अमरावती

परिचारिकाओं का काली फीत लगाकर प्रदर्शन

बक्षी समिति का किया निषेध

अमरावती/दि.14-राज्य कर्मचारियों की वेतन के संदर्भ ने नियुक्त की गई बक्षी समिति ने शासन को रिपोर्ट प्रस्तुत की. लेकिन इसमें से शासकीय रुग्णालयों में अविरत सेवा देने वाली अधिपरिचारिकाओं सहित परीसेविका को अलग किया गया है. उसके निषेधार्थ महाराष्ट्र गव्हर्नमेंट नर्सेस असोसिएशन की ओर से मंगलवार 13 जून को काली फीत लगाकर प्रदर्शन किया गया.
बक्षी समिति के निर्णय से राज्य सहित जिले की परिचारिका संतप्त होकर उसका निषेध व्यक्त करने हेतु मंगलवार को कर्मचारियों ने अपने- अपने रुग्णालय परिसर में डेढ़ घंटे तक काली फीत लगाकर शासन द्वारा नियुक्त किए बक्षी समिति का निषेध व्यक्त करते शासन का ध्यानाकर्षित करने का प्रयास किया. इस समय महाराष्ट्र गव्हर्नमेंट नर्सेस असोसिएशन के नेतृत्व में तीव्र घोषणाबाजी की गई. इसमें जिला सामान्य अस्पताल, डफरीन, सुपर स्पेशालिटी, क्षय रुग्णालय एवं ग्रामीणके कर्मचारियों का समावेश था.
स्वास्थ्य क्षेत्र की रीढ़ की हड्डी समझी जाने वाली परिचारिकाओं पर शासन अन्याय कर रही है. शासकीय रुग्णालय में 50 प्रतिशद पद रिक्त है. जिसके चलते एक कर्मचारी पर 60 से 70 मरीजों का भार आया है. स्वयं के परिवार की परवाह किए बगैर कोविड महामारी के काल में अविरत सेवा दी. कोरोना काल में अनेक परिचारिकाओं के परिवार उध्वस्त होने का संगठना का कहना है. मात्र बक्षी समिति खंड-2 में इन स्वास्थ्य सेविकाओं की ओर दुर्लक्ष किया गया है. यहीं परिस्थिति राज्य के सभी शासकीय अस्पतालों की है. वेतन की त्रुटी दूर करने के लिए चयनीत की गई के.पी. बक्षी समिति की रिपोर्ट खंड-2 प्रसिद्ध कर वेतन श्रेणी में वृद्धि की जाए, इसके लिए राज्य की विविध संगठनाओं के माध्यम से लगातार गत तीन वर्षों से प्रयास किए जाने पर आखिराकर फरवरी में मंत्रिमंडल की बैठक में बक्षी समिति की रिपोर्ट खंड-2 स्वीकार किए जाने की अधिकृत घोषणा शासन ने की है. लेकिन इसमें शासकीय अस्पताल में अविरत सेवा देने वाली अधीपरिचारिका एवं परिसेविकाओं को अलग किया गया है. जिसके चलते जिले के सभी शासकीय अस्पतालों में काम करने वाली अधीपरिचारिका, परिसेविकाओं ने मंगलवार को अपने-अपने स्तर पर डेढ़ घंटे तक काली फीत लगाकर प्रदर्शन किया. इस समय घोषणाबाजी कर शासन का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया. महाराष्ट्र गव्हर्नमेंट नर्सेस असोसिएशन की वर्षा पागोेटे, साधना मोरे, मनीषा कांबले, बबीता बागडे, मुक्ता खोंड, दुर्गा घोडिले, ज्योती काले, ममता चव्हाण, आशा दाभाडे, हर्षा उमक, सपना वाट, प्रमिला कांबले, आकाश भालेराव, मनीषा गावंडे सहित बड़ी संख्या में परिचारिकाएं आंदोलन में सहभागी हुई.

 

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