गांवों में नहीं पहुंची बिजली
बंडया साने और पूर्णिमा उपाध्याय ने मान्य किया कि अनेक मांगे और मुद्दे पुराने हैं. उन्होंने कहा कि आज भी 22 गांव ने बिजली नहीं देखी है. बिजली की समस्या हल होने पर आदिवासियों की अन्य अनेक समस्याओं का सहज निवारण हो सकता हैं. उन्होंने माडी झडप और बोधु गांवों का उदाहरण देकर कम पट संख्या के कारण कई जिप शालाओं के बंद होने की आशंका भी व्यक्त की.

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